ओमान ने एशिया कप 2025 के लिए अपना 17-सदस्यीय दल घोषित कर दिया और इसी के साथ देश ने इस बड़े एशियाई टूर्नामेंट में पहली बार कदम रखा। टीम की कमान 36 वर्षीय जतिंदर सिंह के हाथों में है, जो लुधियाना (पंजाब) में जन्मे हैं और कई साल से ओमान का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। 2024 एसीसी एमर्जिंग कप से पहले उन्हें कप्तान बनाया गया था, और अब वह इस ऐतिहासिक अभियान की अगुवाई कर रहे हैं।
ओमान की टीम विविध पृष्ठभूमि से आने वाले खिलाड़ियों का मिश्रण है, जिसमें भारतीय मूल के कई नाम शामिल हैं। चयनकर्ताओं ने अनुभव और युवा जोश के संतुलन पर जोर दिया है। ग्रुप-ए में कड़ा मुकाबला झेलने के बावजूद टीम का लक्ष्य साफ रहा—डर के बिना खेलने का और यह दिखाने का कि ओमान बड़े मंच का दावेदार बन सकता है।
घरेलू खेल संस्कृति से दूर एक साधारण परिवार में पले जतिंदर की यात्रा दिलचस्प है। स्कूल के दिनों में क्रिकेट का शौक उन्हें मैदान तक लाया, और ओमान ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दी। उनका कहना रहा है कि सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली ने उनकी सोच और खेलने के तरीके पर गहरा असर डाला। यही पृष्ठभूमि टीम के भीतर आत्मविश्वास और अनुशासन का आधार बनी है।
ओमान के दल में तेज गेंदबाजी, मध्यम गति के गेंदबाज, उपयोगी स्पिन विकल्प और बहुमुखी ऑलराउंडर शामिल हैं। टीम मैनेजमेंट के मुताबिक नए खिलाड़ियों के पास बड़े मंच का अनुभव भले कम हो, लेकिन ऊर्जा और सीखने की रफ्तार तेज है। लक्ष्य है कि मजबूत टीमों के खिलाफ लंबे समय तक मुकाबले में टिके रहें और छोटे-छोटे अंतर बंद करें।
ओमान का घोषित स्क्वाड:
ये नाम केवल विविधता नहीं दिखाते, बल्कि ओमान के क्रिकेट इकोसिस्टम की बदलती तस्वीर भी बतलाते हैं—जहां प्रवासी समुदाय की भागीदारी और स्थानीय संरचना मिलकर एक प्रतिस्पर्धी इकाई बना रहे हैं।
ग्रुप-ए में ओमान को पाकिस्तान, यूएई और भारत जैसी टीमों का सामना करना पड़ा। शुरुआत में पाकिस्तान और यूएई के खिलाफ हार निराशाजनक रही, लेकिन टीम ने रवैया नहीं बदला। 19 सितंबर 2025 को भारत के खिलाफ 21 रन की हार ने दिखाया कि ओमान दबाव में भी मैच में बना रह सकता है। मुकाबले के बाद भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने ओमानी खिलाड़ियों से टी20 के बारीकियों पर बात की—यह छोटा सा पल टीम के लिए मनोबल बढ़ाने वाला रहा।
तकनीकी नजर से देखें तो ओमान की ताकत अनुशासित गेंदबाजी और बीच के ओवरों में सटीक स्पिन है। बल्लेबाजी में शीर्ष क्रम पर ठहराव आते ही टीम बेहतर दिखती है, लेकिन पारी के अंतिम 5-6 ओवरों में बड़े शॉट्स की निरंतरता अभी काम की मांग करती है। फील्डिंग का मानक ऊपर उठ रहा है, पर टॉप टीमों के खिलाफ 1-1 कैच और डायरेक्ट-हिट मैच का रुख तय कर देते हैं—यहीं पर सबसे ज्यादा सुधार की गुंजाइश है।
