दक्षिण अफ्रीका में सिरिल रामफोसा के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत होने जा रही है। राजधानी प्रिटोरिया में उनका शपथ ग्रहण समारोह धूमधाम से आयोजित किया जाएगा। इसमें वैश्विक स्तर पर कई महत्वपूर्ण नेता और गणमान्य व्यक्ति शामिल होंगे। रामफोसा की पार्टी, अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (एएनसी), जो 1994 से सत्ता में है, ने इस बार बहुमत हासिल नहीं किया है। इसके चलते उन्हें डेमोक्रेटिक अलायंस (डीए) और तीन अन्य पार्टियों के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनानी पड़ रही है।
यह शपथ ग्रहण समारोह विभिन्न सांस्कृतिक और कलात्मक प्रस्तुतियों से सुसज्जित होगा। इसमें संगीत और नृत्य के साथ-साथ 21-तोपों की सलामी और सैन्य उड़ानों का प्रदर्शन भी किया जाएगा। दक्षिण अफ्रीकी रक्षा बलों द्वारा एक परेड भी आयोजित की जाएगी। समारोह में अँगोला, युगांडा, मोजाम्बिक, चीन, मिस्र, फलिस्तीन और क्यूबा जैसे देशों के प्रमुख शामिल होंगे।
हालांकि, पूर्व राष्ट्रपति जैकब ज़ूमा द्वारा छह महीने पहले गठित की गई पार्टी उMkhonto weSizwe (MK) इस शपथ ग्रहण का बहिष्कार करेगी। उन्होंने 15% वोट और संसद में 58 सीटें जीती हैं।
रामफोसा के दूसरे कार्यकाल में उनकी प्राथमिकता संघर्षरत अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की होगी। उन्होंने इसके लिए साझा प्रयास करने का संकल्प लिया है और नई कैबिनेट में अपने सहयोगी दलों के प्रमुख नेताओं को शामिल करने की योजना बनाई है। इसका मकसद है कि हर कोई एकजुट होकर देश को आर्थिक संकट से उबारे।
रामफोसा ने 2018 में पहली बार राष्ट्रपति पद संभाला था, जब ज़ूमा को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते इस्तीफा देना पड़ा था। तब से उन्होंने सख्त कदम उठाते हुए कई सुधार लाने का प्रयास किया है, हालांकि सफलता की राह अभी भी कठिन है।
दक्षिण अफ्रीका के लोगों और सांसदों की उम्मीदें रामफोसा से जुड़ी खूबसूरती से जुड़ी हैं। उन्हें अब न केवल देश की आंतरिक स्थिति को सुधारना है बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी साख को बढ़ाना होगा।
गठबंधन सरकार के तहत कई नई नीतियाँ पेश की जाएँगी। इसका उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सार्थक बदलाव लाना होगा।
दक्षिण अफ्रीका को अनेक आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले कुछ वर्षों में बढ़ती बेरोजगारी, असमानता और भ्रष्टाचार ने देश को गंभीर संकट में डाला है।
रामफोसा और उनकी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती इन समस्याओं का समाधान निकालना होगा। इसके लिए उन्हें संघीय ढाँचे को मजबूत करना होगा और समग्र विकास को प्राथमिकता देनी होगी।
शपथ ग्रहण समारोह के बाद की राजनीतिक स्थिरता का महत्व भी अत्यधिक होगा। राजनीतिक सहयोग और शक्ति संतुलन से देश में एक स्थायी कारोबारी वातावरण विकसित होगा, जिससे न केवल घरेलू बल्कि अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का भरोसा भी जीतेगा।
इसके लिए पार्टियों के बीच सहयोग और समन्वय आवश्यक होगा। गठबंधन की राजनीति दक्षिण अफ्रीका के लिए एक नया अनुभव है, जिससे उम्मीदें भी बढ़ी हैं।
रामफोसा की नई शुरुआत आशाओं और चुनौतियों से घिरी हुई है। उन्हें अनुभवी राजनीतिक कौशल और सूझबूझ से अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना होगा।
यह शपथ ग्रहण समारोह केवल एक राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह देश की संस्कृति और परंपराओं को दर्शाने वाला एक महत्वपूर्ण आयोजन भी होगा। संगीत, नृत्य और अन्य सांस्कृतिक प्रदर्शन यहां की धरोहर को दुनिया के सामने प्रदर्शित करेंगे।
समारोह में 21 तोपों की सलामी और सैन्य उड़ानों का प्रदर्शन उन गवर्निंग शक्तियों की भी परिचायक है, जो एक राष्ट्र की सुरक्षा और अखंडता की गारंटी देती हैं। ऐसे समारोह राष्ट्रीय गौरव और एकता को मजबूत करते हैं, और यह दिखाता है कि दक्षिण अफ्रीका विश्व मंच पर अपनी पहचान बनाने के लिए तैयार है।
शपथ ग्रहण समारोह के पश्चात्, रामफोसा नई कैबिनेट के गठन की घोषणा करेंगे। इसमें सभी गठबंधन सहयोगी दलों को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाएगा, ताकि सभी की हिस्सेदारी सुनिश्चित हो और देश को एक सशक्त नेतृत्व मिल सके।
काबिनेट में उच्च स्थानों पर नियुक्तियाँ होंगी जो सरकार की प्राथमिकताओं को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करती हैं। जैसे कि आर्थिक सुधार, भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
रामफोसा का यह दूसरा कार्यकाल गंभीरता, तैयारी और सहयोग के साथ व्यतीत होगा। उनके प्रयासों से देश की दिशा और दशा में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा सकती है।
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