अंतरिक्ष को सिर्फ़ वैज्ञानिकों की खेलने वाली जगह नहीं माना जाता अब. हर साल लाखों रुपये के खर्च से लॉन्च होने वाले पारंपरिक रॉकेट ने एक बड़ा सवाल खड़ा किया: क्या हम इसे दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं? यही सवाल है जो रियूजेबल रॉकेट की कहानी को शुरू करता है.
पहली बार स्पेसएक्स ने फाल्कन 9 को जमीन पर लैंड किया, तो दुनिया ने देखा कि रॉकेट के पहले चरण को फिर से इस्तेमाल करना संभव है. इसका मतलब दो चीज़ें: लॉन्च खर्च घटता है और प्रोडक्शन टाइम तेज़ होता है. अगर एक रॉकेट का पहला स्टेज 10 बार इस्तेमाल हो सके, तो हर मिशन पर बचत सैकड़ों करोड़ रुपये की हो सकती है.
रीयूजेबल रॉकेट के दो मुख्य भाग होते हैं – बूस्टर और फर्स्ट स्टेज। बूस्टर को लैंडिंग पैड या ड्रोनेज में वापस लाया जाता है, जबकि दूसरा हिस्सा एकबार उपयोगी रहता है. इस प्रक्रिया में थर्मल प्रोटेक्शन, री-फ़्यूलिंग सिस्टम और सटीक नेविगेशन बहुत अहम हैं.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भी इस दिशा में काम कर रहा है. स्काईहूप प्रोजेक्ट एक ऐसा प्रयास है जो छोटे सैटेलाइट लॉन्च करने वाले पुन: उपयोग योग्य रॉकेट तैयार करने का लक्ष्य रखता है. अगर यह सफल हो गया, तो भारत की स्पेस एंट्री लागत में भारी कटौती होगी और निजी कंपनियों को भी मौका मिलेगा.
स्टार्ट‑अप्स जैसे अडानी वैक्यूम और इन्फिनिटी स्पेसेस ने पहले ही प्रोटोटाइप बनाकर परीक्षण शुरू कर दिया है. उनका फोकस सस्ते मटेरियल, 3D प्रिंटिंग और स्वायत्त लैंडिंग तकनीक पर है. इस तरह के प्रयोग भारत को अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाएंगे.
रियूजेबल रॉकेट का एक बड़ा फायदा यह भी है कि वह जल्दी-जल्दी लॉन्च शेड्यूल बना सकता है. इससे टेलीकॉम, मौसम विज्ञान और रक्षा जैसे क्षेत्रों में सैटेलाइट्स की मांग तुरंत पूरी हो सकेगी.
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भविष्य में रियूजेबल रॉकेट के साथ अंतरिक्ष यात्रा सस्ती, तेज़ और अधिक सुरक्षित हो सकती है. इस तकनीक को अपनाने वाले देश न केवल अपने बजट बचाएंगे, बल्कि नई नौकरियों और उद्योगों का निर्माण भी करेंगे.
तो अब जब आप अगली बार अंतरिक्ष से जुड़ी खबर पढ़ें, तो याद रखें कि रियूजेबल रॉकेट सिर्फ़ एक तकनीक नहीं, वह हमारे जीवन को बदलने की क्षमता रखता है. इस टैग में अपडेटेड लेखों के साथ रहें और स्पेस का हिस्सा बनें.
एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने रविवार को तकनीकी क्षेत्र में एक बड़ा मील का पत्थर हासिल किया। उन्होंने सफलता पूर्वक एक लौटते हुए बूस्टर रॉकेट को यांत्रिक बाहों से पकड़ने में सफलता पाई। यह उपलब्धि रियूजेबल रॉकेट के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और यह भविष्य में अंतरिक्ष यात्रा को अधिक किफायती बनाने में मदद कर सकती है। इस सफलता ने स्पेसएक्स की अग्रणी स्थिति को और भी मजबूती से स्थापित किया है।
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