जब भारी बारिश, एक ऐसी प्राकृतिक घटना जो लगातार और अत्यधिक वर्षा के रूप में होती है, जिससे नदियाँ उफन जाती हैं और जमीन भीग जाती है. इसे कभी-कभी अत्यधिक वर्षा भी कहा जाता है, तो यह सिर्फ गीली हवा नहीं, बल्कि जीवन को बदल देने वाली शक्ति होती है। ये बारिशें जब अचानक आती हैं, तो इंसानी जीवन, बुनियादी ढांचा और प्राकृतिक वातावरण तीनों पर गहरा असर डालती हैं।
इसका सबसे खतरनाक परिणाम होता है भूस्खलन, पहाड़ी ढलानों से मिट्टी, पत्थर और पेड़ों का अचानक नीचे गिरना, जो आमतौर पर भारी बारिश या भूकंप के कारण होता है. दार्जिलिंग में 2025 में ऐसी ही बारिश ने 28 लोगों की जान ले ली और सैकड़ों पर्यटक फंस गए। इसी तरह, बाढ़, नदियों के बाहर निकल जाने से होने वाला जलप्रलय, जो ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों को डूबा देता है. गुजरात और महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों में साइक्लोन शक्ति के साथ आई भारी बारिश ने बाढ़ की लहर दौड़ा दी। इन आपदाओं के बीच, NDRF, राष्ट्रीय आपातकालीन बल, जो भारत सरकार की एक विशेष टीम है जो बाढ़, भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं में बचाव कार्य करती है. तुरंत घटनास्थल पर पहुँचती है। इन टीमों के बिना, ये आपदाएँ और भी भयानक हो जातीं।
इन सबके बीच, मौसम चेतावनी, भारतीय मौसम विभाग (IMD) द्वारा जारी की जाने वाली अलर्ट, जो भारी बारिश, साइक्लोन या बाढ़ के आने की संभावना के बारे में लोगों को समय से पहले जानकारी देती है. जीवन बचाने का सबसे बड़ा हथियार होती है। जब IMD ने गुजरात-महाराष्ट्र तट के लिए चेतावनी जारी की, तो लाखों लोगों ने अपनी जान बचाई। लेकिन अगर ये चेतावनी न होती, तो नुकसान दोगुना हो जाता।
इस लिस्टिंग में आपको ऐसी ही घटनाओं की विस्तृत रिपोर्ट्स मिलेंगी — जहाँ भारी बारिश ने जिंदगियाँ बदल दीं, जहाँ बचाव की कोशिशें काम आईं, और जहाँ लोगों ने अपने घरों को बचाने के लिए लड़ाई लड़ी। ये सिर्फ खबरें नहीं, बल्कि जीवन और मौसम के बीच का वास्तविक संघर्ष हैं।
भारतीय मौसम विभाग ने वयनाड, मलप्पुरम, कोझिकोड और कन्नूर में 2 दिसंबर को लाल चेतावनी जारी की है, जिसमें 200 मिमी से अधिक बारिश की भविष्यवाणी है। बाढ़ और भूस्खलन के खतरे के कारण आपातकालीन तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।
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