भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 2 दिसंबर, 2025 को वयनाड, मलप्पुरम, कोझिकोड और कन्नूर जिलों के लिए लाल चेतावनी जारी कर दी है। इन जिलों में अगले 24 घंटों में 115.6 मिमी से लेकर 204.4 मिमी तक की अत्यधिक बारिश की भविष्यवाणी की गई है — जो बाढ़ और भूस्खलन का कारण बन सकती है। यह चेतावनी एक ऐसे मौसमी तंत्र के कारण है, जो 23 नवंबर को मलक्का जलडमरूमध्य और दक्षिणी अंडमान सागर में एक निम्न दबाव क्षेत्र के रूप में शुरू हुआ था, और फिर 24 नवंबर को दक्षिणी बंगाल की खाड़ी में एक उष्णकटिबंधीय अवनमन में बदल गया। अब यह प्रणाली पश्चिमोत्तर की ओर बढ़ रही है और केरल के उत्तरी भागों को टक्कर देने वाली है।
ये बारिश सामान्य से कहीं ज्यादा तीव्र है। जब IMD लाल चेतावनी जारी करता है, तो इसका मतलब है कि क्षेत्र में एक दिन में 200 मिमी से अधिक बारिश हो सकती है — यानी एक दिन में दो हफ्तों की औसत बारिश। वयनाड जैसे जिले तेजी से बढ़ते पहाड़ी क्षेत्र हैं, जहां भूस्खलन का खतरा बहुत अधिक होता है। 2018 के बाद से यहां अब तक का सबसे भयावह बारिश का मौसम आ रहा है। वैसे तो 1 दिसंबर को पलक्कड़, एर्नाकुलम, इडुक्की और त्रिशूर में नारंगी चेतावनी थी, लेकिन 2 दिसंबर को लाल चेतावनी का दायरा उत्तरी केरल तक फैल गया है। यह बात अच्छी नहीं है, क्योंकि ये जिले पहले से ही नमी से भरे हुए हैं।
IMD के 20 नवंबर के प्रेस रिलीज के अनुसार, यह तूफान एक निम्न दबाव क्षेत्र से शुरू हुआ, जो दक्षिणी बंगाल की खाड़ी में एक अवनमन में बदल गया। यह अवनमन अब अपनी तीव्रता बढ़ा रहा है, और इसके साथ तेज हवाएं भी आ रही हैं। सागर के किनारे 35 से 45 किमी/घंटा की गति से हवाएं चल रही हैं, और कभी-कभी तो 55 किमी/घंटा तक की तूफानी गुस्से के साथ। ये हवाएं न केवल बारिश को बढ़ा रही हैं, बल्कि समुद्र में भी खतरनाक लहरें पैदा कर रही हैं। इसलिए मछुआरों को समुद्र से दूर रहने की सख्त सलाह दी गई है।
केरल के अधिकारियों ने अभी तक आपातकालीन टीमों को सक्रिय कर दिया है। वयनाड के कुछ गांवों में तो पहले से ही नदियां बाढ़ से भर रही हैं। एक स्थानीय ग्रामीण ने कहा, "हमने अभी तक इतनी तेज बारिश नहीं देखी। बरसात शुरू होते ही पहाड़ों से पत्थर और मिट्टी के ढेर आ रहे हैं।" यहां के कई घर अभी भी दोहरी छतों वाले हैं, जो भारी बारिश के लिए तैयार नहीं हैं। बच्चों के लिए स्कूल बंद कर दिए गए हैं, और कुछ राजमार्ग बंद हो चुके हैं। एक राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया टीम (NDRF) के अधिकारी ने कहा, "हम तीन टीमें वयनाड और कन्नूर में तैनात कर चुके हैं। बचाव अभियान अभी शुरू हुआ है, लेकिन अगर बारिश अपेक्षित से ज्यादा हुई, तो यह बहुत बड़ी चुनौती बन जाएगी।"
IMD के अनुसार, 3 दिसंबर को भी लाल चेतावनी जारी रहेगी — अब इसमें कासरगोड भी शामिल है। यह अनुमान है कि यह तूफानी प्रणाली लगभग 4 दिसंबर तक इसी तरह चलेगी। दक्षिणी केरल में तो अभी भी पीली चेतावनी लागू है — यानी अभी भी 64.5 मिमी से अधिक बारिश की उम्मीद है। वैसे तो तापमान नीचे रहने का अनुमान है (2-4°C कम), लेकिन यह बारिश को और भी तीव्र बना रहा है। जब हवा ठंडी होती है और समुद्र का पानी गर्म रहता है, तो नमी अधिक बनती है — और इसका असर बारिश पर पड़ता है।
