ITR 2025 फाइलिंग डेडलाइन: ऑडिट वाले करदाताओं को क्या जानना जरूरी

सितंबर 26, 2025 8 टिप्पणि Priyadharshini Ananthakumar

क्या आप 2025 में अपना कर रिटर्न फाइल करने की टाइम‑लाइन को लेकर उलझन में हैं? ITR 2025 की डेडलाइन अब स्पष्ट हो गई है, लेकिन ऑडिट की ज़रूरत वाले करदाताओं के लिए अलग‑अलग तिथियां लागू होती हैं। इस लेख में हम प्रमुख डेडलाइन, टैक्स ऑडिट की आवश्यकताएं, संभावित दंड और देर से फाइलिंग के विकल्पों को विस्तार से समझेंगे।

डेडलाइन का विवरण और ऑडिट‑आधारित वर्गीकरण

सेंटरल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने वित्तीय वर्ष 2024‑25 (आकलन वर्ष 2025‑26) के लिये दो समूहों के लिये अलग‑अलग फाइलिंग तिथियां घोषित की हैं।

  • नॉन‑ऑडिट केस: व्यक्तिगत करदाता, हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUF), एसोसिएशन ऑफ़ पर्सन्स (AOP) और बॉडी ऑफ़ इंडिविडुअल्स (BOI) जिनके खातों की ऑडिट ज़रूरी नहीं है, उन्हें अपना ITR 16 सितंबर 2025 तक जमा करना होगा। यह तारीख तकनीकी गड़बड़ियों के चलते पोर्टल पर विस्तार के बाद निर्धारित की गई थी।
  • ऑडिट केस: वे व्यवसाय और पेशेवर जो सेक्शन 44AB के तहत ऑडिट के अधीन हैं, उन्हें ITR जमा करने के लिये 31 अक्टूबर 2025 की अवधि मिली है। यह मूल असली डेडलाइन से काफी बढ़ा हुआ विस्तार है, जिससे जटिल ऑडिट प्रक्रिया वाले करदाताओं को राहत मिली है।

साथ ही, टैक्स ऑडिट रिपोर्ट (फ़ॉर्म 3CA/3CB/3CD) की सबमिशन डेडलाइन भी 31 अक्टूबर 2025 तक बढ़ा दी गई है। यह बदलाव राजस्थान एवं कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेशों और टैक्स प्रोफेशनल्स की अपीलों को ध्यान में रख कर किया गया।

सेक्शन 44AB के तहत ऑडिट किनको करना पड़ता है?

आयकर अधिनियम की सेक्शन 44AB यह तय करती है कि किन कारोबारों और पेशेवरों को टैक्स ऑडिट करवाना अनिवार्य है। मुख्य मानदंड नीचे सूचीबद्ध हैं:

  1. व्यवसाय जिनकी वार्षिक टैर्नओवर 1 करोड़ रुपये से अधिक है। यदि नकद लेन‑देन कुल टर्नओवर का 5% या उससे कम है, तो यह सीमा 10 करोड़ रूपए तक बढ़ जाती है।
  2. पेशेवर (जैसे डॉक्टर, एंकर, वकील आदि) जिनकी ग्रॉस रिसीट्स 50 लाख रुपये से अधिक है।
  3. प्रेसूम्प्टिव टैक्‍स स्कीम (सेक्शन 44AD/44ADA/44AE) के तहत कार्य करने वाले करदाता जो घोषित लाभ दर से कम लाभ दिखाते हैं और उनका आय बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट से ऊपर है।

इनमें से किसी एक शर्त को पूरा करने पर, करदाता को चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) द्वारा ऑडिट करवाना आवश्यक है और फ़ॉर्म 3CA/3CB/3CD के माध्यम से रिपोर्ट जमा करनी होगी। रिपोर्ट में यूनिक डॉक्यूमेंट आइडेंटिफिकेशन नंबर (UDIN) का होना अनिवार्य है, अन्यथा रिटर्न सिस्टम द्वारा स्वीकार नहीं किया जाएगा।

देर से फाइलिंग पर आर्थिक दण्ड और विकल्प

देर से फाइलिंग पर आर्थिक दण्ड और विकल्प

डेडलाइन को मिस करने पर करदाता को कई प्रकार के दण्डों का सामना करना पड़ता है। मुख्य दण्ड नीचे दिए गए हैं:

  • इंटरेस्ट चार्ज: सेक्शन 234A के तहत बकाया टैक्स पर हर महीने 1% (या उसका भाग) ब्याज लगना अनिवार्य है।
  • लेट फाइलिंग फीस: सेक्शन 234F के अनुसार देरी की अवधि और करदाता की श्रेणी के आधार पर फीस तय होती है। यह राशि 1,000 रुपये से लेकर 10,000 रुपये तक हो सकती है।
  • ऑडिट दण्ड: सेक्शन 271B के तहत यदि टैक्स ऑडिट रिपोर्ट समय पर नहीं दी गई, तो टर्नओवर या ग्रॉस रिसीट्स के 0.5% के बराबर दण्ड लगाया जाता है, परंतु इसकी अधिकतम सीमा 1.5 लाख रुपये है। उचित कारण न प्रस्तुत करने पर यह दण्ड लागू हो जाता है।

