निपाह वायरस एक उभरता रोग है जो जानवरों से इंसानों में जा सकता है। हाल के सालों में भारत के कई हिस्सों में इसने खबरें बना ली हैं, इसलिए हर कोई इसके बारे में जानकारी चाहता है। इस लेख में हम आसान भाषा में समझाएंगे कि यह virus क्या है, कैसे फैलता है और आप खुद को सुरक्षित रखने के लिए क्या कर सकते हैं।
निपाह वायरस के शुरुआती लक्षण अक्सर फ्लू जैसा दिखते हैं – बुखार, सिरदर्द, थकान और साँस की तकलीफ। कुछ दिनों में मरीज को उल्टी या दस्त भी हो सकता है। अगर रोग आगे बढ़े तो मस्तिष्क पर असर पड़ता है, जिससे भ्रम, झटके या बेहोशी जैसी समस्याएँ होती हैं। यह वायरस मुख्य रूप से पालतू फलियों (जैसे चमगादड़) और उनके मूत्र‑मल से इंसान में जाता है। संक्रमित लोगों के सीरिंज, टिश्यू या श्वसन बूंदों से भी यह दूसरों को दूषित कर सकता है, इसलिए अस्पताल में उचित प्रोटोकॉल जरूरी है।
अभी तक निपाह वायरस के लिए कोई विशेष वैक्सीन नहीं बना है, लेकिन कुछ कदम से आप जोखिम कम कर सकते हैं:
रोगी को अक्सर सपोर्टिव देखभाल मिलती है – यानी बुखार कम करना, हाइड्रेशन बनाए रखना और दवाईयों से जटिलताओं को रोकना। कुछ गंभीर मामलों में इंटेंसिव केयर यूनिट (ICU) की जरूरत पड़ सकती है।
भारत सरकार ने निपाह वायरस पर विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसमें टेस्टिंग सैंपल्स का त्वरित संग्रह और संक्रमित क्षेत्रों में क्वारंटीन शामिल है। ये नियम स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी लागू करते हैं, इसलिए अगर आप किसी प्रांत में रहते हैं तो उनके अपडेट को फॉलो करें।
समाचार साइटों पर अक्सर निपाह वायरस की नई रिपोर्ट आती रहती है। नवोत्पल समाचार पर हम ताज़ा केस अपडेट और विशेषज्ञ राय भी देते हैं, ताकि आप हमेशा सही जानकारी के साथ निर्णय ले सकें। याद रखें, जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव है।
अगर आपके पास इस बारे में कोई सवाल है या आपने खुद को लक्षण महसूस किए हों, तो तुरंत नजदीकी अस्पताल से संपर्क करें। समय पर इलाज से कई मामलों में पूरी तरह ठीक हो जाना संभव है।
केरल के मलप्पुरम जिले में 14 वर्षीय लड़के की निपाह वायरस से मौत के बाद, नीलगिरी जिले में सीमा चौकियों पर निगरानी बढ़ा दी गई है। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी यात्रियों की थर्मल स्कैनिंग के जरिए उनकी जांच कर रहे हैं ताकि वायरस के प्रसार को रोका जा सके। अब तक किसी मामले की पुष्टि नहीं हुई है।
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