जॉर्ज मिलर ने कान्स में 'फ्यूरिओसा' टीम के साथ प्रेस से बात करते हुए एक और 'मैड मैक्स' फिल्म की संभावना से इनकार नहीं किया

मई 16, 2024 6 टिप्पणि Priyadharshini Ananthakumar

प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक जॉर्ज मिलर और स्टार कलाकार अन्या टेलर-जॉय और क्रिस हेम्सवर्थ ने हाल ही में कान्स फिल्म महोत्सव में 'फ्यूरिओसा: ए मैड मैक्स सागा' फिल्म के प्रीमियर के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने 'फ्यूरी रोड' प्रीक्वल की विकास प्रक्रिया और निर्माण के बारे में विस्तार से चर्चा की।

जॉर्ज मिलर ने अपने 45 वर्षों के करियर में 5 'मैड मैक्स' फिल्में बनाई हैं। उन्होंने 'फ्यूरी रोड' से पहले के एक साल में मैक्स के जीवन पर आधारित एक और फिल्म बनाने की संभावना पर जोर दिया। मिलर का मानना है कि 'फ्यूरी रोड' की कहानी को प्रभावी ढंग से बताने के लिए फ्यूरिओसा और मैक्स की पृष्ठभूमि जानना बहुत महत्वपूर्ण है।

मिलर ने यह भी बताया कि कैसे शुरुआती 'मैड मैक्स' फिल्मों को अमेरिकी बाजार के लिए अमेरिकी लहजे में डब किया गया था, लेकिन 'फ्यूरिओसा' के साथ, उन्होंने आखिरकार एक ऐसी मैक्स फिल्म बनाई जिसमें मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलियाई लहजा था।

अन्या टेलर-जॉय ने एक्शन से भरपूर फिल्म के निर्माण के दौरान अपनी स्टंट डबल, हेली राइट की महत्वपूर्ण भूमिका की प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि हेली ने उन्हें पूरी शूटिंग के दौरान मार्गदर्शन दिया।

क्रिस हेम्सवर्थ ने अपने विलेन किरदार डिमेंटस को निभाने के लिए जॉर्ज मिलर के साथ सहयोग करने के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि उनका फोकस इस किरदार में मानवता और भेद्यता खोजने पर था।

फ्यूरिओसा का विकास

जॉर्ज मिलर ने बताया कि 'फ्यूरिओसा' का विचार उनके दिमाग में तब आया जब वे 'फ्यूरी रोड' पर काम कर रहे थे। उन्हें महसूस हुआ कि इम्पीरेटर फ्यूरिओसा का पात्र इतना रोचक और जटिल है कि इसकी एक अलग फिल्म बननी चाहिए। उन्होंने फिल्म के लिए कई वर्षों तक रिसर्च और लेखन किया।

मिलर ने कहा, "मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण था कि हम 'फ्यूरी रोड' में फ्यूरिओसा को एक गहरा और बहुआयामी चरित्र के रूप में स्थापित करें। लेकिन उसकी पूरी कहानी बताने के लिए एक अलग फिल्म की जरूरत थी।"

कास्टिंग प्रक्रिया

फ्यूरिओसा की भूमिका के लिए अन्या टेलर-जॉय को चुनना आसान नहीं था। मिलर ने कहा कि उन्होंने कई अभिनेत्रियों का ऑडिशन लिया, लेकिन अंततः अन्या के साथ जाने का फैसला किया क्योंकि उनमें वह क्षमता और क्षमता थी जो किरदार के लिए आवश्यक थी।

क्रिस हेम्सवर्थ के लिए भी यह एक चुनौतीपूर्ण भूमिका थी। उन्होंने कहा, "डिमेंटस एक दुष्ट किरदार है, लेकिन मैं उसमें मानवता और भेद्यता ढूंढना चाहता था। मैं चाहता था कि दर्शक उससे नफरत करने के साथ-साथ उसके लिए थोड़ी सहानुभूति भी महसूस करें।"

