टेनिस – भारत में बढ़ता रोचक खेल

जब बात टेनिस, रैकेट और गेंद से खेले जाने वाला तेज़ गति वाला खेल की आती है, तो यह सिर्फ एक एथलेटिक एक्टिविटी नहीं है, बल्कि रणनीति, फिटनेस और मनोवैज्ञानिक दृढ़ता का मिश्रण है। टेनिस के हर शॉट में तकनीक और माइंडसेट का टकराव देखने को मिलता है, और यही कारण है कि लोग इसे इतना पसंद करते हैं। इस खेल का दायरा बहुत बड़ा है: छोटे शहर के क्लब से लेकर बड़े अंतरराष्ट्रीय मंच तक, हर स्तर पर मौका मिलता है।

मुख्य घटक और उनके परस्पर संबंध

टेनिस में ग्रैंड स्लेम, ऑस्टिन, पेरिस, लंदन और न्यूयॉर्क में आयोजित चार प्रमुख टुर्नामेंट सबसे बड़ा आकर्षण है। ग्रैंड स्लेम टुर्नामेंट केवल सबसे उच्च स्तर के खिलाड़ियों को ही नहीं, बल्कि लाखों दर्शकों को भी आकर्षित करता है। यही टुर्नामेंट ATP टूर, पुरुष टेनिस खिलाड़ियों की वार्षिक रैंकिंग सर्किट और WTA टूर, महिला टेनिस खिलाड़ियों की प्रोफेशनल सर्किट से जुड़ता है, क्योंकि खिलाड़ियों की रैंकिंग उसी आधार पर तय होती है। इस प्रकार, ग्रैंड स्लेम, ATP टूर और WTA टूर आपस में एक नेटवर्क बनाते हैं जहाँ हर जीत रैंकिंग को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है।

टेनिस कोर्ट की सतह भी खेल के नियमों को बदल देती है। हार्ड कोर्ट पर तेज़ बॉल बाउंस और एग्ज़ैक्ट शॉट्स की आवश्यकता होती है, जबकि क्ले कोर्ट पर स्लाइडिंग और रॉलिंग शॉट्स का खेल चलता है। ग्रास कोर्ट में सर्विस एसीस की संभावना सबसे अधिक रहती है, इसलिए खिलाड़ी को सर्विस की गति और दिशा में अधिक ध्यान देना पड़ता है। इन विभिन्न सतहों की समझ बिना किसी कोच के नहीं हो सकती, इसलिए टेनिस कोचिंग, तकनीकी, फिजिकल और टैक्टिकल प्रशिक्षण का समुच्चय का रोल अहम है। कोचिंग न केवल शॉट चयन में मदद करती है, बल्कि फिटनेस प्रोग्राम और मैनेजमेंट स्ट्रैटेजी भी डिजाइन करती है।

भारत में टेनिस की लोकप्रियता में हाल के वर्षों में उछाल आया है। भारतीय टेनिस खिलाड़ी, सैनिया मिर्जा, रवीन्द्र जॉइन, रितिक शॉ ने अंतरराष्ट्रीय सर्किट में लगातार अच्छे प्रदर्शन दिखाए हैं। इन खिलाड़ियों की सफलता ने बड़े शहरों में अकादमी और प्रशिक्षण केंद्रों की संख्या बढ़ा दी है। साथ ही, राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित टेनिस लीग और स्कूल प्रतियोगिताएँ युवा प्रतिभाओं को मंच देती हैं, जिससे भविष्य में और अधिक खिलाड़ी ग्रैंड स्लेम की ओर बढ़ेंगे।

टेनिस का दिमागी पहलू भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना की शारीरिक भाग। मानसिक दृढ़ता, मैच के दबाव को संभालना और रणनीतिक सोच खेल के परिणाम को सीधे प्रभावित करती है। कई बार एक ही सेट में दो अलग-अलग खेल दिखाए जाते हैं – शुरुआती आँकड़े और अंत में मोड़। इसलिए एक खिलाड़ी को अपने गेम प्लान को लचीलापन के साथ बदलना आना चाहिए। इस प्रकार, टेनिस सिर्फ शारीरिक प्रशिक्षण नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक ट्रेनिंग भी मांगता है, जिससे यह एक संपूर्ण विकास का साधन बन जाता है।

अब आप नीचे की सूची में विभिन्न लेखों में टेनिस से जुड़ी गहरी जानकारी पाएँगे – चाहे वह विश्व स्तर के टूर्नामेंट की समीक्षा हो, भारत में उभरते स्टार्स की प्रोफ़ाइल हो, या कोर्ट सतह के विज्ञान पर चर्चा। इस पेज को पढ़कर आपको टेनिस की व्यापक समझ मिल जाएगी और आप अपने खेल या दर्शक अनुभव को नई दिशा दे सकेंगे।

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सितंबर 29, 2025 Priyadharshini Ananthakumar

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