थ्रिस्सूर के सांसद सुरेश गोपी हाल ही में राज्य मंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद चर्चा में हैं। उन्होंने केंद्र सरकार और भाजपा के सामने अपनी मांग रखते हुए कहा कि वे मंत्री पद से मुक्त होना चाहते हैं। इसकी वजह यह है कि वे अपनी फिल्मी परियोजनाओं को पूरा करना चाहते हैं।
सुरेश गोपी ने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को सूचित किया कि वे चार फिल्मों के लिए अनुबंधित हैं, जिनमें से एक पद्मनाभस्वामी मंदिर के इतिहास पर आधारित है। उन्होंने बताया कि अगर वे उपलब्ध नहीं हो पाते हैं तो इन फिल्मों के निर्माण में बड़ी बाधा आ सकती है।
कई सलाहकारों ने सुरेश गोपी को मंत्री पद छोड़ने से मना किया, लेकिन वे अपने फिल्मी अनुबंधों को पूरा करने के प्रति दृढ़ हैं। गोपी का मानना है कि अगर वे अपनी फिल्मों को पूरा नहीं कर पाते, तो फिल्म क्रू को भारी संकट का सामना करना पड़ सकता है।
सुरेश गोपी ने थ्रिस्सूर से भाजपा के टिकट पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। उनका मानना है कि जनता ने उन पर भरोसा जताया है और वे अपने संसदीय क्षेत्र के सांसद के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को निभाते रहेंगे। लेकिन वर्तमान में उनकी प्राथमिकता अपने अनुबंधित फिल्मों को पूरा करना है।
गोपी ने कहा कि उन्होंने फिल्मों के लिए पहले ही अनुबंध कर लिया था और अब इन परियोजनाओं को अधूरी छोड़ना फिल्म टीम के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है।
उनके फैसले के पीछे एक और अहम कारण यह है कि सुरेश गोपी का ज्यादा फ़ोकस एक्टिंग करियर पर रहा है। उनका राजनीतिक सफर उतना लंबा और अनुभवी नहीं है, जितना उनका फिल्मी करियर।
भाजपा के लिए सुरेश गोपी का यह कदम एक नई चुनौती साबित हो सकता है। उनकी पार्टी ने चुनाव में उनके अभिनेता छवि का भरपूर उपयोग किया था और अब उनके मंत्री पद से हटने की इच्छा भाजपा के गणित पर असर डाल सकती है।
हालांकि, पार्टी नेतृत्व ने अभी तक इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है। संशयवादियों का मानना है कि सुरेश गोपी को समझा-बुझाकर मंत्री पद पर बनाए रखा जाए, ताकि उनसे उम्मीदें बनी रहें।
सुरेश गोपी फिल्मी दुनिया में एक प्रतिष्ठित नाम हैं। उन्होंने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में कई हिट फिल्में दी हैं और उनका प्रशंसक वर्ग बहुत बड़ा है। इसके अलावा, वे सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहे हैं और अब राजनीतिक पटल पर भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं।
सुरेश गोपी ने अपने बयान में यह कहा कि वे अपने संसदीय क्षेत्र के लिए हमेशा उपलब्ध रहेंगे। वे चाहते हैं कि उनकी फिल्मों के साथ-साथ उनका राजनीतिक करियर भी सही दिशा में आगे बढ़े।
इस मामले ने सुरेश गोपी को एक ऐसी स्थिति में डाल दिया है, जहां उन्हें अपने फिल्म और राजनीति के बीच संतुलन स्थापित करना होगा। यह एक गंभीर विषय है क्योंकि उनकी दोनों जिम्मेदारियाँ महत्वपूर्ण हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि सुरेश गोपी किस प्रकार अपने कॅरियर में इस संकट का समाधान निकालते हैं और फिल्मों और राजनीति के बीच संतुलन बनाते हैं। जनता और उनके प्रशंसक अब उनकी इस प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि वे किस दिशा में अपने कदम बढ़ाते हैं।
एक टिप्पणी लिखें