ऑस्ट्रेलियाई लहजे का महत्व

जॉर्ज मिलर ने बताया कि 'मैड मैक्स' की शुरुआती फिल्मों को अमेरिकी बाजार के लिए अमेरिकी लहजे में डब किया गया था। हालांकि, 'फ्यूरिओसा' के साथ, उन्होंने जानबूझकर ऑस्ट्रेलियाई लहजे का इस्तेमाल किया।

मिलर ने कहा, "मुझे लगता है कि यह फिल्म की प्रामाणिकता के लिए महत्वपूर्ण है। 'मैड मैक्स' की दुनिया ऑस्ट्रेलिया में स्थापित है और मैं चाहता था कि यह फिल्म उस सेटिंग को सम्मान दे।"

एक्शन दृश्यों का निर्माण

'फ्यूरिओसा' में कई शानदार एक्शन सीक्वेंस हैं जो दर्शकों को अपनी सीट से बांधे रखेंगे। अन्या टेलर-जॉय ने बताया कि इन दृश्यों को फिल्माने में कितनी मेहनत लगी।

उन्होंने कहा, "मेरी स्टंट डबल हेली राइट ने मेरा बहुत मार्गदर्शन किया। उसने मुझे सिखाया कि कैसे एक्शन दृश्यों को सुरक्षित और प्रभावी ढंग से करना है। मैं उसके योगदान के लिए बहुत आभारी हूं।"

निष्कर्ष

'फ्यूरिओसा: ए मैड मैक्स सागा' निश्चित रूप से इस साल की सबसे प्रतीक्षित फिल्मों में से एक है। जॉर्ज मिलर और उनकी टीम ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वे एक्शन और कहानी के मामले में नए मानक स्थापित कर सकते हैं।

फिल्म की सफलता के बाद, मिलर ने एक और 'मैड मैक्स' फिल्म की संभावना से इनकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि उनके पास मैक्स के जीवन पर आधारित कई और कहानियां हैं जो वे भविष्य में बताना चाहेंगे। हम उम्मीद कर सकते हैं कि 'मैड मैक्स' का सफर जारी रहेगा।

6 जवाब

Simi Joseph
Simi Joseph मई 16, 2024 AT 19:44

फ्यूरिओसा की प्रीमियर बकवास है

Vaneesha Krishnan
Vaneesha Krishnan मई 17, 2024 AT 01:53

मैं समझती हूँ कि टीम ने कितना मेहनत किया है 😊 लेकिन शायद कुछ जगहें अधिक निखर सकती थीं 🙏

