बाघ संरक्षण: आपके आस-पास से शुरू होने वाले सरल कदम

भारत में बाघों की संख्या अभी भी खतरे में है, लेकिन हर किसी की छोटी‑छोटी कोशिशें बड़े बदलाव ला सकती हैं। अगर आप जानना चाहते हैं कि आप कैसे मदद कर सकते हैं तो नीचे पढ़िए आसान तरीके.

मुख्य कारण और मौजूदा प्रोजेक्ट

बाघों का नुकसान मुख्य रूप से आवास क्षरण, शिकार और मानव‑वाइल्डलाइफ टकराव की वजह से होता है। सरकार ने टाइगर ट्रांसफ़ॉर्मेशन प्रोग्राम (TTP) और राज्य‑स्तर के कई अभयारण्यों को सुदृढ़ किया है। ये परियोजनाएँ वन्यजीवों के लिए सुरक्षित क्षेत्र बनाती हैं, लेकिन उन्हें चलाने में फंडिंग और स्थानीय सहयोग की जरूरत रहती है.

हालिया रिपोर्ट बताती है कि 2023‑24 में भारत ने 500 से अधिक बाघ जोड़ें, पर यह संख्या बढ़ती खतरे को संतुलित नहीं कर पाई. इसलिए हमें सिर्फ सरकारी पहल ही नहीं, बल्कि आम जनता का सक्रिय समर्थन चाहिए.

आप क्या कर सकते हैं?

1. स्थानीय अभयारण्यों में स्वयंसेवक बनें – कई राष्ट्रीय पार्कों में ट्रैकिंग, डेटा एंट्री या पर्यटक मार्गदर्शन के काम होते हैं। अगर आपके पास एक दिन का समय है तो आप भी मदद कर सकते हैं.

2. बाघ‑सुरक्षित उत्पाद चुनें – लकड़ी, चमड़ा और पैंघरू से बनी चीज़ों की खरीदारी बंद करें. ऐसे ब्रांड जो सतत स्रोत से सामग्री लेते हैं, उन्हें प्राथमिकता दें.

3. जागरूकता फैलाएं – सोशल मीडिया पर बाघ संरक्षण के बारे में छोटे‑छोटे पोस्ट शेयर करें. स्कूल या कॉलेज में वर्कशॉप आयोजित करके छात्रों को इस मुद्दे से परिचित कराएँ.

4. दान और सदस्यता – WWF‑India, टाइगर ट्रस्ट जैसे भरोसेमंद NGOs को नियमित रूप से छोटे रकम दें. हर 1000 रुपये के योगदान से एक बाघ का खाद्य सप्लाई या कैमरा सेटअप हो सकता है.

5. वन्यजीव‑सुरक्षित यात्रा – यदि आप सफारी पर जाते हैं तो स्थानीय गाइड की सलाह मानें, कोई भी कचरा न छोड़ें और बाघों के पास कभी भी तेज़ आवाज़ न करें.

इन छोटे कदमों को मिलाकर हम बड़े असर बना सकते हैं. याद रखें कि बाघ सिर्फ एक प्रजाति नहीं, वे हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का अहम हिस्सा हैं; उनकी रक्षा से पूरे जंगल की संतुलन बनी रहती है.

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस: महत्व, इतिहास और संरक्षण प्रयासों पर विस्तृत जानकारी
जुलाई 29, 2024 Priyadharshini Ananthakumar

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस: महत्व, इतिहास और संरक्षण प्रयासों पर विस्तृत जानकारी

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस हर साल 29 जुलाई को बाघों की घटती आबादी और संरक्षण की जरूरत के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। यह दिन 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट में बनाया गया था, जहां विश्व नेताओं ने बाघों के संकट पर चर्चा की थी। इसे बाघों की संख्या को 2022 तक दोगुना करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।

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