केंद्रीय बजट 2024-25 की घोषणा 23 जुलाई 2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा की जाएगी। इस बजट से आम जनता को काफी उम्मीदें हैं, खासकर आयकर दरों के मामले में। आर्थिक विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि वर्तमान आयकर स्लैब को और अधिक सरल और आकर्षक बनाने के लिए महत्वपूर्ण बदलाव किए जाने चाहिए।
एक प्रमुख अपेक्षा है कि नए आयकर प्रणाली के तहत मूल छूट सीमा को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जाए। यह आम आदमी को बड़ी राहत देगा और उन्हें अधिक बचत करने का अवसर मिलेगा। मौजूदा समय में 3 लाख रुपये की छूट सीमा को बढ़ाना न केवल मध्यम वर्ग के हित में होगा, बल्कि आर्थिक सुधारों में भी सहायक बनेगा।
मानक कटौती सीमा को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये करने की भी मांग विशेषज्ञों ने की है। प्रतिष्ठित वित्तीय संस्था EY के अनुसार, इस कदम से करदाताओं को बड़ी राहत मिलेगी और उनके खर्चे कम होंगे। फिलहाल, मानक कटौती सीमा 50,000 रुपये है, लेकिन इसे बढ़ाकर 1 लाख रुपये करने से टैक्स पेयर को अतिरिक्त लाभ मिलेगा।
धारा 80D के तहत स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर टैक्स छूट की सीमा को भी बढ़ाने की मांग की जा रही है। वर्तमान में यह सीमा 25,000 रुपये है, जिसे स्वयं, पत्नी और बच्चों के लिए बढ़ाकर 50,000 रुपये करने की सिफारिश की गई है। साथ ही, 60 वर्ष से ऊपर के माता-पिता के लिए यह सीमा 1 लाख रुपये करने की भी मांग की जा रही है।
कैपिटल गेन टैक्स की संरचना को सरल बनाने की भी आवश्यकता है। वर्तमान में विभिन्न उपकरणों के लिए अलग-अलग टैक्स दरें और होल्डिंग पीरियड हैं, जो आम करदाता के लिए उलझन भरे साबित हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इसे सरल बनाना आवश्यक है ताकि निवेशकों को लाभ हो और वे निवेश के लिए एक स्थिर और स्पष्ट रास्ता चुन सकें।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह बजट मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले साल का पूरा बजट होगा। इस बजट से जनता को काफी अपेक्षाएं हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार क्या कुछ नई घोषणाएं करती है और किन पुरानी नीतियों में संशोधन करती है।
सरकार के इस कदम की तारीफ और आलोचना दोनों ही हो सकती है लेकिन जो सबसे महत्वपूर्ण है, वह है जनता के हित और उनके भले के लिए उठाए जाने वाले कदम। अंततः यह महत्वपूर्ण होगा कि इस बजट में किए गए निर्णय किस हद तक लोगों के जीवन को सुधारने में सहायक साबित होते हैं।
18 जवाब
बहुत अच्छा इशारह है कि मूल छूट को 5 लाख तक बढ़ाने की बात चल रही है 😊
ऐसे कदम से मध्यम वर्ग के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी और बचत की इच्छा भी जागेगी।
उम्मीद है कि बजट में ये प्रस्ताव वास्तविकता बनें और सरकार इसकी दिशा में ठोस कदम उठाए।
सबको मिलकर इस सकारात्मक बदलाव का स्वागत करना चाहिए! 🙌
आयकर स्लैब को सरलीकरण की जरूरत है, अन्यथा पोपुलशन को डेंट करना पड़ेगा।
मेरे हिसाब से सरकार को मूल छूट को 5 लाख तक ले जाना चाहिए, नहीं तो आर्थिक असमानता बढ़ेगी।
ये सिर्फ एक पॉलिसी नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय का सवाल है।
सरकार द्वारा प्रस्तावित आयकर छूट में वृद्धि वास्तव में करदाताओं के हित में एक उल्लेखनीय कदम हो सकता है।
यदि मूल छूट को 5 लाख तक बढ़ाया गया तो यह न केवल मध्यम वर्ग को राहत देगा, बल्कि उपभोग में भी इज़ाफा करेगा।
इसके अलावा मानक कटौती को 1 लाख तक ले जाना टैक्स पेयर की बोझिलता को काफी कम कर सकता है।
यह उपाय छोटे व्यापारियों और फ्रीलांसरों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद रहेगा।
