भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ओडिशा में नए मुख्यमंत्री की घोषणा आज करने जा रही है। इस महत्वपूर्ण बैठक में नवनिर्वाचित विधायकों के साथ संघीय मंत्री राजनाथ सिंह और भूपेंद्र सिंह यादव भी उपस्थित होंगे। बीजेपी ने इस विधानसभा चुनाव में 147 में से 78 सीटें जीतकर अपनी पहली सरकार बनाने का मार्ग प्रशस्त किया है।
मुख्यमंत्री पद के लिए संभावित उम्मीदवारों में ब्रजराजनगर के विधायक सुरेश पुजारी, राज्य बीजेपी के अध्यक्ष मनमोहन समल, और विधायकों में मोहन मजी और मुकेश महालिंग शामिल हैं। हालांकि, एक चौंकाने वाला चयन भी हो सकता है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, पुजारी को उनके विवाद-रहित और सौम्य स्वभाव के कारण एक मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है। पुजारी पहले राज्य बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके हैं और त्रिपुरा और बंगाल में पार्टी के सचिव के पद पर कार्यरत रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी बुधवार को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थित होने की संभावना है। यह कार्यक्रम भुवनेश्वर के जनता मैदान में आयोजित किया जाएगा और इसमें कई संघीय मंत्री, एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और ओडिशा के निवर्तमान मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी उपस्थित होंगे। बीजेपी ने जनता से इस ऐतिहासिक समारोह में भाग लेने का अनुरोध किया है और अपने घरों में दो दीप जलाने का आग्रह किया है, जिससे 'डबल इंजन' सरकार के प्रारंभ को चिह्नित किया जा सके।
शपथ लेने से पहले, भावी मुख्यमंत्री पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करेंगे। इस दिन मंदिर की चारों द्वार आम जनता के लिए खोले जाएंगे, जो बीजेपी का एक महत्वपूर्ण चुनावी वादा भी था। कोविड महामारी के कारण मंदिर प्रशासन ने अब तक एक द्वार से ही प्रवेश की अनुमति दी थी।
ओडिशा में बीजेपी की इस महत्वपूर्ण जीत और आगामी मुख्यमंत्री की घोषणा निश्चित रूप से राजनीतिक परिदृश्य में कई नये आयाम जोड़ेगी।
11 जवाब
सुरेश पुजारी के बारे में सुनकर दिल थोड़ा हल्का हो जाता है 😊 उनका स्वभाव सच में सौम्य है और विवाद‑रहित रहने की कोशिश हमेशा प्रशंसा योग्य होती है। इस तरह के नेता की उम्मीद हम सभी ने इस चुनाव में की थी, इसलिए उनकी संभावनाओं पर चर्चा करना जरूरी लगता है। साथ ही पार्टी में विविधता दिखाने का यह कदम भी सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
बात तो ऐसी है कि राजनैतिक परिदृश्य हमेशा ही रहस्य का घोला रहता है, फिर भी हम खुद को आसमान पर उड़ते देख सकते हैं तभी जब हम सोचते हैं कि वोट का हर टुकड़ा ही तेज़ी से घुमता है। सच्चाई तो यही है कि चुनाव जीतना सिर्फ नंबर नहीं बल्कि जटिल विचारों का संगम है, इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सी रणनीति अंत में काम आती है।
ओडिशा की राजनीति में यह नया मोड़ काफी महत्त्वपूर्ण लगता है क्योंकि यह सिर्फ एक व्यक्ति की नियुक्ति नहीं बल्कि पूरे राज्य की दिशा तय करने का संकेत देता है। पहले तो हम सभी ने यही आशा की थी कि युवा और विचारशील नेता आएगा जो जनता की समस्याओं को समझेगा। सुरेश पुजारी का नाम अक्सर इस चर्चा में आता है और उनके बारे में बात करते समय कई पहलू सामने आते हैं। उनका प्रशासनिक अनुभव न केवल ओडिशा में बल्कि देश के कई हिस्सों में रहा है जिससे उन्हें विभिन्न चुनौतियों का सामना करने का ज्ञान मिला है। वे एक ऐसे व्यक्ति हैं जो अपने शब्दों में सादगी रखते हैं और आम जनता के साथ जुड़ाव महसूस कराते हैं जिससे उनके प्रति भरोसा बढ़ता है। साथ ही, उनका सामाजिक कार्य