एशिया कप 2025: भारतीय मूल के जतिंदर सिंह की कप्तानी में ओमान की पहली एंट्री, 17-सदस्यीय स्क्वाड घोषित

सितंबर 20, 2025 0 टिप्पणि Priyadharshini Ananthakumar

पहली बार एशिया कप में ओमान: जतिंदर सिंह की कप्तानी में 17-सदस्यीय दल

ओमान ने एशिया कप 2025 के लिए अपना 17-सदस्यीय दल घोषित कर दिया और इसी के साथ देश ने इस बड़े एशियाई टूर्नामेंट में पहली बार कदम रखा। टीम की कमान 36 वर्षीय जतिंदर सिंह के हाथों में है, जो लुधियाना (पंजाब) में जन्मे हैं और कई साल से ओमान का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। 2024 एसीसी एमर्जिंग कप से पहले उन्हें कप्तान बनाया गया था, और अब वह इस ऐतिहासिक अभियान की अगुवाई कर रहे हैं।

ओमान की टीम विविध पृष्ठभूमि से आने वाले खिलाड़ियों का मिश्रण है, जिसमें भारतीय मूल के कई नाम शामिल हैं। चयनकर्ताओं ने अनुभव और युवा जोश के संतुलन पर जोर दिया है। ग्रुप-ए में कड़ा मुकाबला झेलने के बावजूद टीम का लक्ष्य साफ रहा—डर के बिना खेलने का और यह दिखाने का कि ओमान बड़े मंच का दावेदार बन सकता है।

घरेलू खेल संस्कृति से दूर एक साधारण परिवार में पले जतिंदर की यात्रा दिलचस्प है। स्कूल के दिनों में क्रिकेट का शौक उन्हें मैदान तक लाया, और ओमान ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दी। उनका कहना रहा है कि सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली ने उनकी सोच और खेलने के तरीके पर गहरा असर डाला। यही पृष्ठभूमि टीम के भीतर आत्मविश्वास और अनुशासन का आधार बनी है।

ओमान के दल में तेज गेंदबाजी, मध्यम गति के गेंदबाज, उपयोगी स्पिन विकल्प और बहुमुखी ऑलराउंडर शामिल हैं। टीम मैनेजमेंट के मुताबिक नए खिलाड़ियों के पास बड़े मंच का अनुभव भले कम हो, लेकिन ऊर्जा और सीखने की रफ्तार तेज है। लक्ष्य है कि मजबूत टीमों के खिलाफ लंबे समय तक मुकाबले में टिके रहें और छोटे-छोटे अंतर बंद करें।

ओमान का घोषित स्क्वाड:

  • जतिंदर सिंह (कप्तान)
  • हम्माद मिर्ज़ा
  • विनायक शुक्ला
  • सुफ़यान यूसुफ़
  • आशीष ओडेड़ेरा
  • आमिर कलीम
  • मोहम्मद नदीम
  • सुफ़यान महमूद
  • आर्यन बिष्ठ
  • करण सोनवले
  • जिक्रिया इस्लाम
  • हसनैन अली शाह
  • फैसल शाह
  • मुहम्मद इमरान
  • नदीम खान
  • शकील अहमद
  • समय श्रीवास्तव

ये नाम केवल विविधता नहीं दिखाते, बल्कि ओमान के क्रिकेट इकोसिस्टम की बदलती तस्वीर भी बतलाते हैं—जहां प्रवासी समुदाय की भागीदारी और स्थानीय संरचना मिलकर एक प्रतिस्पर्धी इकाई बना रहे हैं।

