अफगानिस्तान में 5.8 तीव्रता का भूकंप, दिल्ली-NCR और कश्मीर तक महसूस हुए झटके

अप्रैल 21, 2025 17 टिप्पणि Priyadharshini Ananthakumar

अफगानिस्तान में जोरदार भूकंप, उत्तर भारत तक झटकों की दहशत

शनिवार 19 अप्रैल 2025 की दोपहर 12:17 बजे अचानक अफगानिस्तान से आई खबर ने दिल्ली-NCR में दिन के सन्नाटे को हिला दिया। वहां 5.8 तीव्रता का भूकंप आया और उसके झटके जम्मू-कश्मीर, दिल्ली-NCR और पाकिस्तान के कई हिस्सों में महसूस किए गए। इस दौरान लोग कुछ पलों के लिए सहम गए। स्मार्टफोन और सोशल मीडिया पर 'भूकंप' ट्रेंड करता रहा, लेकिन राहत की बात ये रही कि शुरुआती घंटों में किसी तरह के जान-माल के नुकसान या हताहतों की खबर सामने नहीं आई।

भूकंप का केन्द्र अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सीमा के नज़दीक था, जो जमीन से करीब 130 किलोमीटर गहराई में स्थित बताया गया। इसका असर सीमावर्ती देशों तक गया। कश्मीर के श्रीनगर में कई लोगों ने लिखा कि अचानक झटके महसूस होते ही घरों से बाहर निकल आए और कुछ देर के लिए घबराहट फैल गई। लोगों ने अपनी सुरक्षा के लिए खुले स्थानों में शरण ली।

पिछले 10 दिनों में लगातार कंपन, बढ़ी चिंता

पिछले 10 दिनों में लगातार कंपन, बढ़ी चिंता

यह अकेला भूकंप नहीं है, इसी हफ्ते 16 अप्रैल को अफगानिस्तान में 5.6 तीव्रता के झटके आए थे, जबकि पाकिस्तान में उसी सुबह 5.9 तीव्रता का भूकंप दर्ज हुआ था। इससे कुछ दिन पहले, 12 अप्रैल को पंजाब और पाक के खैबर पख्तूनख्वा इलाके भी हिल चुके हैं। लगातार बड़ी तीव्रता के झटकों से इन इलाकों में खतरा और चौकसी बढ़ गई है।

जम्मू-कश्मीर और दिल्ली-NCR दोनों ही इण्डिया के सीस्मिक जोन-4 में आते हैं, जो भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है। यहां भूकंप के हल्के या मध्यम झटके आम बात हैं। लेकिन जब भी तीव्रता 5.5 से ऊपर जाती है, डर बढ़ जाता है क्योंकि कमजोर इमारतों या पुराने क्षेत्रों में तुरंत असर दिख सकता है।

भूकंप के दौरान सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने बताया कि काम करते हुए अचानक कुर्सी हिलने लगी। किसी ने बच्चें को उठाकर बाहर ले जाने की बात कही। पंजाब, लाहौर, इस्लामाबाद, खैबर पख्तूनख्वा जैसे पाकिस्तानी क्षेत्रों में भी समान अहसास हुआ। हालांकि, कोई बड़े हादसे की जानकारी नहीं आई।

  • भूकंप का केन्द्र: अफगानिस्तान-ताजिकिस्तान सरहद
  • गहराई: 130 किलोमीटर
  • असर वाले क्षेत्र: दिल्ली-NCR, जम्मू-कश्मीर, लाहौर, इस्लामाबाद

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग और पाकिस्तान के मौसम विभाग दोनों हालात पर नजर रखे हुए हैं।

जानकारों का मानना है कि अफगानिस्तान का हिंदू कुश इलाका भूकंप की दृष्टि से एशिया के सबसे संवेदनशील हिस्सों में से एक है। यहां भूकंप मतलब जनजीवन का बुरी तरह प्रभावित होना, क्योंकि पहले से ही मुश्किलों के बीच जी रहे लोगों के लिए ये प्राकृतिक आपदा हालात और कठिन बना देती है। साल 2005 का भूकंप अब भी पाकिस्तान की यादों में ताजा है, जिसमें 74,000 से ज्यादा लोगों की जान गई थी। हर झटका उस दर्द को फिर से ताजा कर देता है।

इस बार भले ही नुकसान कम हो, लेकिन लगातार आ रहे झटकों से लोगों की चिंता और प्रशासन की सतर्कता दोनों ही बढ़ गई हैं। अब नजरें आगे आने वाले दिनों पर हैं—कहीं और तेज झटका तो नहीं आने वाला?