और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने कई स्कूल और कॉलेजों में छात्रवृत्ति योजना शुरू की है जो वंचित वर्गों को मदद करती है। इस तरह के प्रयास यह दर्शाते हैं कि वह केवल राजनैतिक मंच पर नहीं बल्कि वास्तविक सामाजिक बदलाव लाने के लिये प्रतिबद्ध हैं। अगर हम यह देखें कि उन्होंने अपने पूर्व पदों में कौन‑से निर्णय लिये थे तो पता चलता है कि वह अक्सर मध्यस्थता करने में सक्षम रहे हैं। यह कूटनीतिक कौशल इस नई भूमिका में काम आ सकता है। उनके विरोधियों का कहना है कि वह बहुत ही सौम्य हैं और दृढ़ निर्णय लेने में कमी हो सकती है लेकिन यही उनकी शांति और स्थिरता का स्रोत भी है। अंत में यह कहा जा सकता है कि ओडिशा को एक ऐसे नेता की जरूरत है जो संतुलन बनाए रखे और विकास के नए अवसर प्रस्तुत करे, और इस संदर्भ में पुजारी एक संभावित विकल्प बनते दिखते हैं।
सुरेश पुजारी को "सौम्य" कहना थोड़ा उभयचर हो सकता है क्योंकि अक्सर उनका रेटोरिक पृष्ठभूमि के साथ बहुत ही सूक्ष्म लेयर में छिपा रहता है। एक असली नेता को ज़रूरत होती है दृढ़ता की, न कि सिर्फ़ सादगी की चमक पर भरोसा करने की। यह चुनावी वादा-कथन अक्सर पारदर्शिता का आभास दे जाता है परन्तु वास्तविकता में गहराई से जांच करने पर अलग तस्वीर मिलती है।
दिलचस्प है 😐
यदि आप सभी इसे एक अवसर के रूप में देखना चाहते हैं तो कुछ बातों पर गौर करना आवश्यक है। सबसे पहले, जिला स्तर पर पुजारी की उपलब्धियों की सूची को देखना चाहिए, क्योंकि वहां से उनका असली प्रभाव स्पष्ट होता है। उन्होंने कई मौसमी जलस्रोत परियोजनाओं को पूरा किया है, जिससे ग्रामीण इलाकों में जल अभाव कम हुआ। इसके अलावा, स्वास्थ्य क्षेत्र में उन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या बढ़ाने में मदद की है, जिससे रोगियों को बेहतर देखभाल मिल सके। इन पहलुओं को देखते हुए, उनकी नीतियों को समझना और समर्थन देना व्यावहारिक हो सकता है, बशर्ते कि वह अपने शपथ ग्रहण के बाद इन कार्यों को निरंतरता से आगे बढ़ाएँ।
आप सभी को बताता चलूँ कि इस पूरी चर्चा में एक बात छूट नहीं सकती - राजनीति में शक्ति और प्रभाव का गहरा खेल हमेशा मौजूद रहता है, और नाम जितना भी बड़ा हो, वह सिर्फ़ एक चेहरा है। असली सवाल यह है कि सत्ता मिलने पर कौन‑से कदम उठाएगा और क्या वह जनता के प्रत्यक्ष हित में होगा।
जब आप इस तरह के चुनावी खेलों को देखते हैं तो अनदेखी शक्ति की आवाज़ें भी काम करती हैं, जैसे कि कुछ कहरौ-ड्राइवर्स के पीछे से चल रही गुप्त शक्ति, जो वास्तव में इस बंटवारे को अपने हाथ में मोड़ रही है। यह पता नहीं कि कौन-से अल्पसैनिक समूह इस प्रक्रिया को नियंत्रित कर रहे हैं, पर मुझे यकीन है कि यह सब सिर्फ़ सार्वजनिक सूचना नहीं है।
उफ़, यह सब सुनकर मेरा दिल बहुत हल्का हो गया।
सभी को नमस्ते, मैं इस बात को समझता हूं कि राजनीति में विभिन्न विचारों का संगम जरूरी है, इसलिए हमें एक-दूसरे की बात सुननी चाहिए और विवादों को शांति से सुलझाना चाहिए। ओडिशा के लोगों के लिये भी यही काम अच्छा रहेगा, खासकर जब हम सभी मिलकर एक सकारात्मक दिशा की ओर बढ़ें।
जब हम राजनीति को देखते हैं तो अक्सर दिखता है कि भाषा और बयानबाजी कई बार वास्तविक कार्यों को छुपा देती है, इसलिए यह आवश्यक है कि हम व्यवहारिक परिणामों की जाँच करें न कि केवल शब्दों पर भरोसा करें। यह स्पष्ट है कि ओडिशा में वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में कई स्तरों पर रणनीतिक खेल चल रहे हैं, लेकिन अंततः जनता को ही सबसे अधिक लाभ या हानि का सामना करना पड़ता है। इसलिए, निर्णय लेते समय हमें यह समझना चाहिए कि कौन‑से कदम वास्तविक विकास को बढ़ावा देंगे और कौन‑से सिर्फ़ सत्ता को स्थिर रखने के लिये हैं।