KBC जूनियर विजेता रवि मोहन सैनी: 14 की उम्र में 1 करोड़, आज पोरबंदर के एसपी

अगस्त 27, 2025 0 टिप्पणि Priyadharshini Ananthakumar

क्विज शो से पुलिस सेवा तक: एक दुर्लभ सफर

14 साल की उम्र में टीवी पर 1 करोड़ रुपये जीतने वाला बच्चा अगर आगे चलकर किसी जिले की कमान संभाले तो कहानी दिलचस्प हो जाती है। 2001 में KBC जूनियर के मंच पर सबको चौंकाने वाले रवि मोहन सैनी आज गुजरात के पोरबंदर के एसपी हैं। यह वही पोरबंदर है जो तटीय सुरक्षा, मछुआरा समुदाय और समुद्री व्यापार के कारण पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण माना जाता है।

अलवर, राजस्थान में 21 अप्रैल 1987 को जन्मे रवि का बचपन सशक्त अनुशासन और सेवा की भावना के बीच बीता। उनके पिता भारतीय नौसेना में थे और रिटायरमेंट तक देश सेवा करते रहे। परिवार की यही पृष्ठभूमि रवि के अंदर भी जिम्मेदारी और राष्ट्रभक्ति की ठोस नींव रखती है।

रवि ने स्कूली पढ़ाई विशाखापट्टनम के नेवल पब्लिक स्कूल से की। पढ़ाई में उनकी मजबूत पकड़ का अंदाज़ा उसी दौर में हो गया था जब KBC जूनियर—जिसे अमिताभ बच्चन ने होस्ट किया—में उन्होंने लगातार 15 सवाल सही जवाब देकर 1 करोड़ रुपये जीते। मंच पर उनकी सधी हुई भाषा, फोकस और आत्मविश्वास ने दर्शकों और विशेषज्ञों दोनों को प्रभावित किया। उस समय उनके पिता ने साफ कहा था—यह रकम बेटे की उच्च शिक्षा पर ही खर्च होगी।

यही हुआ। रवि ने जयपुर के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज से MBBS किया। मेडिकल डिग्री के बाद उन्होंने वह रास्ता चुना जिसे चुनने का साहस कम लोग कर पाते हैं—सिविल सेवा। डॉक्टर बनकर स्थिर करियर लेने के बजाय उन्होंने देश-सेवा का दायरा बढ़ाने का फैसला किया और UPSC की तैयारी शुरू की।

कहानी यहां भी आसान नहीं रही। उन्होंने UPSC सिविल सेवा परीक्षा दो बार क्लियर की और आखिरकार भारतीय पुलिस सेवा (IPS) जॉइन की। मेडिकल बैकग्राउंड से आने के बावजूद कानून-व्यवस्था, जांच तकनीक और नेतृत्व कौशल में खुद को ढालना आसान नहीं था, लेकिन प्रशिक्षण और फील्ड पोस्टिंग्स ने उन्हें एक प्रभावी पुलिस लीडर बनाया।

KBC का 2001 वाला जूनियर फॉर्मेट उस समय बच्चों के बीच क्विज कल्चर को नई ऊर्जा दे रहा था। लाखों दर्शक हर एपिसोड में देखते थे कि कैसे एक स्कूली छात्र सामान्य ज्ञान और तर्क से करोड़ों की राशि तक पहुंच सकता है। रवि ने यह साबित किया कि मंच पर मिली चर्चा अगर पढ़ाई और लक्ष्य पर निवेश हो, तो उसका असर लंबे समय तक रहता है।

पोरबंदर की कमान: जिम्मेदारियां, चुनौतियां और सीख

IPS में आने के बाद रवि की पोस्टिंग्स ने उन्हें अलग-अलग तरह की जमीनी चुनौतियों से रूबरू कराया। पोरबंदर जैसे तटीय जिले में एसपी की कुर्सी सिर्फ कानून-व्यवस्था संभालना नहीं है। यहां समुद्री सीमा की निगरानी, तस्करी और अवैध गतिविधियों पर रोक, मछुआरों की सुरक्षा, और बंदरगाहों के आसपास सुरक्षा समन्वय जैसे मसले रोज सामने आते हैं।

तटीय जिलों में पुलिस को कोस्ट गार्ड, मरीन पुलिस और खुफिया एजेंसियों के साथ समन्वय में काम करना पड़ता है। मौसम, ज्वार-भाटा, और समुद्री यातायात की अनिश्चितता के बीच किसी भी इनपुट पर तुरंत कार्रवाई जरूरी होती है। इस तरह की पोस्टिंग एक अधिकारी की निर्णय-क्षमता, टीम मैनेजमेंट और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल—जैसे समुद्री रडार, ट्रैकिंग सिस्टम और संचार नेटवर्क—सबकी संयुक्त परीक्षा लेती है।

