मुंबई पुलिस, भारत की सबसे बड़ी और सबसे व्यस्त शहरी पुलिस बल है, जो 20 मिलियन से अधिक आबादी की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाती है। इसे मुंबई नगर पुलिस भी कहा जाता है, और यह सिर्फ गाड़ियों के ट्रैफिक को नियंत्रित करने तक सीमित नहीं है — यह बड़े अपराध, डिजिटल अपराध, आतंकवाद और नागरिक अशांति के सामने भी पहली पंक्ति में खड़ी होती है।
मुंबई पुलिस के अंदर अलग-अलग इकाइयाँ हैं — सीआरपीएफ, जो आतंकवादी धमकियों के खिलाफ विशेष अभियान चलाती है। फिर है साइबर सेल, जो ऑनलाइन धोखाधड़ी, डेटा चोरी और सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ के मामलों की जांच करता है। और नियमित रूप से, एंटी-नारकोटिक्स विंग, जो देश का सबसे बड़ा नशीली द्रव्य आयात नेटवर्क तोड़ती है। ये सभी इकाइयाँ मिलकर एक ऐसा नेटवर्क बनाती हैं जो किसी भी बड़े अपराध के लिए तैयार रहता है।
क्या आपने कभी सोचा है कि एक बड़ा धोखाधड़ी मामला कैसे हल होता है? मुंबई पुलिस अब डेटा एनालिटिक्स और सीसीटीवी फुटेज का इस्तेमाल करके अपराधियों को घर बैठे पकड़ लेती है। एक बार एक चोर ने 50 बार एक बैंक एटीएम लूटने की कोशिश की — पुलिस ने उसकी आदतों को पहचान लिया और उसे एक दिन में गिरफ्तार कर लिया। ये तकनीक अब आम हो गई है।
मुंबई पुलिस की कार्रवाई सिर्फ अपराध रोकने तक सीमित नहीं है। वे नागरिकों के साथ जुड़े रहते हैं — एक बार एक बच्ची गायब हो गई थी, और उसके माता-पिता ने फेसबुक पर एक पोस्ट डाली। उसी रात, पुलिस ने एक वीडियो के आधार पर उसे ढूंढ निकाला। आज, मुंबई पुलिस के लिए नागरिक एक साथी है, न कि बस एक निरीक्षक।
इस वेबपेज पर आपको ऐसे ही ताज़ा और गहरे मामले मिलेंगे — जहाँ बड़े गिरफ्तारी, जांच की नई तकनीकें, और पुलिस के अहम कदमों को आप सीधे देख सकते हैं। यहाँ आपको कोई रिपोर्ट नहीं मिलेगी जो सिर्फ शीर्षक के लिए बनी हो। सब कुछ वास्तविक है, जिसे आपके शहर के लोगों ने अपनी आँखों से देखा है।
मुंबई के राज स्टूडियो में बच्चों को बंधक बनाकर रोहित आर्या ने भयानक घटना को अंजाम दिया, जिसके बाद मुंबई पुलिस ने उसे गोली मार दी। वह जेजे अस्पताल में तब तक जिंदा रहा जब तक डॉक्टरों ने मौत की घोषणा नहीं कर दी।
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