17 जवाब

khajan singh
khajan singh अप्रैल 21, 2025 AT 13:41

अफगानिस्तान के इस भूकंप ने सिस्मिक रिसर्च कम्युनिटी में कई अहम डेटा पॉइंट्स पेश किए हैं। नेटवर्क मॉनीटरिंग टूल्स ने तुरंत फ़ॉल्ट ज़ोन की पहचान कर ली। दिल्ली‑NCR में महसूस हुए कम्पन से स्थानीय इमारतों की रेजिलिएन्स टेस्‍ट पर नया लाइट डाला गया। इस इवेंट को फॉल्ट‑लाइन अनालिसिस में केस स्टडी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है 😊। आगे के मॉनिटरिंग के लिए रियल‑टाइम अलर्ट सिस्टम को इम्प्रूव करना जरूरी है।

Dharmendra Pal
Dharmendra Pal अप्रैल 21, 2025 AT 13:50

भूकंप की गहराई लगभग 130 किमी बतायी गयी है जिससे सतह पर असर का पैमाना तय होता है। इस तरह के मध्यम स्तर के झटके अक्सर कमजोर इमारतों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए स्थानीय प्रशासन को तुरंत संरचनात्मक निरीक्षण करवाना चाहिए। साथ ही, लोगों को सुरक्षित जगहों पर जाने की सलाह जारी करनी चाहिए। यह कदम भविष्य में संभावित हताहतों को कम कर सकता है।

Balaji Venkatraman
Balaji Venkatraman अप्रैल 21, 2025 AT 13:58

किसी भी प्राकृतिक आपदा में सबसे बड़ी जिम्मेदारी है लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता देना। यदि हम यह नहीं करेंगे तो क़ीमत अत्यधिक होगी। इसलिए हर सम्भव कदम उठाना चाहिए।

Tushar Kumbhare
Tushar Kumbhare अप्रैल 21, 2025 AT 14:05

भाई यह तो ग़ज़ब था, अचानक कुर्सी हिल गई और मैं काम में फँस गया 😂। ऑफिस में सबको बाहर ले जाकर एक साथ चाय पीने का प्लान बना लिया। अब से हर हिला हुआ एंट्री को टॉपिक बना लेता हूँ। थोड़ा मज़ा भी तो लियो।

Arvind Singh
Arvind Singh अप्रैल 21, 2025 AT 14:11

अरे यार, ये तो बस सोशल मीडिया का ट्रेंड है, असली बुराई तो पहले की ही थी। लोग फालतू में इमोशन दिखा रहे हैं, लेकिन पीछे की नीति तो वही पुरानी है। जब तक सिस्टम में बदलाव नहीं आएगा, ऐसे झटके सिर्फ़ पृष्ठभूमि में ही रहेंगे।

Vidyut Bhasin
Vidyut Bhasin अप्रैल 21, 2025 AT 14:18

भूकंप की तीव्रता देख कर तो लगता है कि धरती भी हमारे राजनीति के झगड़ों से थक गई है। गहराई 130 किलोमीटर? शायद हमारी अँधेरी सोच भी उतनी ही गहरी है। फिर भी, अगर हम सब मिलके धरती को समझें तो शायद कुछ कम हो। लेकिन क्यों न हम पहले अपनी ही नींव मजबूत करें?

nihal bagwan
nihal bagwan अप्रैल 21, 2025 AT 14:26

यह हल्का भूकंप नहीं, यह राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर एक चेतावनी है। अफगान सीमा पर लगातार भूकंपीय गतिविधि हमारे पड़ोसियों को अस्थिर कर रही है, और इसका प्रभाव सीधे हमारे राष्ट्रीय हितों पर पड़ता है। हमें इस को लेकर त्वरित कदम उठाने चाहिए, नतीजों से बचने के लिए।

Arjun Sharma
Arjun Sharma अप्रैल 21, 2025 AT 14:31

अरे भाईसाहब, इस झटके को लेकर नया ऑपरेसन लांच कर दे! हम लोगधरती के डीप लर्निंग मॉडल बना सकते हैं, जैसे: "सेफ्टी + प्रोसेस = एरर‑फ़्री"। बस थोड़ा बग फिक्सिंग और ध्रुवीकरण दूर हो जायेगा।

Sanjit Mondal
Sanjit Mondal अप्रैल 21, 2025 AT 14:40

भूकंप की जानकारी सभी को शीघ्रता से पहुँचाना आवश्यक है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ संचार नेटवर्क कमजोर हो सकता है। इसलिए स्थानीय पंचायतों को अलर्ट सिस्टम स्थापित करने में मदद करनी चाहिए। 🙏

