जब आप नया मोबाइल या कोई हाई‑टेक गैजेट खरीदते हैं तो दो कीमतें देखना आम बात है – एक आधिकारिक रीटेलर की, दूसरी कुछ ‘अन्य’ दुकानों की। यही अंतर ग़रे मार्केट प्रीमियम कहलाता है. ये सिर्फ थोड़ा ज्यादा नहीं, बल्कि कभी‑कभी 20‑30% तक का अतिरिक्त भी हो सकता है. तो आखिर इस अतिरिक्त का कारण क्या है?
ग़रे मार्केट में सामान अक्सर विदेश से लाया जाता है, लेकिन आधिकारिक चैनल की तुलना में कम कस्टम क्लियरेंस या तेज शिपिंग के लिए अतिरिक्त लागत चुकानी पड़ती है. साथ ही जब किसी मॉडल की मांग ज़्यादा और सप्लाई कम होती है, तो रीसैलर ऊँचा दाम रखते हैं – यही प्रीमियम का मुख्य कारण.
उदाहरण के तौर पर, Vivo V60 5G को आधिकारिक कीमत लगभग ₹30,000 थी, लेकिन ग़रे मार्केट में वही फोन ₹38,000‑₹40,000 तक मिल रहा था. लोग अक्सर कम समय में डिलीवरी चाहते हैं, इसलिए वो थोक आयातकों से खरीदते हैं, और उसका खर्च सीधे खरीदार पर पड़ता है.
ग़रे मार्केट का बड़ा नुक़सान यह है कि वारंटी अक्सर नहीं मिलती. अगर फोन में कोई तकनीकी ख़ामी आती है तो आधिकारिक सर्विस सेंटर से मदद नहीं मिल पाती. साथ ही, कुछ मामलों में फ़ोन को अनलॉक किया गया हो सकता है जिससे नेटवर्क समस्याएँ उत्पन्न हों.
बचने के लिए दो आसान कदम अपनाएं:
सिर्फ मोबाइल ही नहीं, ग़रे मार्केट में कंसोल, लैपटॉप और यहाँ तक कि खेल‑टिकिट भी प्रीमियम पर बेचे जाते हैं. PlayStation नेटवर्क आउटेज 2024 के बाद कई उपयोगकर्ता सस्ते रिफर्बिश्ड कन्सोल खरीदने लगे, लेकिन अक्सर उन्हें अतिरिक्त वारंटी खर्च करना पड़ा.
अंत में याद रखें – थोड़ा अधिक भुगतान करके आप अपने पैसे की सुरक्षा कर रहे हैं. अगर कीमत बहुत कम लग रही हो तो वह आमतौर पर कोई छिपा जोखिम लाती है. सही जानकारी और सावधानी से ही ग़रे मार्केट प्रीमियम को मात दिया जा सकता है.
हुंडई मोटर का आईपीओ हाल ही में ग्रे मार्केट में वृद्धि का अनुभव कर रहा है, जो निवेशकों के लिए राहत की खबर है। आईपीओ का ग्रे मार्केट प्रीमियम 73 रुपये प्रति शेयर तक बढ़ गया है। यह सुधार अच्छी लिस्टिंग संभावना की ओर इशारा करता है, जिससे निवेशक बीएसई और एनएसई पर इसकी लिस्टिंग का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
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