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लेकिन थैंक्सगिविंग का मुख्य व्यंजन आज टर्की कैसे बन गया? इसका उत्तर उस दौरान के सांस्कृतिक प्रवास और आर्थिक सहूलियतों में छिपा है।
16वीं शताब्दी में, यूरोपीय जा रहे जातियों ने जब मेक्सिको और मध्य अमेरिका की भूमि से पालतू टर्कियों को लेकर आए, तब इन्हें वहां के सामाजिक दायरे में विलासिता के प्रतीक के रूप में देखा गया। अमेरिका में तब जंगली टर्की की बहुतायत थी, और इन्हें आसानी से पकड़कर पकाया जा सकता था। इससे इसे एक आर्थिक रूप से व्यावहारिक विकल्प बना दिया गया।
समय के साथ, टर्की का थैंक्सगिविंग की मेज पर केंद्रीय भूमिका की स्थापना अन्य कारणों के माध्यम से हुई। प्रख्यात लेखिका सारा जोसेफा हेल, जिन्हें ‘थैंक्सगिविंग की गॉडमदर’ कहा जाता है, ने 1827 में अपने उपन्यास ‘नॉर्थवुड’ में न्यू इंग्लैंड के थैंक्सगिविंग में एक मांसयुक्त टर्की को दर्शाया। उनकी प्रेरणा से राष्ट्र स्तर पर इस पर्व को मान्यता दी गई।
19वीं शताब्दी के कृषि सुधारों और तीव्र औद्योगिकीकरण ने टर्की के रूप को नया आयाम दिया। इसका उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष रूप से बड़े और सस्ते टर्कियों की नस्लें तैयार की गईं। जिसमें व्यापारिक दृष्टिकोण से लाभदायक और आसानी से मिलने वाले खाद्य पदार्थ के रूप में देखी जाने लगी।
अमेरिका में थैंक्सगिविंग पर 4.6 करोड़ टर्कियों का उपभोग इसके व्यापक पैमाने को दर्शाता है। अमेरिकी कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार यह बचा हुआ संख्या दर्शाता है। इसके अलावा, इस त्योहार में राष्ट्रपति द्वारा टर्की के माफीनामा करने की परंपरा अपने आप में एक अद्वितीय सांस्कृतिक प्रतीक है, जिसे लिंकन के समय से प्रारंभ होकर 1947 में औपचारिक रूप से मंजूर किया गया।
आज, थैंक्सगिविंग समारोह की पहचान परिवार, आभार व्यक्त करने और पारंपरिक खाद्यों जैसे टर्की पर आधारित है, जो कि कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक तत्वों का मिश्रण है। यह न केवल अतिथि-सत्कार बल्कि एक राष्ट्रीय धरोहर के रूप में भी टर्की की अनूठी भूमिका को स्थापित करता है।
13 जवाब
थैंक्सगिविंग में टर्की का उभरता स्थान वास्तव में आर्थिक और सामाजिक कारणों से जुड़ा था। पायलट्री डिवीजन ने 19वीं सदी में बड़े पैमाने पर टर्की का पालन‑पोषण किया, जिससे यह कीमत में किफायती हो गया। इस कारण कई परिवारों ने इसे मुख्य व्यंजन के रूप में अपनाया। इस परंपरा आज भी राष्ट्रीय चेतना को प्रतिबिंबित करती है। :)
यार टर्की की कहानी सुनो यही है जो पिलग्रिम्स के बाद तुरंत फुला क्योंकि हाथ में सस्ता मिल गया
भाई इस इतिहास से हमें सिखना चाहिए कि संसाधनों का सही उपयोग कैसे करना चाहिए और साथ ही परिवार के साथ खाने की खुशी को बढ़ाना चाहिए।
टर्की का सफ़र बहुत ही ज़िंदादिल है
इतिहास के पन्नों को रंगीन बनाने के लिए कुछ लोग टर्की को अति‑महत्व देते हैं जबकि असली भोजन की विविधता को नज़रअंदाज़ किया जाता है
मैं देखती हूँ कि कई लोग थैंक्सगिविंग को सिर्फ़ टर्की तक सीमित कर देते हैं, पर असली सार तो धन्यवाद और साथ में बिताया समय है 😊