Ajit Navraj Hans
Ajit Navraj Hans अप्रैल 21, 2025 AT 14:45

देखो भाई एक मिनट में काफ़ी जानकारी छा गया है इस भूकंप पर, टॉपिक बदलते रहो, नहीं तो सब बोर हो जाएगा। ग़लत मत समझो मैं हाँफत नहीं, बस बताना चाहता हूँ अलर्ट्स जरूरी है

arjun jowo
arjun jowo अप्रैल 21, 2025 AT 14:53

भूकंप के बाद यदि आप घर में हैं तो तुरंत दरवाज़े और खिड़कियों से दूर हटें। यदि आप बाहर हैं तो खुले स्थान पर रहें, जहां कोई ओवरहेड वस्तु न हो। सिर की सुरक्षा के लिए हाथों से सिर को ढकें। स्थानीय रेडियो पर सरकारी सूचनाओं को सुनें। अगर आपको चोट लगें तो तुरंत फ़र्स्ट एड किट का उपयोग करें।

Rajan Jayswal
Rajan Jayswal अप्रैल 21, 2025 AT 14:56

भूकम्प से सावधान रहें।

Simi Joseph
Simi Joseph अप्रैल 21, 2025 AT 15:01

कोई बड़ी बात नहीं, बस इतना कहूँ कि लगातार झटके लोगों के मन में डर डालते हैं, लेकिन रिपोर्टों में नुकसान नहीं दिख रहा तो शायद मीडिया का शोख़ी है। फिर भी, आलोचना वही करते हैं जो सबको बिन कारण आलोचना करना पसंद करते हैं।

Vaneesha Krishnan
Vaneesha Krishnan अप्रैल 21, 2025 AT 15:10

मैं समझती हूँ कि लोग इस तरह की घटनाओं से डरते हैं, इसलिए आप सभी को सुझाव देती हूँ कि अपने घर में आपातकालीन किट रखें। साथ ही, अपने बच्चों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की आदत डालें। अगर कोई बात सुननी है तो इस पोस्ट को शेयर करें 🙌।

Satya Pal
Satya Pal अप्रैल 21, 2025 AT 15:15

bhukamp k baare m sahi informashan chahiye to govt ki site check kro. aap logo ko bas aise hi net pe gossip nahi phailana chaiye. sabhi ko sahi jankari milni chahiye tabhi hum soch sakte hain ki aage kaise tackle karenge.

Partho Roy
Partho Roy अप्रैल 21, 2025 AT 15:31

भूकंपीय गतिविधियों की निरंतर निगरानी वैज्ञानिकों के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य बन जाती है। क्षेत्रीय सिस्मोलॉजी नेटवर्क को रीयल‑टाइम डेटा शेयरिंग के लिए एकीकृत किया जाना चाहिए। इससे न केवल प्रारम्भिक चेतावनी मिलती है, बल्कि विभिन्न भू‑विज्ञानीय परतों की प्रतिक्रिया भी समझ आती है। इसके अलावा, स्थानीय जनसंख्या को सशक्त बनाने हेतु शैक्षिक कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए। इन कार्यक्रमों में आपदा प्रबंधन के मूलभूत सिद्धांतों को सरल भाषा में समझाया जाता है। जब लोग जानते हैं कि किस तरह की संरचनाएँ अधिक सुरक्षित हैं, तो वे स्वयं अपने घरों को सुधारने में मदद कर सकते हैं। सरकार को भी इन पहलुओं को बजट में शामिल करना चाहिए। बहु‑स्तरीय चेतावनी प्रणाली, जिसमें मोबाइल ऐप्स और स्थानीय रेडियो शामिल हों, प्रभावी साबित होगी। इस प्रणाली की सफलता के लिए डेटा की शुद्धता अनिवार्य है। इसलिए, मापदंडों की गुणवत्ता को लगातार जांचना ज़रूरी है। एक बार जब डेटा विश्वसनीय हो जाये, तो भविष्यवाणी मॉडल अधिक सटीक हो सकते हैं। वैज्ञानिक समुदाय को विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग बढ़ाना चाहिए। इससे तकनीकी ज्ञान और संसाधनों का आदान‑प्रदान हो सकेगा। साथ ही, राष्ट्रीय क्षति मूल्यांकन के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी स्थापित की जा सकती है। इस एजेंसी को क्षेत्रीय रिपोर्टों का संकलन करने और नीति निर्माताओं को सलाह देने का काम सौंपा जाये। अंत में, व्यक्तिगत स्तर पर तैयारी के लिए घर में आपातकालीन किट रखना अत्यावश्यक है। इसमें फर्स्ट‑एड किट, टॉर्च, बैटरी और कुछ जुड़ी हुई आवश्यक वस्तुएँ शामिल होनी चाहिए। इस तरह की सामूहिक तैयारी से हम संभावित आपदाओं के प्रभाव को न्यूनतम कर सकते हैं।

Ahmad Dala
Ahmad Dala अप्रैल 21, 2025 AT 15:35

वाह, इतना विस्तृत योजना देखकर लगता है कि सभी को बस एक कप चाय का इंतजाम ही कर देना चाहिए, फिर सब ठीक हो जायेगा! 🌟

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