जब कोई व्यक्ति बिना लाइसेंस या सरकारी अनुमति के शेयर, क्रिप्टो या माल की खरीद‑बेच करता है, तो उसे अवैध ट्रेडिंग कहते हैं। यह सिर्फ क़ानून का उल्लंघन नहीं, बल्कि निवेशकों की भरोसे को भी तोड़ता है। अक्सर लोग तेज़ मुनाफे की चाह में ऐसी लुभावनी ऑफर पर फँस जाते हैं।
1. बिना लाइसेंस के ब्रोकर प्लेटफ़ॉर्म – ऐसे ऐप या वेबसाइट जो खुद को सर्टिफ़ाइड बताते हैं, पर वास्तविक में कोई रजिस्टर्ड ब्रोकरेज नहीं होता।
2. पम्प‑एंड‑डंप स्कीम – शेयर की कीमत बढ़ाने के लिए झूठी खबरें फैलाई जाती हैं, फिर जब मूल्य ऊँचा हो जाए तो सारी शेर बेच दी जाती है और निवेशकों को नुकसान रहता है।
3. क्रिप्टो फेक एक्सचेंज – नई कॉइन की घोषणा करके लोगों से पैसे ले लेते हैं और फिर बंद कर देते हैं।
4. भौतिक वस्तुओं का काला बाज़ार – जैसे सोना, ड्रग या हथियारों की छुपी ट्रेडिंग, जो अक्सर ऑनलाइन ग्रुप में होती है।
अवैध ट्रेडिंग करने वाले को जुर्माना, जेल या दोनों का सामना करना पड़ सकता है। भारत में SEBI (सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड) और FIU (फ़ाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट) ऐसे मामलों की जाँच करती हैं। अगर आप अनजाने में फँसे हों तो तुरंत अपना बैंक अकाउंट ब्लॉक कराएँ, पुलिस रिपोर्ट दर्ज करें और SEBI को सूचित करें।
बचाव के कुछ आसान कदम:
भविष्य में अगर आप ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो भरोसेमंद ब्रोकर चुनें और हमेशा दस्तावेज़ीकरण रखें। छोटे‑छोटे निवेश से शुरू करें और जोखिम को समझते हुए ही आगे बढ़ें। याद रखिए, तेज़ पैसा अक्सर धोखा होता है – सुरक्षित रहना ही सबसे बड़ा मुनाफा है।
SEBI ने Quant Mutual Fund House पर ₹93,000 करोड़ की अवैध फ्रंट रनिंग ट्रेडिंग के आरोप में छापा मारा। फ्रंट रनिंग में गोपनीय जानकारी का उपयोग कर बड़े आदेश से पहले व्यक्तिगत ट्रेड की जाती है। जाँच का मुख्य उद्देश्य इस अवैध गतिविधि में शामिल व्यक्तियों की पहचान करना और निवेशकों के पैसे की वसूली के तरीकों का पता लगाना है।
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