G7 समूह के नेताओं ने हाल ही में एक संयुक्त बयान जारी करते हुए हमास से अनुरोध किया है कि वह इसराइल के प्रस्ताव को स्वीकार कर ले और गैज़ा में चल रहे युद्ध को समाप्त करने की दिशा में कदम उठाए। यह बयान अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, इटली, कनाडा और जापान के नेताओं ने सामूहिक रूप से जारी किया। यह बयान तब आया है जब गैज़ा में हिंसा का स्तर चरम पर पहुंच चुका है और बहुसंख्य लोग इसकी वजह से पीड़ित हो रहे हैं।
बयान में G7 नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे चाहते हैं कि दोनों पक्ष संघर्ष विराम के प्रति प्रतिबद्ध रहें और एक शांतिपूर्ण समाधान तलाशने की कोशिश करें। वे इस बात पर भी जोर देते हैं कि क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखना अनिवार्य है और इसे तभी हासिल किया जा सकता है जब दोनों पक्ष बातचीत के माध्यम से अपने मतभेदों को सुलझाएं।
इसराइल और हमास के बीच लंबे समय से चला आ रहा विवाद एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और मानवाधिकार मुद्दा बना हुआ है। जी7 नेताओं ने इस विवाद के चलते हो रही मानवीय हानि पर गहरा चिंता जाहिर की है और आग्रह किया कि तत्काल प्रभाव से संघर्ष विराम होना चाहिए।
जी7 ने अपने बयान में दो-राज्य समाधान की पुरजोर वकालत की। उन्होंने कहा कि इसराइल और फिलिस्तीन के लिए एक साथ सह-अस्तित्व रखने के लिए यही सबसे व्यावहारिक और न्यायसंगत रास्ता है। जी7 नेताओं ने यह भी कहा कि यह समाधान क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के लिए आवश्यक है और इसे जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए।
हालांकि, जी7 नेताओं ने इसराइल के प्रस्ताव के विशिष्ट विवरणों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि शांतिपूर्ण समाधान के लिए यह प्रस्ताव महत्वपूर्ण है। इसराइल के इस प्रस्ताव को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया मिलीजुली रही है। कुछ देशों ने इसका समर्थन किया है जबकि कुछ ने इसे लेकर संदेह व्यक्त किया है।
हमास की तरफ से अभी तक इस प्रस्ताव पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। इससे यह आंकलन करना मुश्किल हो जाता है कि क्या हमास इस प्रस्ताव को स्वीकार करेगा या नहीं। हालांकि, यह देखा गया है कि हमास और इसराइल के बीच बातचीत का इतिहास बहुत ही पेचीदा और संकटग्रस्त रहा है। दोनों पक्षों के बीच विश्वास की गहरी कमी है और यह भी एक बड़ा कारण है कि किसी भी प्रकार के समझौते को लागू करना इतना कठिन हो जाता है।
गैज़ा युद्ध के चलते क्षेत्र की जनसंख्या को भारी नुकसान पहुंचा है। दोनों पक्षों की हिंसा ने नागरिकों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। बड़ी संख्या में लोग घरों से बेघर हो गए हैं और कई लोग घायल हो चुके हैं। इस मानवीय संकट के समाधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।
महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग इस संघर्ष का सबसे अधिक खमियाजा भुगत रहे हैं। अस्पतालों में उपचार की व्यवस्था भी चरमरा गई है और खाद्यान्न की आपूर्ति में भी भारी कमी आ गई है। जी7 नेताओं ने इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए हमास और इसराइल से अपील की है कि वे निर्दोष नागरिकों की कठिनाइयों को समझते हुए तत्काल प्रभाव से संघर्ष विराम करें।
जी7 नेताओं ने अपने बयान में यह भी दोहराया कि वे फिलिस्तीन और इसराइल के बीच शांति स्थापना के लिए कूटनीतिक कोशिशों का समर्थन करते रहेंगे। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से भी इस दिशा में कदम बढ़ाने की अपील की।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे इस संघर्ष का निराकरण शांतिपूर्ण और संधि के माध्यम से चाहते हैं, न कि हिंसा और युद्ध के जरिए। इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम के तौर पर उन्होंने दोनों पक्षों से तत्काल स्वरूप में वार्ता शुरू करने का प्रस्ताव रखा है।
जी7 का यह बयान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में एक महत्वपूर्ण संदेश की तरह काम कर सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या हमास और इसराइल इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से देखते हैं और सुधार की दिशा में कोई ठोस कदम उठाते हैं।
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