फारूक अब्दुल्ला के बयान से फिर गरमाया भारत-पाक रिश्तों और कश्मीर आतंकवाद का मुद्दा

अगस्त 6, 2025 0 टिप्पणि Priyadharshini Ananthakumar

फारूक अब्दुल्ला का बयान: कश्मीर में अमन-चैन पर फिर उठे सवाल

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के हालिया बयान ने कश्मीर घाटी में शांति को लेकर बहस छेड़ दी है। शोपियां में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने साफ कहा, "आतंकवाद तब तक खत्म नहीं होगा जब तक भारत और पाकिस्तान के संबंध बेहतर नहीं हो जाते।" ये कहना जितना सीधा है, उतना ही विवादित भी। अपने बयान में उन्होंने कुलगाम जिले में चल रहे मुठभेड़ का हवाला दिया और केंद्र सरकार की 'शांति' की बातों को सिरे से खारिज कर दिया।

फारूक अब्दुल्ला ने माना कि सीमापार तनाव और घाटी में हो रही आतंकी घटनाओं के बीच गहरा रिश्ता है। उनका कहना था कि पाकिस्तान से बेहतर संबंध ही जम्मू कश्मीर में स्थायी अमन ला सकते हैं। बयान देते वक्त उन्होंने सटीक शब्दों में कहा, “जब तक दोनों देश साथ नहीं बैठते और मसले का हल नहीं निकालते, आतंकवाद खत्म नहीं होगा—चाहे कितनी भी सख्त कार्रवाई क्यों न हो।”

राजनीतिक हलकों में मचा बवाल, बीजेपी ने जमकर आलोचना की

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ये बयान ऐसे समय आया है जब केंद्र सरकार कश्मीर में 'सामान्य स्थिति' की जमकर चर्चा कर रही है। बीजेपी ने फारूक अब्दुल्ला पर जमकर हमला बोला। पार्टी नेताओं का कहना है कि इस तरह की बातें देश की सुरक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाती हैं और आतंकियों के हौसले बढ़ाती हैं। बीजेपी प्रवक्ताओं ने आरोप लगाया कि अब्दुल्ला का बयान भारत सरकार के शांति प्रयासों के विपरीत है और इससे सिर्फ पाकिस्तान को फायदा होगा।

कश्मीर में आतंकवाद का मुद्दा बरसों पुराना है। एक ओर सुरक्षा बल लगातार ऑपरेशन चला रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक दलों के बयान कभी-कभी सरकार की रणनीति पर सवाल खड़े कर देते हैं। खासतौर से जब बात पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देश से रिश्तों की आती है, तो मसला और उलझ जाता है।

फारूक अब्दुल्ला के हालिया बयान से घाटी के आम लोगों के बीच डर और असुरक्षा की भावनाएं और गहरी हो गई हैं। कई लोग यह समझ नहीं पा रहे कि हालात सुधर रहे हैं या राजनीति फिर से किसी नए खेल में है। बीते कुछ हफ्तों में घाटी में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ी है, और मुठभेड़ की घटनाएं भी सुर्खियों में आई हैं। इसके बावजूद विपक्ष इस बात पर सवाल उठा रहा है कि क्या असल में हालात पहले से बेहतर हैं?

जम्मू-कश्मीर में आतंक की समस्या का हल निकलेगा या नहीं, यह भारत-पाकिस्तान की कूटनीति और दोनों देशों के नेताओं की इच्छाशक्ति पर भी निर्भर करता है। फिलहाल दोनों मुल्कों के बीच तनाव कम होता नजर नहीं आ रहा और ऐसे में फारूक अब्दुल्ला के बोल फिर से सियासी तापमान बढ़ा रहे हैं।

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