नवोत्पल समाचार पर आप पेरुमलापाडु मंदिर से जुड़ी सभी खबरें एक जगह पा सकते हैं। चाहे मंदिर का इतिहास हो, हाल के आयोजन हों या यात्रा की सलाह—सब कुछ यहाँ लिखा है, बिना किसी झंझट के। पढ़ते‑जाते देखते ही आपको पता चल जाएगा कि इस जगह को क्यों खास माना जाता है।
पेरुमलापाडु मंदिर दक्षिण भारत में स्थित एक प्राचीन शैव स्थल है। कहा जाता है कि यहाँ की मूर्ति 12वीं सदी में तैयार हुई थी और कई राजवंशों ने इसे संरक्षित किया। स्थानीय लोग इसे ‘स्मृति का कोना’ कहते हैं क्योंकि हर त्यौहार पर इस जगह पर बड़ी भीड़ इकट्ठा होती है।
इतिहासकार बताते हैं कि मंदिर की वास्तुकला में चंद्रकोर शैली के साथ डोरिया वॉल्ट्स दिखते हैं, जो इसे अनोखा बनाते हैं। अगर आप वास्तु‑शिल्प में रूचि रखते हैं तो इस मंदिर का हर कोना आपको नया कुछ सिखाएगा।
अभी पेरुमलापाडु मंदिर में महाशिवरात्रि के अवसर पर विशेष पूजन चल रहा है। यहाँ की बैनर‑प्रकाश व्यवस्था और ध्वनि-प्रकाश शो को देख कर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है। इस मौके पर स्थानीय व्यंजन, जैसे कि इडली और पोंगल, भी बेचे जा रहे हैं—तो भूख लगने पर नहीं भूलें ट्राय करना।
अगर आप आने की योजना बना रहे हैं तो बेहतर होगा कि सोमवार‑शुक्रवार को सुबह जल्दी पहुँचे। इस समय मंदिर के चारों ओर भीड़ कम रहती है और पूजा का मुख्य अंश शांतिपूर्वक देखा जा सकता है। टिकट बुकिंग या एंट्री फीस नहीं है, परन्तु दान देना हमेशा स्वागत योग्य माना जाता है।
नवोत्पल समाचार इस टैग पेज पर नियमित रूप से अपडेट देता रहता है—जैसे कि अगले महीने का कार्तिक पूर्णिमा मेला या विशेष शास्त्रीय संगीत कार्यक्रम। आप यहाँ के लेख पढ़कर अपने यात्रा प्रोग्राम को आसानी से बना सकते हैं, क्योंकि सभी तारीखें और टाइमिंग्स स्पष्ट रूप से दी गई होती हैं।
साथ ही हम आपके लिए कुछ उपयोगी टिप्स भी लाते हैं: हल्का जूता पहनें, पानी की बोतल साथ रखें और स्थानीय नियमों का सम्मान करें। यदि आप फोटो लेना चाहते हैं तो पहले अनुमति ले लें—कई बार मंदिर के अंदर कैमरा प्रतिबंध होता है।
पेरुमलापाडु मंदिर के बारे में आपकी कोई सवाल या अनुभव हो, तो कमेंट सेक्शन में शेयर करें। हम आपके फीडबैक को भी अगली खबरों में शामिल करने की कोशिश करेंगे। इस तरह आप न केवल खुद अपडेट रहेंगे, बल्कि दूसरों को भी मदद कर पाएंगे।
तो देर किस बात की? अभी पेरुमलापाडु मंदिर के नवीनतम समाचार पढ़ें और अपनी यात्रा को यादगार बनाएं। नवोत्पल समाचार आपके साथ है—हर खबर, हर जानकारी, बिल्कुल सही जगह।
नल्लोर जिले के चेजेरला मंडल के पेरुमलापाडु गांव में स्थित नागेश्वर स्वामी मंदिर को प्राकृतिक आपदाओं के कारण करीब 200 वर्ष पहले रेत में दब गया था। इस ऐतिहासिक मंदिर को 2020 में स्थानीय युवाओं द्वारा फिर से खोजा गया। मंदिर की पुनर्प्राप्ति को लेकर स्थानीय लोगों की मांग है कि इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल सके।
पढ़ना