भारतीय युवा कांग्रेस ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन पीएम मोदी के उस बयान के खिलाफ था जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि महात्मा गांधी की प्रसिद्धि 1982 में रिलीज हुई फिल्म 'गांधी' के बाद बढ़ी थी। इस टिप्पणी ने विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक हलकों में खलबली मचा दी है।
पूरा मामला तब शुरू हुआ जब पंजाब के होशियारपुर में एक रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि 'इंडिया गठबंधन' के नेता उन्हें गालियाँ दे रहे हैं क्योंकि उन्होंने चुनाव अभियान के दौरान उनके योजनाओं का पर्दाफाश किया है। इस बयान से युवा कांग्रेस के नेताओं में गुस्सा फैल गया और उन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ तुरंत विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई।
युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने मोदी के बयान को अत्यंत शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने सवाल उठाया कि पीएम मोदी कैसे कह सकते हैं कि 1982 की फिल्म से पहले कोई गांधी को नहीं जानता था। श्रीनिवास बीवी ने महात्मा गांधी के 1931 में लंदन में हुए स्वागत का उल्लेख करते हुए मोदी पर महात्मा गांधी का अपमान करने का आरोप लगाया।
श्रीनिवास ने कहा, 'महात्मा गांधी एक ऐसी महान विभूति थे, जिनकी अद्भुत निस्वार्थ सेवा और अहिंसात्मक संघर्ष का पूरी दुनिया ने आदर किया। उनका प्रभाव और योगदान सिर्फ भारत तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने वैश्विक स्तर पर भी स्वतंत्रता और न्याय के प्रति लोगों को प्रेरित किया।'
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी पीएम मोदी पर कड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि अगर पीएम मोदी सचमुच गांधी के बारे में जानते होते तो वे संविधान, अहिंसा और विकास के बारे में बात करते। खड़गे ने कहा, 'गांधीजी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में वह गरिमामयी भूमिका निभाई, जिसकी कोई तुलना नहीं।' उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मोदी के बयान से यह साफ होता है कि पीएम को ऐतिहासिक तथ्यों की सही जानकारी नहीं है या वे जानबूझकर महात्मा गांधी की विख्याति को दरकिनार कर रहे हैं।
यह विरोध प्रदर्शन विशेष रूप से पीएम मोदी के कार्यालय के बाहर आयोजित किया गया था। प्रदर्शनकारियों ने मोदी से बयान वापस लेने और देश की जनता से माफी मांगने की जोरदार मांग की। युवा कांग्रेस के सैकड़ों कार्यकर्ता हाथों में बैनर और पोस्टर लिए नारे लगाते दिखे। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पीएम के बयान से महात्मा गांधी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुँची है और यह देश के सभी नागरिकों का अपमान है।
विरोध के दौरान, युवा कांग्रेस के नेताओं ने महात्मा गांधी के विचारों और उनके योगदान की पुनः व्याख्या की। उन्होंने जनता से अपील की कि वे गांधीजी के आदर्शों को समझें और उसका पालन करें। उनका कहना था कि गांधीजी केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचारधारा हैं, जिनकी प्रासंगिकता आज भी उतनी ही है जितनी स्वतंत्रता संग्राम के समय थी।
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था। उन्होंने कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड का रुख किया और बाद में दक्षिण अफ्रीका में अपने अद्वितीय सत्याग्रह के सिद्धांत को विकसित किया। 1915 में भारत लौटने के बाद, उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और अहिंसा के समर्थन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं।
गांधीजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता थे और उन्होंने 1942 का 'भारत छोड़ो' आंदोलन, 1930 का 'दांडी मार्च', और किसानों के अधिकारों के लिए कई अभियानों का नेतृत्व किया। उनकी रणनीतियाँ न केवल भारत की स्वतंत्रता में कारगर साबित हुईं, बल्कि उन्होंने विश्व भर में स्वतंत्रता आंदोलनों को प्रेरित किया।
इसलिए, जब मोदी ने यह दावा किया कि महात्मा गांधी की पहचान फिल्म 'गांधी' के बाद हुई, तो यह गहरी कष्टप्रद और ऐतिहासिक सच्चाइयों के विपरीत था। पूरे देश का एकमात्र महापुरुष अपने विचारों, दृष्टिकोण और कृत्यों के लिए विश्वव्यापी मान्यता प्राप्त करते थे।