Satya Pal
Satya Pal मई 17, 2024 AT 15:46

जॉर्ज मिलर का काम हमेशा से दार्शनिक गहराई के साथ एंगेज करता आया है, परन्तु इस बार उनकी "फ्यूरियोसा" को लेकर कुछ विचारों की कमी महसूस होती है।
पहले मैक्स की कहानी में उन्होंने एंटी‑ह्यूमन थीम को बहुत ही सशक्त रूप से पेश किया था, जबकि अब यह फ्यूरी रोड के प्रीक्वल पर द्बारा फोकस कर रहा है।
यदि हम इतिहास के प्रवाह को देखें तो यह एक पुनरावृत्ति जैसा लगता है, जहां हर नई फिल्म वही पुरानी तर्ज़ पर फिर से शुरू होती है।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या निर्देशक अपने दर्शकों को नई सोच देने की कोशिश कर रहे हैं या बस मार्केटिंग की चाल चल रहे हैं।
कलात्मक रूप से देखा जाए तो फ्यूरियोसा में ऑस्ट्रेलियाई लहजा और संस्कृति को सही ढंग से प्रस्तुत करना एक सराहनीय कार्य है।
हालांकि, इस लहजे को लेकर बहुत अधिक दिखावा किया गया है, जिससे कुछ दर्शकों को असहजता हो सकती है।
एक बात तो साफ है कि अन्या टेलर‑जॉय की अभिनय क्षमता को कम नहीं आँका जा सकता, परन्तु उसकी स्टंट डबल की भूमिका को थोड़ा अधिक उजागर किया जा सकता था।
क्रिस हेम्सवर्थ का डिमेंटस किरदार भी काफी जटिल है, फिर भी उनका मानवीय पक्ष अक्सर धुंधला दिखता है।
शूटिंग के दौरान तकनीकी पहलुओं को लेकर काफी रिसर्च की गई है, परन्तु वास्तविक कहानी की गहराई में कमी महसूस होती है।
फिल्म के विज़ुअल इफ़ेक्ट्स वास्तव में लाजवाब हैं, फिर भी वे कहानी को पूरक करने के बजाय मोस्की मसाला बनकर रह जाते हैं।
जैसे ही फ़िल्म का अंत आता है, दर्शक को ऐसा लगता है जैसे उन्होंने एक लंबी यात्रा की लेकिन ठीक से पहुँच नहीं पाए।
फ्यूरी रोड के प्रीक्वल से जुड़ी इस विस्तृत कहानी में हमें नयी दार्शनिक चुनौतियों की उम्मीद थी, परन्तु वह अब तक नहीं मिल पाई।
संक्षेप में, यह फिल्म एक तकनीकी चमत्कार है, परन्तु भावनात्मक स्तर पर यह थोड़ा ठंढा पड़ता है।
आशा है कि मिलर अगले प्रोजेक्ट में इस अंतर को पाटेंगे और हमें एक सच्ची मैक्स कथा देंगे।

Partho Roy
Partho Roy मई 18, 2024 AT 00:06

सत्य की बात तो ठीक है, पर एक बात और जोड़ूँ तो फिल्म का संगीत और साउंडडिज़ाइन वाकई में गहरी इम्मर्शन देता है।
लॉन्ग‑विंडेड सीन में उन ध्वनि प्रभावों को देखना जैसे सरीखी सवारी हो।
बेशक कहानी में थोड़ा सुधार की जगह है, पर एंगेजमेंट का स्तर कमाल का है।
फ़िल्म के एस्थेटिक पहलू को देख कर मुझे लगता है कि मिलर ने अपना विज़न बहुत साफ़ तौर पर पेश किया है।
समग्र रूप से, यह एक दोस्ताना चर्चा का विषय बनता है, जहाँ हम दोनों ही पक्षों को समझ सकते हैं।

Ahmad Dala
Ahmad Dala मई 18, 2024 AT 14:00

ओह, इस फ़िल्म की बात करते‑ही हम दिमाग़ में रफ़रेंस की इत्र‑इत्र की घ्राण ले रहे हैं!
जैसे हर फ्रेम में रंगों का एक सिम्फ़नी बज रहा हो, वैसे ही कहानी का लय कुछ अधिक नाटकीय होनी चाहिए थी।
फ्यूरियोसा की पृष्ठभूमि को लगभग पेंटिंग की तरह सजाया गया है, परन्तु उस पेंटिंग में पैलेट थोड़ा फीका रह गया।
जैसे कला पथिक को एक नई दृष़्टि‑कोण देने के लिये, वैसे ही मिलर को अगली बार कुछ नई धारा लाने की जरूरत है।
बज़्ज़ी, यह फ़िल्म अपने बिन्यादि बिंदुओँ पर गिरी नहीं, परन्तु जटिलता की मानचित्र पर कुछ धुंधला लगती है।

RajAditya Das
RajAditya Das मई 19, 2024 AT 01:06

हम्म, मैं तो कहूँगा कि आप लोग फ़िल्म को ज्यादा महँगा बना रहे हो :P पर सही कहें तो हर एलीट रिव्यू में कुछ न कुछ चमक़ी होती है 😅

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