नेपाल के कम्युनिस्ट नेता केपी शर्मा ओली ने चौथी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की है। सोमवार, 15 जुलाई 2024 को उन्होंने शपथ ली, और इस मौके पर प्रधानमंत्री ओली के समर्थन में कई प्रमुख राजनेता और जनता उपस्थित थे। ओली नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (सीपीआई-यूएमएल) के अध्यक्ष हैं, और उन्होंने नेपाली कांग्रेस पार्टी के समर्थन से गठबंधन सरकार बनाई है। नेपाली कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व शेर बहादुर देउबा कर रहे हैं।
यह नियुक्ति पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हारने के बाद हुई। प्रचंड के हारने के बाद, ओली ने समर्थन का पत्र जमा किया जिसमें 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा के 165 सदस्यों की हस्ताक्षर शामिल थे। इनमें 77 सदस्य उनकी पार्टी, सीपीआई-यूएमएल, से और 88 सदस्य नेपाली कांग्रेस पार्टी से थे। ओली और देउबा ने सतारूढ़ दल के तौर पर प्रचंड के स्थान पर सत्ता साझा करने हेतु सात-सूत्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए।
प्रशासनिक धारणाओं के अनुसार, ओली का चौथी बार प्रधानमंत्री बनना नेपाल के लिए एक बड़ा राजनीतिक परिवर्तन साबित हो सकता है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म 'एक्स' पर एक संदेश भी साझा किया। मोदी ने उम्मीद जताई कि दोनों देशों के बीच मित्रता और सहयोग को और मजबूती मिलेगी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी ओली को बधाई देते हुए भारत और नेपाल के बीच विशिष्ट मित्रता और साझेदारी को रेखांकित किया।
ओली के समक्ष मुख्य चुनौती नेपाल में राजनीतिक स्थिरता लाना है। 2008 में राजशाही के समाप्त होने के बाद से नेपाल में 13 सरकारें आ चुकी हैं। इस राजनीतिक अस्थिरता ने देश के विकास में बड़ी अड़चनें पैदा की हैं। ओली ने अपने अनुभव और दल के समर्थन के बल पर जनता को विश्वास दिलाया है कि वह इस बार राजनीतिक स्थिरता और विकास की दिशा में ठोस कदम उठाएंगे।
प्रचंड के सत्ता से हटने और ओली के प्रधानमंत्री बनने के बाद जनता की अपेक्षाएं भी अधिक हो गई हैं। नेपाली जनता को उम्मीद है कि ओली और देउबा के संयुक्त नेतृत्व में देश एक नई दिशा में प्रगति करेगा।
इस राजनीतिक घटनाक्रम के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि ओली और देउबा की साझेदारी कैसे कार्य करती है और नेपाल को एक स्थिर और सुरक्षित भविष्य कैसे प्रदान करती है।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओली को बधाई दी और आशा व्यक्त की कि उनके नेतृत्व में नेपाल-भारत संबंध और मजबूत होंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में कहा कि वह ओली के साथ मिलकर काम करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, ताकि दोनों देशों के बीच मित्रता और सहयोग बढ़े। मोदी का यह संदेश इस बात का प्रमाण है कि भारत और नेपाल के रिश्ते आने वाले समय में और गहरे हो सकते हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी ओली को बधाई दी और कहा कि भारत और नेपाल के बीच की मित्रता अद्वितीय है। खड़गे ने उम्मीद जताई कि ओली के नेतृत्व में नेपाल और भारत के बीच का संबंध नई ऊंचाइयों को छूएगा। उनके संदेश से यह स्पष्ट है कि भारत के राजनीतिक दल भी नेपाल के साथ संबंधों को महत्व दे रहे हैं।
नेपाल की जनता को ओली से काफी उम्मीदें हैं। पिछले कुछ सालों में राजनीतिक अस्थिरता और सरकारों के बदलाव से जनता में विकास के प्रति निराशा उत्पन्न हो गई थी। ओली की चौथी बार प्रधानमंत्री पद पर नियुक्ति ने लोगों में एक नई उम्मीद जगाई है। उनके अनुभव और राजनीतिक परिपक्वता के चलते देश को एक स्थिर सरकार मिल सकती है। ओली ने अपने शुरुआती भाषण में कहा भी था कि उनकी प्राथमिकता विकास और स्थिरता होगी।
