जब बात साइकलोन शक्ति की आती है, तो यह चक्रवातों की तीव्रता को आंकने वाला मानक है. इसे कभी‑कभी चक्रवात शक्ति भी कहा जाता है, जो मौसम विज्ञान में जरूरी है। हमारा लक्ष्य इस टैग में मिलने वाले लेखों को एक जगह जोड़ना है, ताकि आप जल्दी से समझ सकें कि कब, क्यों और कैसे चक्रवात आपके दिन‑चर्या को बदल सकते हैं। साइकलोन शक्ति समझना अब उतना ही आसान है जितना मौसम का अंदाज़ा लगाना।
पहला कदम है चक्रवात, एक तीव्र तापमान अंतर और तेज़ हवाओं से उत्पन्न जलवायु घटना को पहचानना। चक्रवात को वर्गीकृत करने के लिए भारत मौसम विज्ञान विभाग वर्ग A‑E तक के स्केल का प्रयोग करता है, जहाँ A सबसे हल्का और E सबसे विनाशकारी माना जाता है। इस वर्गीकरण से हमें पता चलता है कि बिजली आपूर्ति, सड़कों की स्थिति और सार्वजनिक सेवाओं पर कितना असर पड़ेगा। उदाहरण के तौर पर, दार्जिलिंग में हालिया भारी बारिश से उत्पन्न भूस्खलन (भूवैज्ञानिक आपदा) ने कई गाँवों को अलग‑थलग कर दिया, जिससे स्थानीय बिजली ग्रिड को तुरंत हस्तक्षेप करना पड़ा।
अब बात करते हैं ऊर्जा, बिजली, गैस या नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त शक्ति की। चक्रवात की तीव्र हवाएँ बिजली टावरों को झुकाने या ट्रांसमिशन लाइन को काटने का काम करती हैं। इसके कारण कई बार व्यापक क्षेत्र में कटौती हो जाती है। जब ऐसा होता है तो ऊर्जा कंपनियों को तत्काल बैक‑अप प्लान तैयार करना पड़ता है। हाल ही में ओला इलेक्ट्रिक के शेयरों में 14% की उछाल देखी गई, क्योंकि निवेशकों को लगता है कि इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी स्टोरेज समाधान भविष्य में ग्रिड की स्थिरता को बढ़ाएंगे। इसी क्रम में TVS इलेक्ट्रॉनिक्स ने अपनी नई उत्पादन लाइन लॉन्च की, जिससे घरेलू उपकरणों की दक्षता बढ़ेगी और सटीक ऊर्जा उपयोग संभव होगा।
ऊर्जा की उपलब्धता सीधे बिजली आपूर्ति, विद्युत् को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने की व्यवस्था को प्रभावित करती है। जब चक्रवात का दबाव बढ़ता है, तो कई राज्यों में दरभंगा, पटना और कोलकाता जैसे बड़े शहरों में पावर कट का जोखिम रहता है। इस जोखिम को कम करने के लिए कई राज्य बिजली बोर्ड ने मोबाइल जेनरेटर, सौर पैनल एरियर और पवन टरबाइन के संयोजन को अपनाया है। इसके अलावा, अगर आप अपना घर सौर पैनल से सजा रहे हैं, तो आप तेज़ी से लोड‑शेडिंग को संभाल सकते हैं और बिजली बिल में भी बचत कर सकते हैं।
भूवैज्ञानिक आपदा, जैसे कि दार्जिलिंग में हुए भूस्खलन, अक्सर चक्रवात के साथ जुड़ी रहती है। जब भारी वर्षा होते हैं, तो जमीन की सतह पर जलस्थिरता टूट जाती है, जिससे मिट्टी की ढलाई और बाढ़ की स्थिति बनती है। ऐसे समय में सरकार और स्थानीय प्रशासन को मिलकर त्वरित राहत कार्य करना पड़ता है—सड़कों की सफाई, जल निकासी सुधरना, और पुनर्निर्माण के लिए फंड आवंटन। इन उपायों में अक्सर राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों की मदद ली जाती है, जैसे कि NDRF और भारतीय सेना। इस तरह की सहयोगी कार्रवाई चक्रवात की शक्ति को कम करने में बड़ी भूमिका निभाती है।
वित्तीय पहलू भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। जब चक्रवात ऊर्जा नेटवर्क को बाधित करता है, तो कंपनियों को अतिरिक्त पूंजी की जरूरत पड़ती है। टाटा कैपिटल का IPO, जो 15,511 करोड़ के आकार में खुला, दर्शाता है कि बड़ी कंपनियाँ ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए मजबूत बैलेंस शीट चाहती हैं। इसी तरह सोने की कीमतें भी चक्रवात और प्राकृतिक आपदा के बाद बढ़ती हैं, क्योंकि निवेशक सुरक्षित एसेट की ओर रुख करते हैं। इस वर्ष दीपावली के दौरान सोने की कीमत 1.25 लाख तक पहुंच सकती है—एक संकेत कि अस्थिर मौसम में सोना एक भरोसेमंद निवेश बन जाता है।
क्लाइमेट परिवर्तन को देखते हुए, साइकलोन शक्ति को समझना सिर्फ विज्ञान नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन गया है। जब आप मौसम ऐप खोलते हैं, तो आपको न सिर्फ बारिश या ठंड का अंदाज़ा मिलता है, बल्कि यह भी पता चलता है कि बाद में बिजली कट हो सकता है या नहीं। इसलिए, इस टैग में मिलते लेख आपको नयी तकनीक, सरकारी योजना और निजी सेक्टर की पहल के बारे में अपडेट रखते हैं—जैसे कि नवीनतम इलेक्ट्रिक कार मॉडल, सौर ऊर्जा भत्ता, या आपदा प्रबंधन ऐप। इन जानकारियों से आप तैयारी कर सकते हैं, चाहे आप किसान हों, व्यापारी, छात्र या घर का मुखिया।
नीचे दिए गए लेखों में आप पाएंगे कि चक्रवात की शक्ति कैसे राजनीति, खेल, व्यापार और व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करती है। प्रत्येक कहानी इस बड़े विषय के एक अलग पहलू को उजागर करती है, जिससे आपका दृष्टिकोण व्यापक बनता है। पढ़िए, विचार कीजिए और तैयार रहिए—क्योंकि साइकलोन शक्ति सिर्फ खबर नहीं, बल्कि हमारे भविष्य का एक अहम हिस्सा है।
साइकलोन शक्ति 100 किमी/घंटा की तेज़ हवाओं से गुजरात‑महाराष्ट्र तट को झकझोर रहा, IMD ने चेतावनी जारी की, परंतु 6 अक्टूबर से शक्ति में कमी की उम्मीद।
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