जतिंदर सिंह और टीम मैनेजमेंट लगातार एक्सपोजर की बात कर रहे हैं। उनकी उम्मीद है कि ओमान के खिलाड़ियों को भारत की नेशनल क्रिकेट एकेडमी (NCA) जैसी हाई-परफॉर्मेंस सुविधाओं में ट्रेनिंग का मौका मिले, साथ ही मजबूत घरेलू टीमों और ए-टीम्स के खिलाफ प्रैक्टिस गेम्स मिलें। यह मांग सिर्फ नाम भर नहीं है—उच्च स्तरीय नेट्स, डेटा-आधारित विश्लेषण, स्पेशलिस्ट कोचिंग और मैच सिमुलेशन जैसे साधन छोटे अंतर को तेजी से कम करते हैं।
ओमान क्रिकेट का सफर पिछले दशक में तेजी से आगे बढ़ा है। एसोसिएट सदस्य के तौर पर देश ने टी20 विश्व कप 2016 में क्वालिफायर से पहचान बनाई और 2021 में मस्कट के अल अमेरात मैदान में बड़े टूर्नामेंट की मेजबानी कर चर्चा बटोरी। इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश, नए टैलेंट की स्काउटिंग और स्कूल‑कॉलेज स्तर पर प्रतियोगिताएं—इन सबने एक बेस तैयार किया है। एशिया कप की भागीदारी इसी क्रम की स्वाभाविक अगली कड़ी है।
टीम की फिलॉसफी स्पष्ट है—फियरलेस क्रिकेट। इसका मतलब बेपरवाह शॉट्स नहीं, बल्कि परिस्थिति के हिसाब से साहसी फैसले लेना। जैसे पावरप्ले में एक अतिरिक्त स्लिप लगाना, या बाएं हाथ के बल्लेबाज के खिलाफ बल्ले‑बल्ले लाइन पर बाएं हाथ के स्पिनर को जल्दी लाना। इन माइक्रो-टैक्टिक्स पर ओमान की सोच परिपक्व हो रही है।
जतिंदर सिंह की व्यक्तिगत कहानी टीम के भीतर एक मजबूत संदेश देती है: मौके मिलने पर मेहनत के साथ सीढ़ियां चढ़ी जा सकती हैं। भारतीय क्रिकेट से उनका जुड़ाव—सचिन और कोहली जैसे रोल मॉडल—ड्रेसिंग रूम में प्रोफेशनलिज्म और प्रक्रिया पर फोकस को बढ़ावा देता है। युवा खिलाड़ियों के लिए यह बेंचमार्क सेट करता है कि फिटनेस, स्किल और मानसिक मजबूती तीनों पर बराबर काम जरूरी है।
ओमान के लिए आगे क्या अहम है? सबसे पहले, लगातार उच्च गुणवत्ता वाले मैच। दूसरे, स्पेशलिस्ट कोचिंग—डेथ बॉलिंग, पावर-हिटिंग और स्पिन के खिलाफ खेलने के लिए अलग‑अलग मॉड्यूल। तीसरे, डेटा और वीडियो एनालिटिक्स का रोजमर्रा की प्रैक्टिस में उपयोग। चौथे, घरेलू टूर्नामेंट का कैलेंडर ऐसा हो जिसमें बड़े मैचों जैसी दबाव वाली स्थितियां बनें।
व्यावहारिक कदमों की एक चेकलिस्ट भी बनती दिखती है:
फैंस और सपोर्ट सिस्टम भी महत्वपूर्ण हैं। गल्फ में भारतीय उपमहाद्वीप से जुड़े क्रिकेटप्रेमियों की बड़ी आबादी है, जो स्टेडियम में ऊर्जा भरती है। कॉर्पोरेट सपोर्ट, प्रसारण की बेहतर पहुंच और स्कूल‑स्तर की अकादमियां मिलकर टैलेंट पाइपलाइन को मजबूत कर सकती हैं। इसी से राष्ट्रीय टीम को हर साल नई धार मिलती है।
ग्रुप-स्टेज में बाहर होना मंज़िल नहीं, शुरुआत है। पाकिस्तान और यूएई के खिलाफ हार ने कमी दिखा दी, लेकिन भारत के खिलाफ 21 रन से हार यह भी बताती है कि गैप को पाटना नामुमकिन नहीं। अगर ओमान को नियमित तौर पर टॉप टीमों के खिलाफ खेलने और बेहतर सुविधाओं में ट्रेनिंग का मौका मिलता रहा, तो अगली बार वही मुकाबला आखिरी ओवर तक खिंच सकता है।
