शनिवार 19 अप्रैल 2025 की दोपहर 12:17 बजे अचानक अफगानिस्तान से आई खबर ने दिल्ली-NCR में दिन के सन्नाटे को हिला दिया। वहां 5.8 तीव्रता का भूकंप आया और उसके झटके जम्मू-कश्मीर, दिल्ली-NCR और पाकिस्तान के कई हिस्सों में महसूस किए गए। इस दौरान लोग कुछ पलों के लिए सहम गए। स्मार्टफोन और सोशल मीडिया पर 'भूकंप' ट्रेंड करता रहा, लेकिन राहत की बात ये रही कि शुरुआती घंटों में किसी तरह के जान-माल के नुकसान या हताहतों की खबर सामने नहीं आई।
भूकंप का केन्द्र अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा के नज़दीक था, जो जमीन से करीब 130 किलोमीटर गहराई में स्थित बताया गया। इसका असर सीमावर्ती देशों तक गया। कश्मीर के श्रीनगर में कई लोगों ने लिखा कि अचानक झटके महसूस होते ही घरों से बाहर निकल आए और कुछ देर के लिए घबराहट फैल गई। लोगों ने अपनी सुरक्षा के लिए खुले स्थानों में शरण ली।
यह अकेला भूकंप नहीं है, इसी हफ्ते 16 अप्रैल को अफगानिस्तान में 5.6 तीव्रता के झटके आए थे, जबकि पाकिस्तान में उसी सुबह 5.9 तीव्रता का भूकंप दर्ज हुआ था। इससे कुछ दिन पहले, 12 अप्रैल को पंजाब और पाक के खैबर पख्तूनख्वा इलाके भी हिल चुके हैं। लगातार बड़ी तीव्रता के झटकों से इन इलाकों में खतरा और चौकसी बढ़ गई है।
जम्मू-कश्मीर और दिल्ली-NCR दोनों ही इण्डिया के सीस्मिक जोन-4 में आते हैं, जो भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है। यहां भूकंप के हल्के या मध्यम झटके आम बात हैं। लेकिन जब भी तीव्रता 5.5 से ऊपर जाती है, डर बढ़ जाता है क्योंकि कमजोर इमारतों या पुराने क्षेत्रों में तुरंत असर दिख सकता है।
भूकंप के दौरान सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने बताया कि काम करते हुए अचानक कुर्सी हिलने लगी। किसी ने बच्चें को उठाकर बाहर ले जाने की बात कही। पंजाब, लाहौर, इस्लामाबाद, खैबर पख्तूनख्वा जैसे पाकिस्तानी क्षेत्रों में भी समान अहसास हुआ। हालांकि, कोई बड़े हादसे की जानकारी नहीं आई।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग और पाकिस्तान के मौसम विभाग दोनों हालात पर नजर रखे हुए हैं।
जानकारों का मानना है कि अफगानिस्तान का हिंदू कुश इलाका भूकंप की दृष्टि से एशिया के सबसे संवेदनशील हिस्सों में से एक है। यहां भूकंप मतलब जनजीवन का बुरी तरह प्रभावित होना, क्योंकि पहले से ही मुश्किलों के बीच जी रहे लोगों के लिए ये प्राकृतिक आपदा हालात और कठिन बना देती है। साल 2005 का भूकंप अब भी पाकिस्तान की यादों में ताजा है, जिसमें 74,000 से ज्यादा लोगों की जान गई थी। हर झटका उस दर्द को फिर से ताजा कर देता है।
इस बार भले ही नुकसान कम हो, लेकिन लगातार आ रहे झटकों से लोगों की चिंता और प्रशासन की सतर्कता दोनों ही बढ़ गई हैं। अब नजरें आगे आने वाले दिनों पर हैं—कहीं और तेज झटका तो नहीं आने वाला?
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