जगन्नाथ रथ यात्रा 2024: राष्ट्रपति मुर्मू के सामने विशाल उत्सव की शानदार झलक, कड़ी सुरक्षा में सम्पन्न

जुलाई 7, 2024 7 टिप्पणि Priyadharshini Ananthakumar

प्रस्तावना

पुरी, ओडिशा में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा का इस बार का आयोजन विशेष रहा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उपस्थिति ने इस आयोजन की गरिमा को और भी बढ़ा दिया। व्यापक सुरक्षा प्रबंध और अत्याधुनिक तकनीकियों का इस्तेमाल इसे सफल बनाने में अत्यंत सहायक सिद्ध हुआ।

रथ यात्रा की विशेषताएँ

इस वर्ष की रथ यात्रा कई विशेषताओं के साथ चर्चित रही। यह यात्रा जुलाई 7, 2024 को आरंभ हुई और पूरे दो दिनों तक चली। यात्रा के प्रारंभिक दिन के साथ ही 'नबजौबन दर्शन' और 'नेत्र उत्सव' की भी परंपराएँ निभाई गईं। रथ यात्रा में तीन प्रमुख रथों - भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथ शामिल होते हैं। इस बार, रथों की ऊँचाई को पांच मीटर तक सीमित रखा गया, जिससे सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित हो सके।

'नबजौबन दर्शन' एवं 'नेत्र उत्सव' की परंपरा

'नबजौबन दर्शन' का अर्थ है देवताओं का युवा रूप में दर्शन। इसे रथ यात्रा के ठीक पहले दिन किया जाता है। 'अनसरा' अवधि के दौरान देवताओं को बंद दरवाजों के पीछे रखा जाता है। 'स्नान पूर्णिमा' के दिन विस्तृत स्नान के कारण देवताओं के बीमार होने की मान्यता है और इन्हें 15 दिनों तक आंतरिक रूप से आराम दिया जाता है। इसके बाद 'नेत्र उत्सव' में देवताओं की आँखों को नए सिरे से चित्रित किया जाता है।

नई तकनीकियों का इस्तेमाल

यात्रा के सफल आयोजन के लिए प्रशासन ने एआई आधारित तकनीकियों का भी प्रयोग किया। ओडिशा पुलिस ने पहली बार एआई नियंत्रित सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन के माध्यम से यातायात और भीड़ प्रबंधन किया। इससे भीड़भाड़ और अंधे क्षेत्र पहचानने में सहायता मिली।

अतिरिक्त सुरक्षा प्रबंध

अतिरिक्त सुरक्षा प्रबंध

राष्ट्रपति मुर्मू की यात्रा के दौरान विशेष सुरक्षा प्रबंध किए गए। एक वीआईपी ज़ोन और एक बफर ज़ोन तैयार किया गया ताकि राष्ट्रपति के आगमन और इसके मद्देनजर सुरक्षा सुचारू रूप से बनी रहे।

त्रिपुरा में भी आयोजन

त्रिपुरा के मेलघर शहर में मुख्यमंत्री माणिक साहा ने रथ यात्रा मेले का उद्घाटन किया। यह मेला नौ दिनों तक चला और 14 जुलाई, 2024 को सम्पन्न हुआ।

समापन

समापन

इस वर्ष की जगन्नाथ रथ यात्रा व्यवस्थाओं, परंपराओं और प्रशासनिक कुशलताओं का उत्तम उदाहरण रही। राष्ट्रपति मुर्मू की उपस्थिति ने इस आयोजन को नई ऊँचाई दी और जनता के बीच इसे विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र बनाया। प्रशासन की पूर्ण सजगता और सुरक्षा प्रबंधों ने आयोजन को सुरक्षित और स्मरणीय बना दिया।

7 जवाब

Narayan TT
Narayan TT जुलाई 7, 2024 AT 23:27

जगन्नाथ रथ यात्रा का यह संस्करण, आधुनिकीकरण के नाम पर, परम्परा को औपचारिक बिंदु पर धकेलता दिखता है। एआई निगरानी का उल्लेख गर्व के साथ किया गया, परन्तु क्या यह आध्यात्मिक वातावरण को विस्मय हीँ तक पहुँचाता है? सुरक्षा की कठोरता, जहाँ राष्ट्रपति का विशेष झाँकाव है, वहां आम जनता के अनुभव को किनारे धकेल दिया गया। रथों की ऊँचाई कम कर देना, सत्य में सुरक्षा का बहाना है या प्रशंसा-परायणता का विकल्प? इस तरह की वैधता, यदि नहीं, तो केवल नज़रें भरवाने की छलांग है।