ओमान की कहानी इस समय छोटे क्रिकेट देशों के लिए एक केस‑स्टडी है—स्पष्ट लक्ष्य, सही संसाधन और निरंतर एक्सपोजर से आप बड़े मंच पर जगह बना सकते हैं। स्क्वाड में मौजूद युवा—आर्यन बिष्ठ, करण सोनवले, समय श्रीवास्तव जैसे नाम—यही संकेत देते हैं कि टीम अगले चक्र के लिए नींव बिठा रही है। अनुभवी चेहरों—आमिर कलीम, मोहम्मद नदीम, सुफ़यान महमूद—के साथ यह मिश्रण अगले 12‑18 महीनों में और सधा हुआ दिख सकता है।
अब नज़र आगे की तैयारियों पर है। चयनकर्ता और टीम मैनेजमेंट निजी लीग्स, घरेलू प्रदर्शन और फिटनेस मेट्रिक्स पर नज़र रखेंगे। जतिंदर सिंह की कप्तानी में फोकस रहेगा—हर मैच से ठोस सीख, स्पेशलिस्ट रोल की स्पष्टता, और दबाव के पलों में सादगी से काम खत्म करना। यही रास्ता ओमान को एशिया में एक स्थायी दावेदार बना सकता है।
10 जवाब
जतिंदर सिंह की कप्तानी में ओमान का स्क्वाड वाकई विविधता दिखाता है, लेकिन खिलाड़ियों की फिटनेस और बॉलिंग वैरायटी को और निखारना जरूरी है। विशेषकर तेज़ बॉलर्स को लैंडिस में स्पीड रखनी चाहिए, जबकि स्पिनर को मध्य ओवर में दबाव बनाना चाहिए। टीम ने अभी शुरुआती मुकाबलों में असंगति दिखायी है, इसलिए लगातार उच्च‑गुणवत्ता वाले नेट सत्र और डेटा‑ड्रिवन एनालिसिस अपनाना फायदेमंद रहेगा। साथ ही फील्डिंग के लिए रिफ्लेक्स ड्रिल्स को रोज़ाना दो घंटे तक बढ़ाना चाहिए, ताकि टॉप‑टीम के खिलाफ 1‑1 कैच का आँकड़ा सुधर सके। अंत में, युवा खिलाड़ियों को एनसीए जैसे संस्थान में ट्रेनिंग का मौका मिलना चाहिए, जिससे उनके mental गेम में भी सुधार आए।
देखो यार, ये ओमन टीम का सपना सिर्फ बढ़िया नाम लेकर नहीं चल रहा, उनका बुनियादी स्ट्रक्चर ही टूट-फूट वाला है 😒। ग्रुप‑ए में पाकिस्तान और यूएई के खिलाफ हार तो दिखा रही है कि उनका तकनीकी स्तर अंतरराष्ट्रीय मानकों से बहुत पीछे है, और भारत के खिलाफ 21 रन की हार तो और भी स्पष्ट लम्हा है। अगर असली प्रगति चाहते हैं तो सिर्फ टूर गेम्स नहीं, बल्कि हर साल कम से कम 20 अंतरराष्ट्रीय मैचेज़ प्लान करना पड़ेगा, वरना ये सब सिर्फ एक शोइंकेस रहेगा। और यह बात तो सबको पता है कि अगर कोचिंग स्टाफ़ में अनुभवी स्पेशलिस्ट नहीं रखे तो कोई भी टीम टॉप‑लेवल पर टिक नहीं पाएगी। इसलिए टॉप‑लेवल सिमुलेशन और हाई‑इंटेंसिटी फिटनेस प्रोटोकॉल को तुरंत लागू करो, नहीं तो ओमन की कहानी बस एक और “कोशिश” बन कर रह जाएगी।