कठिन ग्रुप, सीखने का मौका: आगे की राह और समर्थन की जरूरत

कठिन ग्रुप, सीखने का मौका: आगे की राह और समर्थन की जरूरत

ग्रुप-ए में ओमान को पाकिस्तान, यूएई और भारत जैसी टीमों का सामना करना पड़ा। शुरुआत में पाकिस्तान और यूएई के खिलाफ हार निराशाजनक रही, लेकिन टीम ने रवैया नहीं बदला। 19 सितंबर 2025 को भारत के खिलाफ 21 रन की हार ने दिखाया कि ओमान दबाव में भी मैच में बना रह सकता है। मुकाबले के बाद भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने ओमानी खिलाड़ियों से टी20 के बारीकियों पर बात की—यह छोटा सा पल टीम के लिए मनोबल बढ़ाने वाला रहा।

तकनीकी नजर से देखें तो ओमान की ताकत अनुशासित गेंदबाजी और बीच के ओवरों में सटीक स्पिन है। बल्लेबाजी में शीर्ष क्रम पर ठहराव आते ही टीम बेहतर दिखती है, लेकिन पारी के अंतिम 5-6 ओवरों में बड़े शॉट्स की निरंतरता अभी काम की मांग करती है। फील्डिंग का मानक ऊपर उठ रहा है, पर टॉप टीमों के खिलाफ 1-1 कैच और डायरेक्ट-हिट मैच का रुख तय कर देते हैं—यहीं पर सबसे ज्यादा सुधार की गुंजाइश है।

जतिंदर सिंह और टीम मैनेजमेंट लगातार एक्सपोजर की बात कर रहे हैं। उनकी उम्मीद है कि ओमान के खिलाड़ियों को भारत की नेशनल क्रिकेट एकेडमी (NCA) जैसी हाई-परफॉर्मेंस सुविधाओं में ट्रेनिंग का मौका मिले, साथ ही मजबूत घरेलू टीमों और ए-टीम्स के खिलाफ प्रैक्टिस गेम्स मिलें। यह मांग सिर्फ नाम भर नहीं है—उच्च स्तरीय नेट्स, डेटा-आधारित विश्लेषण, स्पेशलिस्ट कोचिंग और मैच सिमुलेशन जैसे साधन छोटे अंतर को तेजी से कम करते हैं।

ओमान क्रिकेट का सफर पिछले दशक में तेजी से आगे बढ़ा है। एसोसिएट सदस्य के तौर पर देश ने टी20 विश्व कप 2016 में क्वालिफायर से पहचान बनाई और 2021 में मस्कट के अल अमेरात मैदान में बड़े टूर्नामेंट की मेजबानी कर चर्चा बटोरी। इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश, नए टैलेंट की स्काउटिंग और स्कूल‑कॉलेज स्तर पर प्रतियोगिताएं—इन सबने एक बेस तैयार किया है। एशिया कप की भागीदारी इसी क्रम की स्वाभाविक अगली कड़ी है।

टीम की फिलॉसफी स्पष्ट है—फियरलेस क्रिकेट। इसका मतलब बेपरवाह शॉट्स नहीं, बल्कि परिस्थिति के हिसाब से साहसी फैसले लेना। जैसे पावरप्ले में एक अतिरिक्त स्लिप लगाना, या बाएं हाथ के बल्लेबाज के खिलाफ बल्ले‑बल्ले लाइन पर बाएं हाथ के स्पिनर को जल्दी लाना। इन माइक्रो-टैक्टिक्स पर ओमान की सोच परिपक्व हो रही है।

जतिंदर सिंह की व्यक्तिगत कहानी टीम के भीतर एक मजबूत संदेश देती है: मौके मिलने पर मेहनत के साथ सीढ़ियां चढ़ी जा सकती हैं। भारतीय क्रिकेट से उनका जुड़ाव—सचिन और कोहली जैसे रोल मॉडल—ड्रेसिंग रूम में प्रोफेशनलिज्म और प्रक्रिया पर फोकस को बढ़ावा देता है। युवा खिलाड़ियों के लिए यह बेंचमार्क सेट करता है कि फिटनेस, स्किल और मानसिक मजबूती तीनों पर बराबर काम जरूरी है।