स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर छूट को 50,000 से 1 लाख तक बढ़ाना भी सामाजिक सुरक्षा को सुदृढ़ करेगा।
इस बदलाव से वरिष्ठ नागरिकों को भी अतिरिक्त लाभ मिलेगा, जिससे उनका वित्तीय दबाव कम होगा।
कैपिटल गेन टैक्स की जटिलता को सरल बनाना निवेशकों के विश्वास को बढ़ाएगा।
विभिन्न एसेट क्लास के लिए एक ही टैक्स दर स्थापित करने से प्रशासनिक लागत भी घटेगी।
इस प्रकार की सरलता छोटे निवेशक वर्ग को भी शेयर बाजार में भाग लेने के लिए प्रेरित करेगी।
बजट में ये प्रस्ताव आर्थिक वृद्धि के लिए एक सकारात्मक संकेत हैं, लेकिन उनका व्यवहारिक कार्यान्वयन देखना बाकी है।
सरकार को इन सभी बदलावों को समय सीमा के भीतर स्पष्ट रूप से परिभाषित करना चाहिए।
किसी भी प्रकार की अस्पष्टता से करदाताओं में भ्रम और अनिश्चितता फैल सकती है।
साथ ही, ये सुधार केवल आकड़े नहीं, बल्कि वास्तविक जीवन में लोगों की आय के वितरण को बेहतर बनाने के लिए होने चाहिए।
यदि इन नीतियों को सही ढंग से लागू किया गया तो_middle_class को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा सकता है।
अंत में, यह आवश्यक है कि बजट के बाद भी लगातार निगरानी और समायोजन किया जाए ताकि नीति प्रभावी बनी रहे।
आपकी बात में गहराई है, परन्तु वास्तविक आंकड़े बिना इस प्रस्ताव को पूरी तरह समर्थन देना जल्दबाज़ी होगी।
शासन को विस्तृत मैक्रोइकोनॉमिक मॉडल के आधार पर ये निर्णय लेना चाहिए।
बिलकुल, छूट बढ़नी चाहिए 😏
यदि छूट सीमा में वास्तविक बढ़ोतरी की जाती है तो यह आय वितरण में संतुलन लाएगी।
परन्तु यह भी देखना होगा कि राजस्व में कितना अंतर आएगा और वह कैसे पूरा किया जाएगा।
संतुलन बनाना नीति निर्माण का मूल मंत्र होना चाहिए।
आशा है कि विशेषज्ञों की सलाह को भी स्थिरता से लागू किया जाएगा।
ध्यान दें, राजस्व घाटा केवल टैक्स दरों से नहीं, व्यय में कटौती से भी घटाया जा सकता है 😂
सरकार को खर्चों को भी प्राउटली रिव्यू करना चाहिए।
उन्हें नहीं पता कि इस बजट के पीछे बड़े वित्तीय समूहों के हाथ हैं, जो सबको टैक्स में फँसाने की योजना बनाते हैं।
सावधान रहें, ये सिर्फ कागज पर बातें नहीं, बल्कि शक्ति खेल है।
बजट में लोगों की मदद नहीं दिख रही, सोचते हैं ही नहीं।
मन ही मन रोना चाहता है।
भाई, तुम भी तो समझो कि छोटे‑छोटे टैक्स राहत से ही जनता खुश होती है, बड़े वादा नहीं।
चलो, देखते हैं असली फैसले क्या आते हैं।
बजट की घोषणाओं में अक्सर सुंदर शब्द होते हैं, परंतु जमीन पर उनके प्रभाव को मापना कठिन होता है।
रहने दो, जब तक वास्तविक आंकड़े सामने नहीं आते, इन सब बातों को सिर्फ हवा में उड़ते शॉर्टकट समझा जा सकता है।
सच में ऐसा नहीं होगा कि छूट बढ़ाने से सभी को फायदा होगा क्योंकि इससे राजस्व में गिरावट आएगी और फिर से टैक्स बढ़ेगा
आदरणीय पाठकों, बजट के इस महान मंच पर जब मूल छूट सीमा को पाँच लाख तक ले जाने की प्रस्तावना की गई, तो मन में आशा की लहर दौड़ गई।
जैसे सृष्टि के जन्म में प्रथम प्रकाश का उभार हो, वैसी ही खुशी हमें इस परिवर्तन से महसूस हुई।
विचार करना पड़ेगा कि क्या यह कदम वास्तविक परिवर्तन लाएगा या केवल शब्दों का जाल रहेगा।
आइए, इस पर गहन विचार-विमर्श करें और भविष्य की दिशा तय करें। 😊
देखें ये कदम केवल दिखावटी है
मुझे लगता है कि अगर सरकार ने वैसा किया जैसा कहा, तो आम लोगों को सच में राहत मिलेगी 😃
पर सबको साथ मिलकर इस बदलाव को लागू करना होगा।
हां, मिलजुल कर ही बदलाव संभव है :)
budget ke baare mein jyaada hype hai lekin asli fayda dekhe bina kuchh bhi nahi bol sakte
बिल्कुल सही कहा, लेकिन चलो उम्मीद रखें कि इस बजट से लोगों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव आए।