मैं मानता हूँ कि इस एशिया कप में ओमन की एंट्री सिर्फ एक बड़े अंतरराष्ट्रीय एजेंडा का हिस्सा है, जिसे कहीं न कहीं छिपा रखा गया है। उनके भारतीय मूल के खिलाड़ियों को चुनना और जतिंदर सिंह को कप्तान बनाना एक सिग्नल है कि कुछ गुप्त ताकतें इन देशों के बीच खेल को राजनइतिक उपकरण बनाकर इस्तेमाल करना चाहती हैं। इस टूनमेंट को देखते हुए, मैं आश्चर्य नहीं करता कि कुछ बड़े ब्रॉडकास्टर और स्पॉन्सर अचानक ओमन पर फोकस कर रहे हैं, क्योंकि यह एक कंवर्सेशनली अनचाहा प्ले ग्राउंड बन रहा है। इसके अलावा, भारत, पाकिस्तान और यूएई के साथ मैचों को शेड्यूल करके, इन फ्रंटियर्स पर सूक्ष्म जानकारी का आदान‑प्रदान बढ़ेगा, जो कहीं न कहीं बड़े डेटा इंटेलिजेंस ऑपरेशन का हिस्सा हो सकता है। इस सब को देखते हुए, हमें इस प्रतियोगिता के पीछे की वास्तविक मंशा को समझने की जरूरत है।
ओमन को भरोसा है तो हम भी भरोसा करेंगे।
भइयां तो बात सही बा, पर थोड़ा धियान दीन जाय तो ठीक होगी। लैंडिस में स्पीडर ट्रेनिंग रखी जई तो बॉलर के किंग बनहैं। स्पिनरनु तो मिडऑवर मं दाब बनाय राखु, अऊर फील्डिंग ड्रिल्स रोज़ दो एतवार न करे तो कैच चैनज नहीं बची। मैनेजमेंट अगर एंट्री लेवां सै तो टॉप टियर्स के कोचिंग सपोर्ट भी लेई, नही तो बस बैकअप प्लान बनि रह जाई। और, ए.सी.सी.जैसे इवेंट में टिकट बेचने वाले लोग भी कुछ पूरक इन्फ्रा देण की सोचे, जैसे हाई‑स्पीड नेट्स वगैरा। थ्रेड में लिखी बातन नू थोड़े सटीक रखैं तो सबकी मदद होगी। एँट्री का फोकस सिर्फ नाम नहीं, पर बेक़ायदा परफॉर्मेंस भी है। सच्चाई में, थोडा हेल्पफुल डेवलपमेंट टूल इंट्रोड्यूस करौ तो टीम की ग्रोथ फास्ट हो सकै।
ओमन की एशिया कप में भागीदारी को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि टीम का ढांचा अभी विकास階段 में है और इसे कई पहलुओं से सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। सबसे पहले, खिलाड़ियों की तकनीकी क्षमताओं को सुधारने के लिए लगातार उच्च-गुणवत्ता वाले नेट सत्र आयोजित करने चाहिए, जहाँ प्रत्येक बॉलर को अपनी गति और लाइन पर काम करने का अवसर मिले। दूसरे, बॉटम ऑर्डर की बैटिंग को मजबूत करने हेतु पावर हिटिंग शॉर्ट इंटेंसिटी ड्रिल्स को प्लान करना चाहिए, जिससे आखिरी ओवर में बढ़त हासिल की जा सके। तीसरे, स्पिनर को मध्य ओवर में संक्रमण के दौरान अधिक रचनात्मक रूप से उपयोग किया जाना चाहिए, जिससे विरोधी टीम का स्कोरिंग पैटर्न टूटे। चौथे, फील्डिंग के लिए विशेष रूप से हाई-रिफ्लेक्स चैट्स और सीधा थ्रो की सटीकता बढ़ाने वाले एंगेजमेंट ड्रिल्स को दैनिक आधार पर शामिल किया जाना चाहिए। पाँचवें, टीम की फिटनेस को ट्रैक करने हेतु जीपीएस और लोड मैनेजमेंट सिस्टम को अपनाया जाना चाहिए, जिससे ओवरवर्किंग से बचा जा सके। छठे, उन्नत वीडियो एनालिटिक्स का उपयोग करके प्रत्येक मैच के बाद विस्तृत ब्रीफ़िंग करानी चाहिए, जहाँ खेल के कुंजी क्षणों की समीक्षा की जाए। सातवें, युवा खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्तर की अकादमी में एक्सपोजर देना आवश्यक है, जिससे