भारतीय किसानों की पैदावार बढ़ाने में Microsoft की AI टेक्नोलॉजी का जबरदस्त असर

मई 21, 2025 0 टिप्पणि मानवी चौधरी

AI टेक्नोलॉजी से किसानों की किस्मत कैसे बदल रही है?

क्या आपने कभी सोचा है कि छोटे किसान अब खेतों में हाईटेक AI टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं? Microsoft के सीईओ सत्य नडेला के मुताबिक, महाराष्ट्र के बारामती और बत्तीस शिराला जैसे इलाकों में छोटे किसान अपनी खेती को पूरी तरह से बदल रहे हैं। ये किसान Microsoft के AI टूल्स का इस्तेमाल करके खेती के फैसले अब अनुमान के बजाय डेटा के आधार पर ले रहे हैं।

इन टूल्स में ड्रोन और सैटेलाइट से मिला जियोस्पेशियल डेटा, रियल-टाइम मिट्टी की जांच, और किसानों की स्थानीय भाषाओं में सलाह—सब कुछ शामिल है। अब किसान अपने इलाके के मौसम का सही पूर्वानुमान जान पाते हैं। यह जानकारी उन्हें समय रहते फसल बोने, खाद-पानी देने, और कीट हमलों को रोकने में सीधे मदद करती है। बारामती कोऑपरेटिव सोसाइटी से जुड़े कई किसान बता रहे हैं कि पुराने अंदाजे की जगह अब उन्हें सटीक सलाह मिलती है—जिससे उत्पादन तो बढ़ा ही है, खर्चे भी कम हुए हैं।

कम खर्च, बेहतर मुनाफा और टिकाऊ खेती

कम खर्च, बेहतर मुनाफा और टिकाऊ खेती

सत्य नडेला ने खास तौर पर बताया कि इन AI सॉल्यूशन का असली असर तब दिखा जब छोटे किसानों ने कीटनाशकों और रसायनों का इस्तेमाल कम किया—पर फसल पहले से कहीं अच्छी हुई। पानी का बेहतर प्रबंधन और सिंचाई की नई तरकीबों ने, खासकर सूखे और जल संकट वाले इलाकों में, चमत्कार जैसा फर्क दिखाया। एक किसान, जिसकी जमीन बहुत ज्यादा नहीं थी, लेकिन अब उन्हे फसल से होने वाली कमाई में साफ इज़ाफा देखने को मिला।

मशीन लर्निंग से जुड़ा सॉफ्टवेयर, किसानों को इलाके की मिट्टी की सेहत और तापमान पर नजर रखने देता है। इससे सूखा, रोग और तूफान जैसे खतरों के प्रति तुरंत सतर्कता मिलती है। किसान समय पर स्वस्थ बीज बो सकते हैं, फसल में बीमारी के लक्षण पहले ही पकड़ सकते हैं और मिनटों में भाषा में सलाह समझ सकते हैं।

  • रसायनों में 20-30% तक कमी
  • पानी की बचत और सिंचाई का बेहतर प्रबंधन
  • मुनाफा बढ़ाने में मदद
  • फसल का उत्पादन 25% तक अधिक

Microsoft की नई तकनीक ने किसानों को प्रकृति के अनिश्चित मौसम से लड़ने की ताकत दी है। किसानों के मुताबिक, जब उन्हें फसल या मौसम की ताजातरीन जानकारी मोबाइल में उनकी भाषा में ही मिल जाती है—तो खेती के फैसले लेना कहीं आसान हो जाता है। सिर्फ बड़े किसान ही नहीं, छोटे किसान भी अब हाईटेक रास्तों से अपनी खेती संवार रहे हैं।

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