2018 में भी केरल में ऐसी ही भयावह बारिश हुई थी, जिसमें 483 लोग मारे गए और लाखों लोग घर छोड़ने को मजबूर हुए। तब भी वयनाड और कोझिकोड सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे। उस समय के बाद से राज्य सरकार ने भूस्खलन चेतावनी प्रणाली अपग्रेड की थी, लेकिन अभी भी गांवों में अधिकांश लोग अभी भी अलर्ट सिस्टम को समझते नहीं हैं। एक वैज्ञानिक ने कहा, "हमारे पास डेटा है, लेकिन उसे समय पर लोगों तक पहुंचाने का तरीका नहीं है। अगर आज का अलर्ट भी बेकार हो गया, तो अगले साल भी वही गलती होगी।"
हां। अगर आप इन जिलों में रहते हैं, तो ये कदम उठाएं:
सबसे बड़ी बात — अलर्ट नजरअंदाज मत करें। ये सिर्फ एक बारिश नहीं, ये एक जीवन-मरण का मुद्दा है।
लाल चेतावनी का मतलब है कि एक दिन में 115.6 मिमी से अधिक बारिश होने की संभावना है, जो भारी बाढ़ और भूस्खलन का कारण बन सकती है। यह IMD की सबसे उच्च चेतावनी स्तर है। इस दौरान सभी आपातकालीन सेवाएं सक्रिय हो जाती हैं और लोगों को अपने घरों से बाहर निकलने की सलाह दी जाती है।
समुद्र के किनारे 35 से 45 किमी/घंटा की हवाएं चल रही हैं, और तूफानी गुस्से 55 किमी/घंटा तक पहुंच सकते हैं। ऐसी हवाओं के साथ समुद्र में लहरें 4-5 मीटर तक पहुंच सकती हैं, जो छोटी नावों को डुबो सकती हैं। इसलिए सभी मछुआरों को समुद्र में जाने से मना किया गया है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि दक्षिण भारत में अत्यधिक बारिश के घटनाक्रम पिछले 15 वर्षों में 40% बढ़ गए हैं। यह बंगाल की खाड़ी के पानी के तापमान में वृद्धि और उष्णकटिबंधीय तूफानों के अधिक बनने के कारण है। जलवायु परिवर्तन के कारण अब ऐसी बारिश अचानक और तेजी से आ रही है।
हां। वयनाड एक पहाड़ी जिला है जिसकी 80% भूमि ढालू है। यहां की मिट्टी जल्दी भीग जाती है और बारिश के बाद फिसल जाती है। 2018 के भूस्खलन में 200 से अधिक लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकांश वयनाड में थे। इस बार भी यही जोखिम बना हुआ है।
हां। केरल सरकार ने 29 नवंबर को आपातकालीन राहत कोष शुरू किया है, जिसमें 50 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसमें भोजन, दवाइयां और अस्थायी आश्रय शामिल हैं। NDRF और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया टीमें भी तैनात हैं। लेकिन अभी तक कोई बड़ा बाढ़ नहीं आई है, इसलिए अभी तक राहत कार्य तैयारी पर केंद्रित हैं।
IMD के अनुसार, अगले 10 दिनों में और दो अवनमन की संभावना है। जलवायु परिवर्तन के कारण अब ये घटनाएं एक साल में 3-4 बार हो रही हैं, जबकि पिछले दशक में यह 1-2 बार ही होती थीं। इसलिए अगली बार अगले महीने या फरवरी में भी ऐसा हो सकता है।
2 जवाब
इस बारिश का असर सिर्फ केरल तक ही नहीं, पूरे दक्षिण भारत को झेलना पड़ रहा है। वयनाड के गांवों में तो लोग अभी भी छतों के नीचे बैठे हैं, बिना किसी सुरक्षा के। हमें बस चेतावनी नहीं, बल्कि व्यावहारिक समाधान चाहिए। जल्दी से बुनियादी ढांचे को मजबूत करो, न कि बस एलर्ट भेजो।
ये सब बकवास है। सरकार ने तो 2018 के बाद से कुछ नहीं किया। अब फिर लाल चेतावनी? ये तो बस फोटो खींचने के लिए है। जब तक लोगों को नहीं सिखाया जाएगा कि भूस्खलन क्या होता है, तब तक ये बारिश भी बेकार होगी।