उनका मानसिक दबाव संभालने का कौशल विकसित हो। आठवें, कोचिंग स्टाफ़ में एक विशेषज्ञ डेड बॉलींग कोच और एक पावर हिटिंग कोच को शामिल करना चाहिए, ताकि तकनीक में गहराई आए। नौवें, टीम मैनेजमेंट को नियमित रूप से टॉप-टियर देशों के साथ टूर मैचेज़ की व्यवस्था करनी चाहिए, जिससे वास्तविक प्रतियोगी माहौल प्रदान हो। दसवें, इन सभी पहलुओं को एक सुसंगत कैलेंडर में व्यवस्थित किया जाना चाहिए, जिससे खिलाड़ियों को स्पष्ट लक्ष्य और समयसीमा मिले। ग्यारहवें, टीम के किट और उपकरण में सुधार लाना आवश्यक है, जैसे कि हल्के वेटेड बैट्स और बेहतर ग्रिप वाले बॉल्स। बारहवें, प्रमोशन और फैन एंगेजमेंट के लिए सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर सक्रियता बढ़ानी चाहिए, जिससे टीम को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिले। तेरहवें, स्पॉन्सरशिप को बढ़ावा देने हेतु स्थानीय कॉर्पोरेट पार्टनर्स को आकर्षित करना चाहिए, जो वित्तीय सहायता के साथ साथ एक्सपर्ट वैल्यू भी प्रदान कर सके। चौदहवें, मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक स्पोर्ट्स साइकोलॉजिस्ट को टीम में शामिल करना चाहिए, जिससे खिलाड़ियों को दबाव और तनाव से निपटने में मदद मिले। अंत में, सभी इन चरणों को एक व्यवस्थित मॉनिटरिंग फ्रेमवर्क के तहत ट्रैक किया जाना चाहिए, ताकि प्रगति का मूल्यांकन किया जा सके और आवश्यक सुधार समय पर लागू हो सकें।
ओमन को अगर असली सुधार चाहिए तो बस दिमाग से नहीं बल्कि शरीर से भी काम लेना पड़ेगा पर ऐसी टीम को अक्सर दिल की बातों से नहीं सुनाया जाता है और यही उनकी बड़ी कमजोरी है
अति सुंदर विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि ओमन की क्रिकेट यात्रा न केवल एक खेल है बल्कि एक सांस्कृतिक परिवर्तन का अंश भी है। इस परिवर्तन को सुगम बनाने हेतु उच्च स्तर की बुनियादी सुविधाओं की स्थापना, डेटा‑संचालित रणनीतियों का कार्यान्वयन, तथा युवा प्रतिभा के निरंतर पोषण का महत्व अपरिवर्तनीय है। 📊🚀 भविष्य की सफलता सुनिश्चित करने हेतु केवल रणनीतिक खेल नहीं, बल्कि प्रौद्योगिकी‑सहायता वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों की आवश्यकता है, जिससे खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय दबाव में भी शांति बनाए रख सकें। अतः, इस संधि को दृढ़ता तथा दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ाना आवश्यक है, ताकि ओमन एशिया कप के मंच पर न केवल भाग ले, बल्कि सम्मान भी जीत सके। 🙏✨
ओमन को ग्रुप‑ए में कठिन मुकाबला मिला लेकिन सीखने का मौका मिला
भाई अब्बी बहुत बढ़िया लिखा, मैं भी मानता हूं कि डेटा एनालिटिक्स और हाई‑परफ़ॉर्मेंस ट्रेनिंग को तुरंत लागू करना चाहिए 🚀। छोटे‑छोटे सुधारों से ही बड़ी प्रगति होगी, चलो मिलके इस दिशा में काम करते हैं 😊。