तीन साल चली कड़ी बातचीत के बाद आखिरकार भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को 6 मई 2025 को फाइनल किया गया है। यह समझौता सिर्फ दस्तावेज़ नहीं, बल्कि दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए दरवाजे खोलने वाला कदम है। खबर की सबसे बड़ी बात यह है कि अब दोनों देशों के बीच ट्रेड होने वाली 90% चीज़ों पर इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट टैक्स यानी टैरिफ नहीं लगेगा। ऐसे निर्णय बहुत कम देखने को मिलते हैं, खासकर ऐसे दो देशों के बीच जिनकी अर्थव्यवस्था और नियामक प्रणाली एकदम अलग हों।
इस डील का असर साधारण भारतीयों के लिए दिखेगा—अब ब्रिटेन की कार या मशहूर व्हिस्की की बोतल खरीदना पहले से कहीं सस्ता हो जाएगा। ब्रिटेन की टेक्नोलॉजी, हेल्थ, एजुकेशन व फूड प्रोडक्ट्स भी खुले बाजार में अपनी जगह बना सकेंगे। वहीं, भारत की एक्सपोर्ट इंडस्ट्री जैसे टेक्सटाइल, ऑटो पार्ट्स, आईटी सर्विसेज और ऑर्गेनिक उत्पादों को यूके बाजार में बिना रुकावट के पहुंच मिलेगी।
2023-24 में दोनों देशों के बीच व्यापार $21.34 अरब डॉलर तक पहुंच गया था, जिसमें भारत का पलड़ा भारी रहा—भारत के पास ट्रेड सरप्लस रहा। अब इस द्विपक्षीय व्यापार का अनुमान है कि हर साल £25.5 बिलियन तक बढ़ जाएगा। इसका सीधा मतलब है—ज़्यादा एक्सपोर्ट, बेहतर कमाई, और दोनों देशों में नई नौकरियां।
जो लोग विदेश में अपना करियर बनाना चाहते हैं, उनके लिए भी खुशखबरी है। FTA में साफ व्यवस्था है कि भारत के शिक्षित पेशेवर पहले से ज्यादा सरलता से ब्रिटेन में काम कर पाएंगे, हालांकि यह अभी भी मौजूदा इमिग्रेशन फ्रेमवर्क के तहत होगा। खास बात, डेटा साइंस, हेल्थ केयर और इंजीनियरिंग जैसी स्किल्स वाले इंडियन्स के लिए वहां मौके खुलेंगे।
इस समझौते का हिस्सा बनी द्वि-योगदान कन्वेंशन यानी Double Contribution Convention, जिसके तहत दोनों देशों में काम करने वाले पेशेवरों के टैक्स और पेंशन की गुत्थियां सुलझ जाएंगी। इससे वर्कर्स को पेंशन दावा करने से जुड़े दोहरे टैक्सेशन जैसी कई परेशानियों से छुटकारा मिलेगा।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, यूके की कंपनियों से भारत को निवेश में मजबूती मिलेगी, और ब्रिटिश निवेशक भी यहां की पॉलिसी स्थिरता की वजह से आगे आएंगे।
डील के ऐलान के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर इसे 'ऐतिहासिक उपलब्धि' कहा और लिखा कि आर्थिक सहयोग के इस नए युग में दोनों देश में खास जुड़ाव देखने को मिलेगा। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केयर स्टारमर ने भी इसे दो पुरानी लोकतांत्रिक ताकतों की अभूतपूर्व साझेदारी बताया।
इस डील को अचानक बंद से फिर शुरू करना आसान नहीं था। फरवरी 2025 में फिर से बातचीत शुरू हुई तो भारत की तरफ से वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की टीम और यूके के व्यापार सचिव जोनाथन रेनॉल्ड्स की टीम ने कम समय में जल्द निकासी की कोशिश की। दोनों देशों की रणनीति कुल मिलाकर टैरिफ समाप्ति और व्यापार में बाधाएं हटाने, रोजगार व इनोवेशन बढ़ाने, निवेश को आकर्षित करने और भविष्य के लिए साझेदारी मजबूत बनाने पर केंद्रित रही।
आने वाले वक्त में यह समझौता सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि भारत और यूके के संबंधों के हर स्तर को नए रंग देगा—चाहे वो एजुकेशन, स्टार्टअप इनोवेशन या प्रोफेशनल मोबिलिटी हो।
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