ओमान के लिए आगे क्या अहम है? सबसे पहले, लगातार उच्च गुणवत्ता वाले मैच। दूसरे, स्पेशलिस्ट कोचिंग—डेथ बॉलिंग, पावर-हिटिंग और स्पिन के खिलाफ खेलने के लिए अलग‑अलग मॉड्यूल। तीसरे, डेटा और वीडियो एनालिटिक्स का रोजमर्रा की प्रैक्टिस में उपयोग। चौथे, घरेलू टूर्नामेंट का कैलेंडर ऐसा हो जिसमें बड़े मैचों जैसी दबाव वाली स्थितियां बनें।

व्यावहारिक कदमों की एक चेकलिस्ट भी बनती दिखती है:

  • भारतीय, पाकिस्तानी और श्रीलंकाई घरेलू टीमों के साथ टूर गेम्स और ए-टूर सीरीज
  • NCA जैसी हाई-परफॉर्मेंस सुविधाओं में समयबद्ध ट्रेनिंग ब्लॉक्स
  • फिटनेस और रीकवरी के लिए स्पोर्ट्स साइंस सेटअप—GPS ट्रैकिंग, लोड मैनेजमेंट, न्यूट्रिशन
  • फील्डिंग ड्रिल्स पर अतिरिक्त घंटे—हाई-कैच, इनर-सर्कल रिफ्लेक्स, थ्रोइंग एक्युरेसी
  • क्रंच मोमेंट्स की मैच‑सिमुलेशन—टारगेट डिफेंस 12 बॉल्स/20 रन, या पावरप्ले 2 ओवर/25 रन जैसे परिदृश्य

फैंस और सपोर्ट सिस्टम भी महत्वपूर्ण हैं। गल्फ में भारतीय उपमहाद्वीप से जुड़े क्रिकेटप्रेमियों की बड़ी आबादी है, जो स्टेडियम में ऊर्जा भरती है। कॉर्पोरेट सपोर्ट, प्रसारण की बेहतर पहुंच और स्कूल‑स्तर की अकादमियां मिलकर टैलेंट पाइपलाइन को मजबूत कर सकती हैं। इसी से राष्ट्रीय टीम को हर साल नई धार मिलती है।

ग्रुप-स्टेज में बाहर होना मंज़िल नहीं, शुरुआत है। पाकिस्तान और यूएई के खिलाफ हार ने कमी दिखा दी, लेकिन भारत के खिलाफ 21 रन से हार यह भी बताती है कि गैप को पाटना नामुमकिन नहीं। अगर ओमान को नियमित तौर पर टॉप टीमों के खिलाफ खेलने और बेहतर सुविधाओं में ट्रेनिंग का मौका मिलता रहा, तो अगली बार वही मुकाबला आखिरी ओवर तक खिंच सकता है।

ओमान की कहानी इस समय छोटे क्रिकेट देशों के लिए एक केस‑स्टडी है—स्पष्ट लक्ष्य, सही संसाधन और निरंतर एक्सपोजर से आप बड़े मंच पर जगह बना सकते हैं। स्क्वाड में मौजूद युवा—आर्यन बिष्ठ, करण सोनवले, समय श्रीवास्तव जैसे नाम—यही संकेत देते हैं कि टीम अगले चक्र के लिए नींव बिठा रही है। अनुभवी चेहरों—आमिर कलीम, मोहम्मद नदीम, सुफ़यान महमूद—के साथ यह मिश्रण अगले 12‑18 महीनों में और सधा हुआ दिख सकता है।

अब नज़र आगे की तैयारियों पर है। चयनकर्ता और टीम मैनेजमेंट निजी लीग्स, घरेलू प्रदर्शन और फिटनेस मेट्रिक्स पर नज़र रखेंगे। जतिंदर सिंह की कप्तानी में फोकस रहेगा—हर मैच से ठोस सीख, स्पेशलिस्ट रोल की स्पष्टता, और दबाव के पलों में सादगी से काम खत्म करना। यही रास्ता ओमान को एशिया में एक स्थायी दावेदार बना सकता है।

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