जब दीप्ति शर्मा ने अपने ऑलराउंड खेल से भारत की महिला क्रिकेट टीम को शत्पद पर पहुंचाया, तो पूरे देश में उत्साह की लहर दौड़ गई। इस जीत का मंच आईसीसी महिला विश्व कप 2025 था, जहाँ भारत महिला क्रिकेट टीम ने शेष प्रतियोगियों को चकित कर दिया।
भारत की महिला टीम ने पिछले दो विश्व कप में सिर्फ अर्द्धफाइनल तक का सफ़र तय किया था। 2020‑21 में लीग टेबल पर टॉप‑फ़ाइव में पोज़िशन बनाना एक बड़ी उपलब्धि थी, लेकिन टूर्नामेंट जीतना अभी तक नहीं हुआ था। इस सिलसिले में बोर्ड ने टैलेंट पूल का विस्तार किया, तेज़ गेंदबाजों और ऑलराउंडरों पर विशेष ध्यान दिया। इसी नीति के तहत हर्मनप्रीत कौर को कप्तान बनाया गया, जबकि दीप्ति शर्मा को टॉप‑ऑलराउंडर के रूप में तैयार किया गया।
पहला मैच श्रीलंका के साथ लाए गया, जहाँ दोनों टीमें 124/6 पर अटकी हुई थीं। हर्मनप्रीत कौर और अमनजोत कौर ने मिलकर 49‑रन का अर्धशतक लगाया, परन्तु सच्चा मोड़ तब आया जब दीप्ति ने 54‑रन का तेज़ अर्धशतक बनाया और साथ में तीन विकेट ले लिया।
मैच की पिच पर हल्की बारिश के कारण डीएलएस लागू किया गया। भारत ने 270 लक्ष्य रखा, जबकि श्रीलंका ने 211 पर अपना पर्चा कहा। इसके पीछे दीप्ति के लीडिंग बॉल्स और रेंुका सिंह की अनुपस्थिति में गेंदबाजी इकाई का सामूहिक प्रयास था।
अगले मैच में भारत ने पाकिस्तान को 88 रन से हराया, जिससे टीम का रिकॉर्ड 12‑0 हो गया। दीप्ति ने 33 गेंदों में 25 रन बनाए और साथ ही दो विकेट भी लिए। यहाँ स्नेह राणा के साथ उनका 42‑रन का साझेदारी महत्वपूर्ण रहा। क्रांति गौड़ को ‘प्लेयर ऑफ़ द मैच’ का खिताब मिला – उन्होंने 20 रन देकर तीन विकेट लिये।
इस जीत के बाद हर्मनप्रीत कौर ने कहा, “हमारी गेंदबाजी शानदार रही, और क्रांति ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। रेणुका ने भी अच्छा साथ दिया।” उन्होंने आगे कहा कि बारिश‑प्रभावित पिच ने बल्लेबाजियों को निरंतर रन बनाना कठिन बना दिया, परन्तु टीम ने धैर्य दिखाते हुए जीत हासिल की।
दुर्लभ परिस्थितियों के बावजूद दीप्ति की बहुमुखी भूमिका ने कई विशेषज्ञों को आश्चर्यचकित किया। क्रिकेट विश्लेषक समीर बंधु ने टिप्पणी की, “दीप्ति का बॉल‑और‑बैट दोहरा बनना आज के आधुनिक खेल की जरूरत है। उनका आँकड़ा 3‑विकेट + 54‑रन भविष्य में भारत को विश्व मंच पर ले जाएगा।”
कोच अशोक उदयवम्स्य ने टीम की समग्र योजना पर प्रकाश डाला: “हर्मनप्रीत के नेतृत्व में हम मिश्रित गति की गेंदबाज़ी और स्थिर मध्यक्रम को प्राथमिकता दे रहे हैं। दीप्ति जैसे ऑलराउंडर को जगह देना हमें लचीलापन देता है।”
आगे के मैचों में भारत को ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी ताक़तों का सामना करना पड़ेगा। हर्मनप्रीत ने बताया, “पिचों के हिसाब से सही संयोजन बनाना हमारा मुख्य काम है। दीप्ति जैसी बहु‑कौशल खिलाड़ी इस रणनीति में क़ीमत रखते हैं।”
यदि टीम अपनी वर्तमान फॉर्म को बनाए रखे, तो चयन समिति को शायद दीप्ति को अधिक जिम्मेदारियां दी जाएँगी – शायद अगली पारी में री‑टेकिंग या कैप्टन‑अश कक्षा की भूमिका भी मिल सकती है।
दीप्ति का ऑलराउंड योगदान टीम को बैट‑बॉल दोनों में लचीलापन देता है। उनका दो‑अंकीय औसत और तीन‑विकेट क्षमता मैच‑जितने पिचों पर अहम साबित हुई, जिससे भविष्य में टीम की रणनीति में उनका रोल बढ़ेगा।