हालाँकि, करदाता के पास देर से भी रिटर्न दाखिल करने के विकल्प हैं:

  1. बिलेटेड रिटर्न: 31 दिसंबर 2025 तक फाइल किया जा सकता है, परंतु लेट फीस और ब्याज अभी भी लागू रहेगा।
  2. रीवाइज़्ड रिटर्न: मूल रिटर्न में सुधार करने के लिये भी यही अंतिम तारीख है।
  3. अपडेटेड रिटर्न: 31 मार्च 2030 तक (आकलन वर्ष के चार साल बाद) जमा कर सकते हैं, जिससे भविष्य में कोई भी त्रुटि ठीक की जा सकती है।

व्यावहारिक सुझाव और समय पर तैयारी के लिए रणनीति

ऑडिट वाले करदाताओं को यह सलाह दी जाती है कि वे रिटर्न फाइलिंग को अंतिम क्षण तक न टालें। शुरुआती तैयारी से तकनीकी समस्याओं से बचाव होता है और आवश्यक दस्तावेज़ों को समय पर व्यवस्थित किया जा सकता है। कुछ काम करने लायक कदम इस प्रकार हैं:

  • योग्य चार्टर्ड अकाउंटेंट से पहले से संपर्क कर ऑडिट का शेड्यूल तय करें।
  • आवश्यक फॉर्म (3CA/3CB/3CD) और UDIN की वैधता को चेक करें।
  • इनकम टैक्स पोर्टल पर लॉग‑इन कर सभी आवश्यक दस्तावेज़ (बैंक स्टेटमेंट, इनवॉइस, लेजर) को डिजिटल रूप में अपलोड करें।
  • रिटर्न फाइलिंग के बाद लेट फीस और इंटरेस्ट की गणना करके संभावित दण्ड से बचने के लिये भुगतान करें।
  • डेडलाइन से कुछ हफ्ते पहले आयकर पोर्टल पर टेस्ट एंट्री करके देखें कि कोई तकनीकी बाधा तो नहीं आ रही।

यदि कोई रुकावट आती है, तो तुरंत आयकर हेल्पडेस्क या अपने CA को सूचित करें ताकि समय रहते समाधान निकाला जा सके। याद रखें, देर से फाइलिंग सिर्फ आर्थिक बोझ नहीं बनाती, बल्कि भविष्य में ऑडिट या जांच की संभावनाओं को भी बढ़ा देती है।

इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, चाहे आप व्यक्तिगत करदाता हों या बड़े व्यापारियों में से एक, समय पर फाइलिंग और ऑडिट रिपोर्ट की तैयारी से आप बिना किसी परेशानी के अपना टैक्स भर सकते हैं और अतिरिक्त दण्ड से बच सकते हैं।

8 जवाब

Ajit Navraj Hans
Ajit Navraj Hans सितंबर 26, 2025 AT 15:22

ऑडिट केस वाले टैक्सपेयर को 31 अक्टूबर तक फॉर्म 3CA/3CB जमा करना अनिवार्य है।

arjun jowo
arjun jowo अक्तूबर 2, 2025 AT 22:34

ऑडिट की तैयारी में पहले अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट से शेड्यूल फिक्स कर लो, ताकि टैक्स रिपोर्ट समय पर तैयार हो सके।

Rajan Jayswal
Rajan Jayswal अक्तूबर 9, 2025 AT 05:46

डेडलाइन से पहले सभी लेजर और बैंक स्टेटमेंट अपलोड कर देना चाहिए।

Simi Joseph
Simi Joseph अक्तूबर 15, 2025 AT 12:58

लेट फ़ाइलिंग फीस 234F के तहत लागू होगी, इसलिए देर न करना फायदेमंद है।

Vaneesha Krishnan
Vaneesha Krishnan अक्तूबर 21, 2025 AT 20:10

यदि कोई तकनीकी समस्या आती है तो तुरंत आयकर हेल्पडेस्क या अपने सीए को कॉल करो 😊

Satya Pal
Satya Pal अक्तूबर 28, 2025 AT 03:22

ध्यान रहे कि फॉर्म 3CA में UDIN का वैध होना ही सिस्टम को रिटर्न ऐकसप्ट करने का कंडीशन है।

Partho Roy
Partho Roy नवंबर 3, 2025 AT 10:34

रिटर्न फाइलिंग में टेस्ट एंट्री करने से तकनीकी गड़बड़ी पकड़ी जा सकती है और समय बचता है।

Ahmad Dala
Ahmad Dala नवंबर 9, 2025 AT 17:46

नॉन‑ऑडिट केस वाले लोगों को 16 सितंबर तक फाइल करना बेहतर रहेगा, ताकि बाद में कोई दण्ड न लगे।

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