SONALI RAGHBOTRA
SONALI RAGHBOTRA जुलाई 8, 2024 AT 13:20

सच्ची बात तो यह है कि इस वर्ष की रथ यात्रा ने कई नई पहलें देखी हैं, जो भविष्य की पीढ़ियों के लिए सीख बन सकती हैं। सबसे पहले, एआई‑आधारित सीसीटीवी और ड्रोन का उपयोग सुरक्षा को एक कदम आगे ले गया, जिससे भीड़भाड़ और अंधे क्षेत्रों की पहचान आसान हुई। यह तकनीक सीमित समय में बड़ी मात्रा में डेटा प्रोसेस करके संभावित जोखिमों को पूर्व चेतावनी देने में कारगर रही।
दूसरी ओर, रथों की ऊँचाई को पाँच मीटर तक सीमित किया गया, जिससे न केवल स्थिरता बनी रहती है, बल्कि दुर्घटना की संभावना भी घटती है। यह निर्णय पारंपरिक मान्यताओं के साथ संतुलित है, क्योंकि सुरक्षित यात्रा का लक्ष्य सर्वश्रेष्ठ है।
नबजौबन दर्शन और नेत्र उत्सव की परम्परा भी इसी वर्ष को विशेष बना रही है; ये उत्सव देवताओं को युवा रूप में प्रस्तुत करते हैं और उनके स्वरूप को नवीनीकृत करते हैं, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उपस्थिति ने इस यात्रा को राष्ट्रीय महत्व दिया, जो सामाजिक और सांस्कृतिक एकजुटता को दर्शाता है। उनका स्वागत और उपस्थिती, विशेष वीआईपी ज़ोन में आयोजित व्यवस्था, सुरक्षा मानकों को उच्च स्तर पर ले गई।
त्रिपुरा में भी इसी उत्सव का आयोजन हुआ, जहाँ राज्य के माहौल में अलग-अलग रंग झलकते हैं, और यह दर्शाता है कि इस परम्परा का प्रभाव राष्ट्रीय स्तर पर फैला हुआ है।
समग्र रूप से, यह रथ यात्रा आधुनिक तकनीक और प्राचीन परम्पराओं का एक सुन्दर मिश्रण है, जो दर्शाता है कि कैसे परम्परा को भविष्य के साथ मिलाया जा सकता है। यह सभी को प्रेरित करता है कि हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजोएँ और साथ ही नई तकनीकों को अपनाकर उसकी रक्षा करें।

sourabh kumar
sourabh kumar जुलाई 9, 2024 AT 03:14

यार लोग, ये रथयात्रा अब पूरी टेकिनी लग रही है! एआई कैमरा और ड्रोन वाली बात सुनके तो मन ही मन सोच रहा हूँ कि अगली बार हमें भी अपने स्मार्टफोन से लाइव स्ट्रीम देखनी चाहिए। लेकिन सच्ची बात तो, रथों की ऊँचाई कम करके सुरक्षा बढ़ाई गयी, वाक़ई में समझदारी है।
नबजौबन दर्शन और नेत्र उत्सव की बारीकियां तो बिल्कुल कूल लग रही हैं, जैसे देवता नए लुक में! राष्ट्रपति मुर्मू का वीआईपी ज़ोन भी बड़े ही सेटिंग्स जैसा लगता है, हर चीज़ को कैसे मैनेज किया गया, वाक़ई दिमाग़ की बात है।
त्रिपुरा में भी मेला लगा, धूम धड़ाका सारा। बस, उम्मीद है सबको सही मज़ा मिलेगा, बिना किसी दिक्कत के।

khajan singh
khajan singh जुलाई 9, 2024 AT 17:07

जगन्नाथ रथ यात्रा की सुरक्षा प्रोटोकॉल को देखते हुए, यह कहना उचित है कि यह डिजिटल इंटेलिजेंस की मेहरबानी से संभव हुआ है :)
एआई‑ड्रिवन सीसीटीवी इन्फ्रास्ट्रक्चर ने रियल‑टाइम मॉनिटरिंग को साकार किया, जिससे अनपेक्षित स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया देना संभव हुआ। इसी के साथ, ड्रोन‑सहायता से भीड़ नियंत्रण और ट्रैफ़िक मैनेजमेंट को एक नई दिशा मिली।
इन तकनीकों के इंटीग्रेशन से सुरक्षा टीम्स के कार्यभार में स्पष्ट कमी आई, और संभावित जोखिमों की पहचान पहले से अधिक सटीक हुई। यह सभी प्रोटोकॉल, विंडो, बफ़र ज़ोन आदि का एक महत्त्वपूर्ण कनेक्शन पॉइंट बन गया।

Dharmendra Pal
Dharmendra Pal जुलाई 10, 2024 AT 07:00

रथ यात्रा में एआई का प्रयोग बहुत उपयोगी है सुरक्षा की दृष्टी से यह नई तकनीक लोगों को सुरक्षित रखती है

Balaji Venkatraman
Balaji Venkatraman जुलाई 10, 2024 AT 20:54

भाइयो इस तरह की सुरक्षा में एआई को लाना सही नहीं है हमें परम्पराओं का आदर करना चाहिए और पवित्रता को बचाना चाहिए

Tushar Kumbhare
Tushar Kumbhare जुलाई 11, 2024 AT 10:47

वाह! बहुत बढ़िया 🎉

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