हर्मनप्रीत की नीतिगत समझ और मैदान में शांत स्वभाव खिलाड़ियों को दबाव में बेहतर प्रदर्शन करने में मदद करता है। उनके अधिनायन में तेज़ गेंदबाजों और स्पिनरों की संतुलित लाइन‑अप बन पायी है।
श्रीलंका और पाकिस्तान के खिलाफ लगातार जीत के बाद टीम टेबल के शीर्ष हिस्से में है। यदि इस फॉर्म को जारी रखा गया तो क्वार्टर फ़ाइनल में पहुँचने की संभावना 85% से अधिक है।
क्रांति ने 20 रन की तेज़ पारी के साथ तीन विकेट लिये, जिससे विरोधी टीम की टॉप ऑर्डर ध्वस्त हुई। उनका दबाव संभालने वाला खेल और क्ल clutch प्रदर्शन ने उन्हें इस सम्मान तक पहुँचाया।
ऑस्ट्रेलिया की तेज़, हाइड्रेटेड पिचें और इंग्लैंड की ह्यूमिड ग्रास पिचें प्रमुख चुनौती होंगी। टीम को सिमिट वैरिएशन, रिवर्स स्विंग और स्पिन के बीच संतुलन बनाकर इन परिस्थितियों के लिए तैयार होना होगा।
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दीप्ति शर्मा की चमकती हुई ऑलराउंड खेल ने भारत को वर्ल्ड कप का मुकुट दिलाया। उनका 54 रन और 3 विकेट का मिश्रण वही था जो टीम को मोड़ पर तुरंत संतुलन दे गया। जब पिच पर हल्की बारिश थी, तो उनके लीडिंग बॉल्स ने विरोधी को हैरान कर दिया। इस जीत से महिला क्रिकेट में नई पीढ़ी को प्रेरणा मिली है। पूरे देश में उनका जश्न अब तक गर्मा रहा है।
हम्म, कुछ लोग कहेंगे कि ये बस “सच्चा” टैलेंट नहीं, बल्कि “फेवरिट” का खेल है। मैंने देखा है कि केस में ग्राफ़ थोड़ा झुका हुआ है। लेकिन फिर भी, उनके बल्ले‑गेंद का मैच‑पॉइंट इफ़ेक्ट तो काफी रंगीन था।
आखिर बोर्ड ने इतने पैसे खपत कर के कब तक असली टैलेंट को ढूंढेगा? हर बार “ऑलराउंड” को ही गोल्डन टिकट बना दिया जाता है, जबकि स्पिन और पेसिंग में गड़बड़ी छुपी है। इतनी बड़ी जीत के बाद भी चयन समिति का अलीबाबा‑बाबा जारी रहेगा, यही सच्ची ट्रेजडी है।
सच कहूँ तो भारत में महिला क्रिकेट का इतिहास समृद्ध है, पर अभी भी बुनियादी संरचना में अंतर है। हम स्थानीय academies को मजबूत करें तो ऐसे ऑलराउंडर और भी उभरेंगे।
कोच ने जो बैलेंस्ड प्लेनिंग की, वह वाकई सराहनीय है। तेज़ गेंदबाज़ी और स्पिन दोनों में वैरिएशन रखने वाले खिलाड़ी टीम को लचीलापन देते हैं। दीप्ति की क्विक रिफ़ वेस्टिंग और उनकी तेज़ रन‑स्कोरिंग ने मैच की दिशा बदल दी। साथ ही, क्रांति गौड़ की क्लच परफ़ॉर्मेंस ने कम्बैक की नींव रखी। इस रणनीति को अगर अगली टॉर्नामेंट में भी दोहराया जाए तो क्वार्टर‑फ़ाइनल में पहुँचना हाई प्रॉबेबिलिटी है।
क्या आप जानते हैं कि कुछ लोग मानते हैं कि इस जीत के पीछे कुछ छुपी हुई एजेंडा है? मेरे दोस्त ने कहा कि चयन समिति ने दीप्ति को इस तरह प्रोमोट किया ताकि फ़ंडिंग बढ़ सके। ये सिर्फ मेरा नज़रिया है, परन्तु हर बड़े मोमेंट में हमेशा कुछ न कुछ छिपा रहता है।
हूँ…! सच में! क्या हमें इतनी जल्दबाज़ी में निष्कर्ष निकालने चाहिए?! प्रत्येक डेटा पॉइंट को सावधानी से देखना ज़रूरी है; नहीं तो गलतफहमी फैल सकती है।
वाह! इस जीत ने तो सच्ची जज्बे की लहर ला दी है! चलिए, टीम को ऐसे ही उत्साह के साथ आगे बढ़ते देखें। हर खिलाड़ी की मेहनत को सलाम, और सभी घर वालों को बधाई जो पीछे से समर्थन देते रहे।
यह भारत की शक्ति का प्रतीक है कि हमारी महिला टीम ने विश्व मंच पर शताब्दी जिता। इस उपलब्धि से राष्ट्रीय गर्व की नई चिंगारी जलती है, और हमें आगे भी ऐसी ही जीतों की आशा रखनी चाहिए।