छठ पूजा, एक प्राचीन हिंदू धार्मिक अनुष्ठान जिसमें सूर्य देव को जल किनारे समर्पित किया जाता है, और जो जीवन, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए प्रार्थना करता है. इसे छठ उपासना भी कहते हैं, और यह भारत के पूर्वी और मध्य क्षेत्रों में सबसे भावुक तरीके से मनाया जाने वाला त्योहार है।
छठ पूजा केवल एक रिवाज नहीं, बल्कि प्रकृति और ऊर्जा के साथ सीधा संबंध बनाने का तरीका है। इसका मुख्य आधार सूर्य देव, जो जीवन का स्रोत है और जिसकी कृपा से फसलें उगती हैं, बीमारियाँ दूर होती हैं और आत्मा को शक्ति मिलती है है। इस त्योहार में आदमी सूरज को नमन करता है, न कि उसकी मूर्ति को। यही वजह है कि इसका अनुष्ठान हमेशा नदी, झील या तालाब के किनारे होता है। यहाँ लोग बिना छत के, बिना शोर के, बस अपने भावों और शुद्धता के साथ दिनभर ध्यान में बिताते हैं।
छठ पूजा के चार दिन होते हैं, और हर दिन का अपना नाम और अर्थ होता है। पहला दिन नहाय खाय होता है, जिसमें लोग शुद्ध होने के लिए नहाते हैं और भोजन बंद कर देते हैं। दूसरा दिन खस्सा होता है, जहाँ घरों में चावल और गुड़ की बेकार बनाई जाती है। तीसरा दिन संध्या अर्घ है, जब लोग सूरज ढलने के बाद जल किनारे अर्घ देते हैं। और चौथा दिन उषा अर्घ — जब सूर्योदय के समय फिर से अर्घ दिया जाता है। इस दिन लोग बरसात के बाद भी बिना छत के खड़े रहते हैं, ताकि सूर्य की पहली किरण उनके शरीर को छू जाए।
यह त्योहार केवल उत्तर भारत तक सीमित नहीं है। नेपाल, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में इसे बड़े उत्साह से मनाया जाता है। दुनिया भर के भारतीय समुदाय भी इसे अपने घरों के पास के तालाब या नहरों के किनारे मनाते हैं। इसका सबसे बड़ा रहस्य यह है कि इसमें कोई ब्राह्मण, कोई पंडित या कोई मंदिर की जरूरत नहीं होती। सिर्फ एक शुद्ध मन और एक नदी किनारा काफी है।
आज के दौर में जब हर चीज़ तेज़ हो रही है, तो छठ पूजा एक ऐसा समय है जब आप खुद को रोककर, अपने आसपास की धूल, नदी, हवा और सूरज को देख सकते हैं। यह त्योहार किसी देवता की इच्छा नहीं, बल्कि जीवन के प्रति एक धन्यवाद है।
इस पेज पर आपको छठ पूजा से जुड़े सभी पहलू मिलेंगे — शुद्धि के नियम, अर्घ के विधान, घर पर बनाई जाने वाली विशेष भेंट, और उन लोगों की कहानियाँ जिन्होंने इस त्योहार के बाद अपना जीवन बदल दिया। यहाँ आपको वास्तविक अनुभव मिलेंगे, न कि सिर्फ रिवाजों की सूची।
काजल राघवानी और अरविंद अकेला कल्लू ने छठ पर्व पर अपनी मां और मंदिर की तस्वीरें शेयर कर भावनाओं को छू दिया। उनके गीत और फिल्म 'प्रेम विवाह' का प्रमोशन भी वायरल हुआ।
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