रवि की मेडिकल पृष्ठभूमि यहां भी मदद करती है। भीड़-भाड़ वाले त्योहारों की पुलिसिंग से लेकर दुर्घटनाओं और आपदाओं के समय राहत समन्वय तक, हेल्थ-एंड-सेफ्टी का उनका नजरिया फील्ड स्ट्रेटेजी में दिखता है। महिला सुरक्षा, साइबर क्राइम और नशा-रोधी अभियानों में डेटा-ड्रिवन अप्रोच और सामुदायिक भागीदारी, दोनों का संतुलन वे प्राथमिकता में रखते हैं।

कैरियर ट्रांजिशन की बात करें तो डॉक्टर से IPS तक की यात्रा यूं ही नहीं हो जाती। UPSC की तैयारी में साल-दो साल की सघन मेहनत, सिलेबस की चौड़ाई, मॉक टेस्ट, इंटरव्यू में पर्सनैलिटी की धार—यह सबलाइन मेहनत अक्सर पर्दे के पीछे छिप जाती है। रवि का केस स्टडी बताता है कि मजबूत बुनियादी पढ़ाई, अनुशासन और स्पष्ट लक्ष्य हो तो करियर की दिशा बदलकर भी आप उत्कृष्टता पा सकते हैं।

ऐसे किस्सों का असर दूर तक जाता है। स्कूलों में करियर काउंसलिंग के दौरान टीचर्स अब यह बताने लगे हैं कि विज्ञान या चिकित्सा पढ़ना मतलब सिर्फ डॉक्टर-इंजीनियर बनना नहीं, आप प्रशासन, नीति-निर्माण और आंतरिक सुरक्षा में भी योगदान दे सकते हैं। हर साल सिविल सेवा में चयनित उम्मीदवारों में अच्छी-खासी संख्या तकनीकी और मेडिकल पृष्ठभूमि की होती है—और यह विविधता प्रशासन को ज्यादा सक्षम बनाती है।

रवि की यात्रा को एक नजर में समझना आसान है, पर उसके भीतर की मेहनत चरण दर चरण दिखती है:

  • 1987: अलवर, राजस्थान में जन्म।
  • 2001: KBC जूनियर में 15 सवालों के सही जवाब के साथ 1 करोड़ की जीत; लक्ष्य—उच्च शिक्षा।
  • MBBS: जयपुर के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज से ग्रेजुएशन, विज्ञान से सेवा की ओर रुझान मजबूत।
  • UPSC: दो बार परीक्षा पास, इंटरव्यू और प्रशिक्षण के बाद IPS में शामिल।
  • सेवा: फील्ड पोस्टिंग्स के बाद गुजरात के पोरबंदर में एसपी के तौर पर नियुक्ति।

खास बात यह भी है कि टीवी शो से मिली शोहरत को उन्होंने कभी शॉर्टकट नहीं बनने दिया। न ब्रांड एंडोर्समेंट की दौड़, न सेलिब्रिटी लाइफस्टाइल—ध्यान हमेशा पढ़ाई, तैयारी और सेवा पर रहा। यही फोकस आगे चलकर प्रोफेशनल स्ट्रेंथ बना।

आज जब देश भर में लाखों छात्र UPSC की तैयारी कर रहे हैं, यह कहानी एक ठोस मैसेज देती है—स्कूल के दिनों में मिली उपलब्धि, अगर सही दिशा में निवेश हो, तो सालों बाद भी करियर की सबसे मजबूत पूंजी बन सकती है। टीवी पर पूछे गए सवालों के जवाब देना और फील्ड में असल समस्याओं के हल निकालना—दोनों अलग दुनिया हैं, पर ज्ञान, साहस और अनुशासन—इन तीनों की जरूरत दोनों जगह समान है।

रवि मोहन सैनी का सफर यही बताता है: मंच कोई भी हो—क्विज का या कानून-व्यवस्था का—तैयारी पक्की हो तो नतीजा लंबी दूरी तय कराता है। और जब मंजिल पोरबंदर जैसे रणनीतिक जिले की कमान हो, तो वह जीत दर्शकों की तालियों से आगे निकलकर जनता के भरोसे में बदल जाती है।

एक टिप्पणी लिखें