अब देखना यह है कि ओली और देउबा की साझेदारी से नेपाल को कितना लाभ मिलता है। जनता की आशाएं और अपेक्षाएं दोनों नेताओं से बंधी हुई हैं।
देश का भविष्य अब इन्हीं नेताओं के हाथ में है। देखना यह होगा कि वे अपनी गठबंधन सरकार को कैसे चलाते हैं और देश में राजनीतिक स्थिरता और विकास के मार्ग को कैसे प्रशस्त करते हैं।
6 जवाब
केपी शर्मा ओली की बार-बार सत्ता में वापसी लोकतांत्रिक परिपक्वता का प्रमाण नहीं है; यह केवल राजनीतिक कुप्रबंधन की प्रतिपूर्ति है।
ओली जी को बधाई देना न सिर्फ़ नेपाल की राजनीतिक स्थिरता की आशा देता है, बल्कि भारत-नेपाल मित्रता को भी नई ऊर्जा मिलती है। हमारे मित्र देश में ऐसी परिवर्तनशीलता अक्सर सकारात्मक विकास के संकेतक होते हैं। इससे हमारे दोनों देशों के व्यापारिक मार्ग और पर्यटन उद्योग को भी लाभ होगा। आशा है कि नई गठबंधन सरकार सामाजिक उत्थान और बुनियादी ढाँचे के निर्माण में ध्यान देगी। यह समय है जब हम आपसी सहयोग के लिए नई पहलें कर सकते हैं, जैसे ऊर्जा साझेदारी और जल संसाधन प्रबंधन। अंत में, जनता को भरोसा दिलाना चाहिए कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए पारदर्शी नीतियाँ अपनाई जाएँगी।
भाई लोग, ओली के फिर से प्रधानमंत्री बनने से नेपाल में नई स्ट्रेटेजी की आशा है। हम भी भारत में सहयोगी पहल को लेकर उत्साहित हैं। चलो, दोनों देशों के बीच बंधन को और मजबूत बनाते हैं।
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ओली जी ने जो वचन दिया है वह विकास और स्थिरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। नेपाल की सीमित संसाधनों को बेहतर प्रबंधन की जरूरत है। भारत के साथ सहयोग इस दिशा में मूलभूत भूमिका निभा सकता है। द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देना आर्थिक विकास को तेज़ करेगा। साथ ही, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग से जनसंतुष्टि बढ़ेगी। सुरक्षा सहयोग भी दोनों देशों के लिए फायदेमंद रहेगा। इस नई सरकार को पारदर्शी निर्णय लेने चाहिए। अंत में, जनता का भरोसा जीतने के लिए वास्तविक कार्य आवश्यक है।
ओली जी की चौथी बार पदस्थापना नेपाल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह घटना दर्शाती है कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में अभी भी कई चुनौतियाँ हैं। पहले के कई सरकारों की अस्थिरता ने विकास कार्यों को बाधित किया है। अब नई गठबंधन सरकार को स्थिरता और पारदर्शिता के साथ काम करना चाहिए। उनकी नीति में आर्थिक सुधार, बुनियादी ढाँचे का विकास और सामाजिक न्याय को प्राथमिकता देनी चाहिए। भारत-नेपाल संबंधों को भी इस प्रक्रिया में सहयोगी भूमिका निभानी चाहिए। व्यापार, ऊर्जा, जलसंधियों में सहयोग दोनों पक्षों को लाभ पहुंचा सकता है। साथ ही, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना लोगों के बीच समझ बढ़ाएगा। सुरक्षा के क्षेत्र में भी द्विपक्षीय समन्वय आवश्यक है। ओली जी को यह समझ होना चाहिए कि लोकतंत्र केवल सत्ता में रहना नहीं, बल्कि जनता को समुचित सेवा प्रदान करना है। इस संदर्भ में, उन्होंने अपने भाषण में विकास के लक्ष्य स्पष्ट किए हैं, जो सकारात्मक संकेत है। जनता को भी सरकार के कामकाज पर सक्रिय निगरानी रखनी चाहिए। असंतोष के मूल कारणों को समझ कर ही स्थायी समाधान निकाले जा सकते हैं। अंत में, उम्मीद है कि यह नया चरण नेपाल को राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक प्रगति की ओर ले जाएगा।