बच्चों का बंधक बनाना: कानून, घटनाएँ और सुरक्षा के लिए क्या करें

बच्चों का बंधक बनाना एक बाल अधिकार का उल्लंघन, जिसमें किसी बच्चे को जबरन रखा जाता है या उसकी आजादी छीन ली जाती है है। यह केवल एक अपराध नहीं, बल्कि एक ऐसा अत्याचार है जो पूरे समाज के आधार को कमजोर करता है। भारतीय कानून के तहत, यह आईपीसी 363, जो किसी व्यक्ति को जबरन ले जाने या बंधक बनाने के लिए दंड का प्रावधान करता है के तहत दंडनीय है। अगर बच्चे की उम्र 18 साल से कम है, तो यह अपराध और भी गंभीर हो जाता है और बाल शोषण, जिसमें बच्चों का शोषण यौन, शारीरिक या मानसिक रूप से किया जाता है के साथ जुड़ सकता है।

इस तरह के मामले अक्सर घरों, स्कूलों या बाजारों में होते हैं। कई बार अपराधी बच्चों को खिलौने, नाश्ता या धोखे से बुलाते हैं। कुछ मामलों में तो बच्चे के अपने परिवार के ही सदस्य इसमें शामिल होते हैं। हाल के सालों में बच्चों के बंधक बनाने के मामले बढ़ रहे हैं, खासकर छोटे शहरों और गांवों में, जहां लोगों को कानून के बारे में कम जानकारी होती है। जब बच्चा गायब होता है, तो बहुत समय तक खोजबीन नहीं होती, और तब तक बच्चे को दूसरे शहर या देश में ले जा चुके होते हैं।

यह खतरा केवल गरीब या पिछड़े इलाकों तक सीमित नहीं है। आज के डिजिटल युग में, बच्चों को सोशल मीडिया, ऑनलाइन गेम्स या फेक प्रोफाइल्स के जरिए भी लुभाया जाता है। ऐसे में, माता-पिता को बच्चों के साथ खुले रिश्ते बनाने की जरूरत है। बच्चे को सिखाएं कि कौन से लोगों से बात नहीं करनी चाहिए, किस तरह की चीजें लेनी नहीं चाहिए, और किसे बताना चाहिए अगर कोई उनके साथ अजीब बर्ताव करे। अगर आपको लगे कि कोई बच्चा बंधक बनाया गया है, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें। नोटिस देने में देरी न करें — हर घंटा बच्चे की जान बचा सकता है।

यहाँ आपको ऐसी ही कई घटनाओं के बारे में जानकारी मिलेगी — जहाँ बच्चों को बंधक बनाया गया, कैसे उन्हें बचाया गया, और कानून ने क्या किया। कुछ मामलों में आम आदमी ने अपनी बुद्धिमत्ता से बचाव किया, कुछ में पुलिस ने तेजी से कार्रवाई की। ये कहानियाँ डर नहीं, बल्कि सावधानी और जागरूकता की ताकत दिखाती हैं।

मुंबई में बच्चों को बंधक बनाकर रोहित आर्या की मौत, जेजे अस्पताल में शव
अक्तूबर 31, 2025 Priyadharshini Ananthakumar

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मुंबई के राज स्टूडियो में बच्चों को बंधक बनाकर रोहित आर्या ने भयानक घटना को अंजाम दिया, जिसके बाद मुंबई पुलिस ने उसे गोली मार दी। वह जेजे अस्पताल में तब तक जिंदा रहा जब तक डॉक्टरों ने मौत की घोषणा नहीं कर दी।

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