अमेरिकी राष्ट्रपति-चुनाव डोनाल्ड ट्रंप द्वारा फ्लोरिडा के सेनेटर मार्को रुबियो को विदेश मंत्री के रूप में नामांकित करना न केवल अमेरिकी राजनीति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसका व्यापक प्रभाव होगा। रुबियो को एक प्रखर चीन विरोधी नेता के रूप में जाना जाता है और वे भारत के साथ रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने की वकालत करते हैं। यह अमेरिका के बदलते विदेश नीति की दिशा को स्पष्ट करता है, जिसमें चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने और भारत के साथ सामरिक साझेदारी को बढ़ावा देने की मंशा साफ दिखाई देती है।
मार्को रुबियो ने जुलाई में एक अहम बिल पेश किया था, जिसका उद्देश्य भारत को उन्हीं स्तरों पर लाना है जिन पर अमेरिका जापान, इज़राइल, दक्षिण कोरिया और नाटो के अन्य सहयोगियों के साथ संबंध रखता है। इस बिल का विचार भारत की क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा में मदद करना और पाकिस्तान को आतंकवाद के प्रायोजन में शामिल पाए जाने पर उसकी सुरक्षा सहायता को रोकना है। रुबियो का इस बिल के माध्यम से स्पष्ट संदेश था कि भारत पिछले कुछ दशकों में अमेरिका के प्रमुख रणनीतिक साझेदार के रूप में उभर रहा है।
रुबियो ने चीन के आक्रामक प्रसार के खिलाफ बार-बार अपनी चिंता व्यक्त की है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों को रोकने के लिए उन्होंने सख्त कदम उठाने की बात की है। उनका कहना है कि चीन, अमेरिका के क्षेत्रीय सहयोगियों की संप्रभुता और स्वायत्तता को बाधित करने का प्रयास कर रहा है। ऐसे में भारत के साथ रणनीतिक, कूटनीतिक, आर्थिक और सैन्य संबंधों को बढ़ाना समय की आवश्यकता है।
रुबियो ने चीनी सोशल मीडिया एप टि्कटॉक पर भी निशाना साधा है। उनका मानना है कि इसकी चीनी मूल कंपनी के कारण इसके जरिए चीन को अमेरिकी यूजर डेटा तक पहुंचने का अवसर मिल सकता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। वे इस एप पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह कर चुके हैं और यह मामला उनकी सुरक्षा नीति के मुख्य मुद्दों में से एक रहा है।
रुबियो की ट्रंप के प्रति निष्ठा चुनाव के शुरुआती दौर में कुछ कम थी, लेकिन समय के साथ यह बदल गई। अब ट्रंप ने उन्हें 'निडर योद्धा' और 'हमारे सहयोगियों के सच्चे मित्र' के रूप में मान्यता दी है। रुबियो का चयन ट्रंप प्रशासन की विदेश नीति में उनके विश्वास को प्रदर्शित करता है। इस नीति में मुख्य फोकस अमेरिका के पारंपरिक दुश्मनों के खिलाफ सख्त रुख और गठबंधनों को मजबूत करना है।
रुबियो के साथ ही यूएस प्रतिनिधि माइकल वॉल्टज़ को नए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है। यह निर्णय ट्रंप प्रशासन की राष्ट्रीय और विदेश नीति के प्राथमिकताओं को दर्शाता है। वॉल्टज़ ने भारत के साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने और चीन की व्यापार और आर्थिक नीतियों की आलोचना की है।
ट्रम्प प्रशासन चीन के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए रखने की योजना बना रहा है, जो उनके पहले कार्यकाल की प्रमुख विशेषता थी। ट्रंप ने अपने प्रथम कार्यकाल में चीन को एक रणनीतिक प्रतिद्वंदी और खतरा कहा था और अमेरिका-भारत संबंधों को नई ऊंचाइयां दी थी। उन्होंने 2017 में चतुर्भुज समूह (क्वाड) को पुनर्जीवित किया और रक्षा सहयोग में बाधाओं को हटाकर दो महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
16 जवाब
अमेरिकी राजनीति में मार्को रुबियो का चयन एक बड़ी जीत है।
उनका चीन‑विरोधी रुख भारतीय रणनीतिक हितों के साथ मेल खाता है।
