गैजा स्ट्रिप में पिछले कुछ हफ्तों में तनाव फिर से तेज़ हो गया है। इज़राइल और फ़िलिस्तीनी समूह दोनों ही अपनी-अपनी ताकत दिखा रहे हैं, जबकि दुनिया भर के नेता इस पर नजर रखे हुए हैं। अगर आप भी समझना चाहते हैं कि यहाँ क्या चल रहा है और क्यों, तो नीचे पढ़ें – सरल शब्दों में, बिना जटिल राजनीति की उलझन के।
पहले दिन इज़राइल ने गैजा पर नई हवाई हमले शुरू किए थे, जिससे कई नागरिक इलाका प्रभावित हुआ। फिर फ़िलिस्तीनियों की रॉकेट बारी शुरू हुई और कुछ ही मिनटों में दो‑तीन शहरों में अलार्म बजने लगे। इस बीच संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तुरंत शांति वार्ता का आग्रह किया, लेकिन दोनों पक्ष अभी भी आगे बढ़ने को तैयार नहीं दिखे।
वास्तविक नुकसान की बात करें तो अस्पताल, स्कूल और घरों को भारी क्षति पहुँची है। स्थानीय NGOs बताते हैं कि मानवीय सहायता की पहुँच बहुत मुश्किल हो रही है क्योंकि कई गलियां बंद कर दी गईं या बमबारी के कारण असुरक्षित रह गईं। इस वजह से पानी, दवाइयाँ और खाद्य सामग्री की कमी बढ़ी है।
इज़राइल की सेना ने कहा कि उनका लक्ष्य टेरर समूहों के कमांड सेंटर को नष्ट करना है, जबकि फ़िलिस्तीनियों का कहना है कि वे अपने लोगों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। दोनों पक्ष एक‑दूसरे पर अत्यधिक बल प्रयोग करने का आरोप लगाते रहते हैं, जिससे आम नागरिकों को बहुत दिक्कत होती है।
अभी के माहौल में दो मुख्य रास्ते दिखते हैं – एक तरफ़ वार्ता और शांतिपूर्ण समाधान की आशा, दूसरी तरफ़ और भी तीव्र संघर्ष का जोखिम। कई देशों ने पहले ही डिप्लोमैटिक चैनल खोलने की पेशकश कर दी है; अगर दोनों पक्ष इन प्रस्तावों को गंभीरता से लेते हैं तो आगे के नुकसान कम हो सकते हैं।
दूसरी ओर, यदि सैन्य कार्रवाई बढ़ती रहती है तो असहाय लोगों का दुष्कर स्थिति और गहरा हो सकता है। यह न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे मध्य‑पूर्व क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा देगा। इसलिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए समय पर हस्तक्षेप करना ज़रूरी होगा – चाहे वह मानवीय सहायता भेजना हो या कूटनीतिक दबाव बनाना।
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G7 देशों के नेताओं ने हमास पर इसराइल के प्रस्ताव को स्वीकारने और गैज़ा में चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए संयुक्त बयान जारी किया। उन्होंने संघर्ष विराम और शांतिपूर्ण समाधान की भी मांग की। G7 ने क्षेत्रीय स्थिरता और दो-राज्य समाधान के महत्व को रेखांकित किया।
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