हर साल अप्रैल‑मई का मौसम आते ही लोग अपने आयकर रिटर्न की सोचते हैं। लेकिन बहुत से लोगों को नहीं पता कि इस प्रक्रिया में कौन‑कौन सी बातों पर ध्यान देना चाहिए। यहाँ हम सरल शब्दों में बताएंगे कि आयकर क्या है, कब फाइल करना ज़रूरी है और फ़ॉर्म भरने के आसान कदम क्या हैं।
सबसे पहले वित्तीय वर्ष को समझें – यह 1 अप्रैल से शुरू होकर अगले साल 31 मार्च तक चलता है। अगर आपकी आय इस अवधि में निर्धारित सीमा (सिंगल फ़ॉर्मेट के लिए लगभग ₹5 लाख) से अधिक है तो रिटर्न फाइल करना अनिवार्य है। फाइल करने की प्रक्रिया दो हिस्सों में बाँटी जा सकती है:
1. दस्तावेज़ इकट्ठा करें: वेतन स्लिप, फ़ॉर्म‑16, बैंक स्टेटमेंट, बैंकों से मिलने वाले ब्याज प्रमाणपत्र और कोई भी निवेश का सबूत (ELSS, PPF, आदि)। ये सभी चीजें आपके आय और कटौतियों को सटीक बनाती हैं।
2. ऑनलाइन पोर्टल पर रजिस्टर करें: इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट की आधिकारिक वेबसाइट या मोबाइल ऐप खोलें। अपना PAN, ई‑मेल और फ़ोन नंबर डालकर लॉगिन करें। फिर “आयकर रिटर्न” सेक्शन में जाकर फॉर्म 1040 (या अन्य लागू फॉर्म) चुनें।
फ़ॉर्म भरते समय ‘कुल आय’, ‘कटौतियाँ’ और ‘टैक्स भुगतान’ को सही‑सही डालें। अगर आप पहले से टैक्स डिडक्टेड एंटिटी (TDS) का प्रयोग करते हैं, तो TDS सर्टिफ़िकेट अपलोड करना न भूलें। सब कुछ भरने के बाद “वैलिडेट” बटन दबाएँ – अगर कोई गलती रहेगी तो सिस्टम बताएगा और सुधार करने का मौका देगा। अंत में ‘सबमिट’ कर दें और फ़ॉर्म 16‑digit Acknowledgement Number को सुरक्षित रखें; यह भविष्य में किसी भी पूछताछ या रिफंड के लिए काम आएगा।
बहुत सारे टैक्सपेयर्स एक ही दो गलती बार‑बार करते हैं – ‘कटौतियों को कम लिखना’ या ‘सही फॉर्म न चुनना’। अगर आप सैलरी स्लिप से मिलने वाले HRA, लोन इंटरेस्ट, या मेडिकल एक्सपेंसेज़ को छूट नहीं देते तो आपका टैक्स बोझ अनावश्यक बढ़ जाता है। हमेशा सेक्शन‑80C, 80D आदि के तहत उपलब्ध सभी डिडक्शन का उपयोग करें।
दूसरी बड़ी गलती है देर से फाइल करना। रिटर्न देरी से जमा करने पर इंटरेस्ट और पेनल्टी लग सकती है। अगर आप आखिरी तिथि (आमतौर पर 31 जुलाई) से पहले नहीं जमा कर पाए तो तुरंत ‘लीट फ़ाइलिंग’ के विकल्प का उपयोग करें; इससे कुछ हद तक जुर्माना कम हो सकता है।
अंत में, रिफंड की स्थिति ट्रैक करना न भूलें। आयकर पोर्टल पर जाकर आप अपना रिफंड स्टेटस देख सकते हैं और अगर कोई समस्या है तो तुरंत शिकायत दर्ज कर सकते हैं। अधिकांश मामलों में दो‑तीन हफ्तों में रिफंड बैंक खाते में पहुँच जाता है।
तो अब जब आपका मन साफ़ हो गया है, तो देर किस बात की? दस्तावेज़ इकट्ठा करें, ऑनलाइन पोर्टल खोलें और अपने आयकर को सही तरीके से फाइल करके टैक्स बचत का पूरा फायदा उठाएँ। अगर फिर भी कोई सवाल रहे तो हमारे ‘टैक्स हेल्पडेस्क’ सेक्शन में लिखिए, हम जवाब देंगे।
वित्त वर्ष 2024-25 के केंद्रीय बजट में आयकर स्लैब्स में बड़े बदलावों की उम्मीद है। विशेषज्ञों ने नए आयकर प्रणाली को अधिक आकर्षक बनाने के लिए कई सुधार सुझाए हैं। मुख्य अपेक्षाओं में नए कर स्लैब में मूल छूट सीमा को 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख करना शामिल है। इसके अलावा मानक कटौती सीमा को बढ़ाने की भी मांग है।
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