भािई सही बात है पर याद रखो कि खाने की वस्तु भी एक सामाजिक अनुबंध है, जिसमे टर्की सिर्फ़ एक प्रतीक नहीं बल्कि एक कनेक्शन का माध्यम है। इसके पीछे की अर्थव्यवस्था और संस्कृति का मिश्रण गहरा है, और अक्सर हम इस बात को अनडेढ़ा कर देते हैं।
टर्की का उदय वास्तव में एक जटिल सामाजिक प्रक्रिया थी जिसे अक्सर सरल बना दिया जाता है।
सबसे पहले हमें यह समझना चाहिए कि टर्की मूल रूप से अमेरिकी आदिवासियों की भोजन तालिका में कहाँ था।
वे इसे शिकार करके ख़ज़ाना कहते थे और उसके बाद यूरोपियों ने इसे अपने आहार में शामिल करने का प्रयास किया।
16वीं सदी में स्पेनिश गुप्तचर ने टर्की को न्यू यॉर्क के कस्बों में लाया और वहां से यह प्रचलित हो गया।
आर्थिक दृष्टिकोण से टर्की का उत्पादन आसान था क्योंकि यह तेज़ी से बढ़ता और कम देखभाल की मांग करता था।
कृषि में सुधारों के साथ बड़ी संख्याओं में टर्की को पाला गया और यह बाजार में सस्ता उपलब्ध हो गया।
इस आर्थिक कारक ने न केवल किसान को लाभ पहुंचाया बल्कि आम लोगों को भी एक स्थिर प्रोटीन स्रोत दिया।
जब थैंक्सगिविंग का राष्ट्रीय पर्व स्थापित हुआ तो टर्की को एक प्रतीकात्मक भूमिका सौंप दी गई।
राष्ट्रपति द्वारा टर्की को माफ़ करने की परंपरा इस बात को दर्शाती है कि यह सिर्फ़ एक व्यंजन नहीं बल्कि एक राजनैतिक प्रतीक भी है।
आधुनिक समय में मीडिया ने टर्की को एक उत्सव की ध्वनि बनाकर पेश किया जिससे लोग इसे अनिवार्य मानने लगे।
इस सांस्कृतिक परिवर्तन में उपभोक्ता व्यवहार, विज्ञापन और सामाजिक दबाव का बड़ा हाथ है।
कई परिवार आज भी टर्की को मुख्य व्यंजन मानते हैं, लेकिन वैकल्पिक व्यंजनों की भी प्रशंसा बढ़ रही है।
इसलिए यह समझना आवश्यक है कि परम्परा और परिवर्तन दोनों ही इस खाने की कहानी में समान रूप से महत्वपूर्ण हैं।
यदि हम इतिहास को गहराई से देखें तो टर्की की लोकप्रियता मात्र आर्थिक कारणों से नहीं बल्कि सामाजिक एकजुटता के संकेत के रूप में भी देखी जा सकती है।
यही वजह है कि आज थैंक्सगिविंग के साथ जुड़े अनेक अनुष्ठान, जैसे टर्की माफ़ी, को लोग सम्मान के साथ निभाते हैं।
अंत में कहा जा सकता है कि टर्की का सफर एक राष्ट्रीय पहचान की दिशा में एक पुल की तरह काम करता रहा है और यह ही बात इसे अद्वितीय बनाती है।
देखो भाई टर्की का जश्न एक जुड़ी हुई कहानी है, लेकिन कभी‑कभी हमें नई डिशेज़ को भी अपना लेना चाहिए, क्योंकि विविधता ही सच्ची खुशी दे सकती है।
सिर्फ़ टर्की नहीं, सबका स्वाद है 😊
मैं मानता हूँ कि इतिहास की समझ हमें बेहतर निर्णय लेने में मदद करती है, इसलिए थैंक्सगिविंग में टर्की को सम्मान देना और साथ ही नई व्यंजनों को अपनाना दोनों ही महत्वपूर्ण है।
वास्तव में टर्की की खेती में जेनेटिक सुधार ने उत्पादन को बढ़ाया है, जिससे कीमत कम हुई और अधिक लोग इसे afford कर सके हैं :)
क्या आप जानते हैं कि कुछ कह रहे हैं टर्की की लोकप्रियता के पीछे बड़े कृषि कारपोरेट्स की छिपी हुई योजना है, जिससे उनका मुनाफा बढ़े और खाद्य विकल्प सीमित हों।