इस कदम से इंडो‑पैसिफिक क्षेत्र में शक्ति संतुलन बदल सकता है।
रुबियो का बिल भारत को अमेरिका के प्रमुख सहयोगियों में बराबर रखता है।
यह पहल भारत की क्षेत्रीय अखंडता को सुदृढ़ करने में मदद करेगी।
साथ ही, पाकिस्तान के आतंकवादी समर्थन को रोकने का स्पष्ट संदेश देती है।
चीन की ताइकून‑वसंत नीति को रोकने के लिए सख्त कदम जरूरी हैं।
टिकटोक जैसे चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध डेटा सुरक्षा के लिहाज़ से आवश्यक है।
इस नीति से अमेरिकी उपयोगकर्ताओं की निजी जानकारी बची रहेगी।
ट्रम्प की सरकार में रुबियो की भूमिका हमें अमेरिकी‑भारत गठबंधन को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगी।
भारत के साथ मिलकर क्वाड को मजबूत करना क्षेत्रीय स्थिरता के लिए फायदेमंद है।
रक्षा सहयोग में तकनीकी साझेदारी से दोनों देशों को युद्ध क्षमता में सुधार मिलेगा।
आर्थिक स्तर पर भी यह साझेदारी व्यापार को बढ़ावा देगी और नौकरियां उत्पन्न करेगी।
चीन के साथ प्रतिस्पर्धा में आर्थिक प्रतिबंधों को सुदृढ़ करना आवश्यक है।
कुल मिलाकर, रुबियो का चयन यूएस की विदेश नीति में एक स्पष्ट दिशा दर्शाता है।
हमें इस दिशा में सतर्क रहकर अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करनी चाहिए।
रुबियो का प्रोजेक्ट भारत को US के साथ बराबर ले जाने की कोशिश कर रहा है। ये बहुत ही पॉज़िटिव कदम है क्योंकि दोनों देश के बीच भरोसा बढ़ेगा। मुझे लगता है कि इससे सुरक्षा संबंध भी मजबूत होंगे। साथ ही, चीन के बढ़ते दबाव को रोकना जरूरी है। चलो, इस दिशा में सबको मिलकर काम करना चाहिए।
बिल्कुल सही, यह स्ट्रैटेजिक अलाइन्मेंट एशिया‑पैसिफिक में एक टेक्टिकल एज फॉर्म करता है 😊
रुबियो का एन्क्रिप्शन और डेटा‑सेक्योरिटी पॉइंट भी काफ़ी क्लियर है।
डिफ़ेंस एबिलिटी बढ़ाने के लिए काउंटर‑इंटेलिजेंस शेयरिंग ज़रूरी है।
रुबियो के चयन से अमेरिकी विदेश नीति में स्पष्ट दिशा दिखाई देती है। भारत के साथ सहयोग को मजबूत करना इस नीति का मुख्य बिंदु है। चीन के खिलाफ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। यह निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से लाभकारी है।
चीन को कड़ी रोशनी में लाना आवश्यक है।
सही कहा 🙌 भारत‑अमेरिका साझेदारी को आगे बढ़ाना चाहिए। टिकटोक बंद करने से डेटा सुरक्षा बेहतर होगी।
ओह, फिर से वही पुरानी कहानी-अमेरिका चीन को डराने के लिए भारत को कूदता देख रहा है। जैसे ही रुबियो को पोस्टर पर लगा दिया गया, सब ठीक हो गया।
विचार करो, क्या शक्ति का संतुलन वास्तव में संतुलन है या सिर्फ एक नया चेहरा? 🌪️
भारत को कोई भी विदेशी दबाव झेलना नहीं चाहिए, चाहे वह चीन हो या अमेरिका। हमारी रणनीति अपना मार्ग खुद तय करनी चाहिए।
सही कहा भाई, इस रिलेशनशिप को स्केल अप करने के लिए इको-सीस्टम प्रॉफिटेबल बनाना पड़ेगा।
बिल्कुल, स्केल अप स्ट्रैटेजी में दोनों देशों के म्यूचुअल इंट्रेस्ट को मैक्सिमाइज़ करना चाहिए 😊। इस तरह से लंबी अवधि का कोऑपरेशन स्थापित हो सकता है।
सभी को पता है कि रुबियो का बकवास सिर्फ पॉलिटिकल शो है लेकिन असली इम्पैक्ट क्या होगा देखना बाकी है
रुबियो की नीतियों से हमें क्या लाभ मिलेगा, यह समझना ज़रूरी है। क्या यह भारत की सुरक्षा में मदद करेगा? चलिए, इस पर और चर्चा करते हैं।
रुबियो का प्लान रंग-बिरंगी पर दिखता है पर असर कमाल का हो सकता है।
आह, फिर से वही पुरानी बात-अमेरिकन पावर प्ले। लेकिन क्या यह वास्तव में बदलता है?
मैं समझती हूँ कि कई लोग इस पर उत्साहित हैं, लेकिन हमें सतर्क रहना भी जरूरी है 🚨। भारत की आज़ादी और स्वायत्तता को किसी भी बाहरी दबाव से बचाना हमारा फर्ज़ है।