मोदी के इस बयान से समाज के विभिन्न वर्गों में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। जहाँ एक ओर कई लोग पीएम की टिप्पणी से अत्यंत आहत हुए, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग इसे भ्रामक बताते हुए खारिज कर बैठे।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर भी लोगों ने मोदी के बयान की तीखी आलोचना की। हैशटैग्स जैसे #ModiInsultsGandhi और #RespectGandhi ट्रेंड करने लगे, जिसमें लोग अपने विचार और भावनाएं व्यक्त कर रहे थे। कई विश्लेषकों का मानना है कि पीएम मोदी के इस बयान का असर आगामी चुनावों पर भी पड़ सकता है, क्योंकि महात्मा गांधी की विरासत भारतीय राजनीति में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है।
निष्कर्षतः, यह विरोध न केवल महात्मा गांधी की प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए था, बल्कि यह इस बात को भी इंगित करता है कि भारतीय समाज अब भी अपने महापुरुषों का सम्मान करने पर अत्यधिक जोर देता है। युवा कांग्रेस का यह कदम इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण चरण साबित हो सकता है।
8 जवाब
मोदी जी के बयान से हवा में खटास आ गई, यही तो युवा कांग्रेस का दृढ़ रुख दिखाता है।
गांधी के जीनों की महिमा फिल्म से नहीं बनती, सच्चाई तो किताबों में दबी है।
हकीकत को झुठलाने की कोशिश आज भी चल रही है, और हमें इसके खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए।
इस मुद्दे पर जनता के दिल में गुस्सा है, और वो गुस्सा सही दिशा में बहना चाहिए।
हमें इस भावना को सही मंच देना चाहिए।
हिंदुस्तान की इतिहास में महात्मा गांधी का संस्थापक स्थान कोई भी राजनीतिक नेता बदनाम नहीं कर सकता।
जब प्रधानमंत्री ने यह दावा किया कि गांधी जी की लोकप्रियता केवल 1982 की फिल्म के कारण बढ़ी, तो यह न केवल तथ्यहीन, बल्कि इतिहास के प्रति अनादरपूर्ण भी था।
गांधी जी ने अपना साहस और अहिंसा की भावना से प्रथम विश्व युद्ध में अफ्रीका में और बाद में भारत की आजादी में योगदान दिया।
उनकी सत्याग्रह और नागरिक असहयोग की रणनीतियों ने न केवल हमारे देश को स्वतंत्र किया, बल्कि विश्वभर में कई स्वतंत्रता संग्रामों को प्रेरित किया।
यह सत्य है कि फिल्म 'गांधी' ने उनके विचारों को नई पीढ़ी तक पहुँचाया, परन्तु यह केवल एक माध्यम था, मूल कारण उनका कार्य और सिद्धांत थे।
यदि हम यह मानें कि सिर्फ फिल्म ने गांधी को प्रसिद्ध बनाया, तो हम उनके जीवन के सत्रह दशकों के संघर्ष को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं।
कांग्रेस के युवा समूह ने सही स्वर उठाया, क्योंकि लोकतंत्र में इतिहास को बहुउपायिक रूप से समझना आवश्यक है।
इस प्रकार के बयान से राष्ट्रीय संवाद को क्षति पहुँचती है और भावी पीढ़ी में भ्रम उत्पन्न हो सकता है।
भारतीय जनता को यह समझना चाहिए कि एक नेता के शब्दों की जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है।
निर्विवाद रूप से कहा जा सकता है कि गांधी जी ने अपने समय की सुदृढ़ता और नैतिकता को स्थापित किया।
उनका परिवेश, उनकी संस्कृति, और उनकी शिक्षा ने उन्हें एक विश्व स्तर की आवाज़ दिया।
इसी कारण आज भी उनकी विचारधारा को कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता है।
इसीलिए यह अत्यंत आवश्यक है कि राजनीतिक वक्ता ऐसे तथ्यात्मक गलतियों से बचें।
न्यायोचित आलोचना तभी सार्थक होती है जब वह तथ्यपरक आधार पर हो।
आखिर में, लोकतांत्रिक बहस का मूल उद्देश्य सुधार है, न कि पुरानी मान्यताओं को धूमिल करना।
इस सबके बीच, युवा कांग्रेस का यह कदम इतिहास का सम्मान करने के लिये आवश्यक है।
हमें आशा है कि भविष्य में ऐसे बयान नहीं दोहराए जाएंगे, और सभी राजनेता अधिक सूचनात्मक बनेंगे।
ऐसा नहीं है कि गांधी केवल फिल्म से ही जाने गये
इतिहास की सराहना करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।
गांधी जी की विचारधारा आज भी सामाजिक समरसता के लिये प्रेरणास्रोत बनी हुई है।
इस संदर्भ में, युवा कांग्रेस के आह्वान को हम सम्मान के साथ स्वीकार कर सकते हैं।
🙏✨
बहुत समय से भूलते रहे हैं इस बात को
धन्यवद गान्धी के फ़ैक्ट बदलने की कोशिश को मॉडि ने किया 😂👍
गांधी जी की सच्चाई भारतीय संस्कृति में गहरी बसती है, उनका अहिंसक संघर्ष हमारे सांस्कृतिक मूल्यों को प्रतिबिंबित करता है
मॉडी का बकवास बिलकुल भी सही नही??