US में 6,000+ छात्र वीज़ा रद्द, भारतीय छात्रों को सबसे बड़ा झटका

अक्तूबर 6, 2025 12 टिप्पणि Priyadharshini Ananthakumar

जब अमेरिकी विदेश विभाग ने 2025 में 6,000 से अधिक छात्र वीज़ा रद्द कर दिया, तो भारतीय छात्रों को सबसे बड़ा झटका लगा। यह कदम इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट (ICE) और डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) के सहयोग से किया गया, और इस साल जनवरी से ही सेविस टर्मिनेशन की संख्या 4,736 तक पहुँच गई।

पृष्ठभूमि और मौजूदा नीति

2025 की शुरुआत में ICE ने एक नया अल्गोरिद्म लागू किया, जो आपराधिक रिकॉर्ड और आव्रजन डेटाबेस को आपस में जोड़कर संभावित उल्लंघनों की पहचान करता था। अक्सर केवल पार्किंग टिकेट, ट्रैफ़िक स्टॉप या बंदी के गवाह के तौर पर नाम दर्ज होना ही पर्याप्त हो जाता था। इस वर्गीकरण में ‘अन्य’ नाम की छिपी श्रेणी का उपयोग करके अधिकांश सेविस टर्मिनेशन बिना किसी संस्थागत जांच के किए गए।

संख्या और प्रमुख आँकड़े

  • कुल 6,000+ छात्र वीज़ा रद्द, जिनमें लगभग 4,000 को अपराध (आक्रमण, चोरी, शराब पीकर ड्राइविंग) से जोड़ा गया।
  • 200‑300 वीज़ा टेररिज़्म क्लॉज़ के तहत रद्द हुए, जहाँ जीवन को खतरा या अमेरिकी कानून का उल्लंघन शामिल था।
  • 4,736 से अधिक SEVIS रिकॉर्ड्स को DHS ने जनवरी 2025 के बाद समाप्त किया।
  • AILA के डेटा के अनुसार, 327 समाप्त रिपोर्टों में 50% भारतीय छात्रों के थे।
  • 240 से अधिक अमेरिकी कॉलेजों में 1,550+ वीज़ा रद्दीकरण की पुष्टि हुई।

प्रभावित छात्र और उनके प्रत्युत्तर

इन रद्दीकरणों से छात्रों की पढ़ाई, OPT अनुमति और नौकरी के ऑफर पर सीधा असर पड़ा। कई ने अभूतपूर्व तनाव का अनुभव किया, क्योंकि सरकारी अल्गोरिद्म ने उन्हें बिना सुनवाई के ही बाहर निकाल दिया। अब तक 21 राज्यों में 70 से अधिक मुकदमों के साथ 45 टेम्पररी रिस्ट्रेनिंग ऑर्डर (TRO) जारी किए जा चुके हैं।

अमेरिकन इमिग्रेशन लॉयर एसोसिएशन (AILA) के एटॉर्नी एमी मालडोनाडो ने बताया, “उनके पास अल्गोरिद्म था जो दो‑तीन हफ्तों में हजारों छात्रों को चिह्नित कर देता था, और फिर प्रक्रिया खुद‑ब-खुद चल जाती थी।” यह शब्दावली न केवल न्यायिक प्रक्रिया को सरल बनाती है, बल्कि छात्रों को पुनर्विचार का अवसर भी नहीं देती।

न्यायिक लड़ाई और अभिकर्ता प्रतिक्रियाएँ

फेडरल कोर्ट में प्रस्तुत याचिकाओं ने कहा कि SEVIS टर्मिनेशन ‘ऐडमिनिस्ट्रेटिव प्रोसीजर एक्ट’ के तहत अनधिकृत और ‘ड्यू प्रोसेस क्लॉज़’ का उल्लंघन है। कई जहाँनों ने कहा कि यह कार्रवाई ‘अधिकारिक शक्ति का दुरुपयोग’ है। कुछ मामलों में, जज ने तुरंत टर्मिनेशन को रोकते हुए सरकार से अनुष्ठानिक पुनर्स्थापन की मांग की।

ट्रम्प प्रशासन ने प्रारंभिक अदालत आदेशों के बाद एक नई नीति का एलान किया, जिसमें SEVIS रिकॉर्ड को किसी भी समय, यहाँ तक कि वीज़ा रद्दीकरण के बाद भी, समाप्त किया जा सके। जून 13, 2025 तक इस नीति के विस्तृत कार्य‑प्रणाली अभी भी दस्तावेज़ नहीं हुई है।

आगे क्या हो सकता है?

आगे क्या हो सकता है?

जैसे‑जैसे यह मामला आगे बढ़ता है, दो प्रमुख दिशा‑निर्देश स्पष्ट हो रहे हैं। पहला, भारतीय दूतावास ने छात्रों को सोशल मीडिया को सार्वजनिक रखने और हर पोस्ट पर सरकारी नज़र रखने की चेतावनी दी है। दूसरा, कई विश्वविद्यालय अपने DSOs (डिज़ाइनैटेड स्कूल ऑफ़िशियंस) को नई रिपोर्टिंग प्रोटोकॉल अपनाने के लिए कह रहे हैं, ताकि भविष्य में ऐसे बड़े‑पैमाने पर टर्मिनेशन न हो।

वर्तमान में DHS ने गलती से समाप्त हुए SEVIS रिकॉर्ड को फिर से सक्रिय करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन छात्रों को निरंतर कानूनी सलाह की जरूरत होगी, क्योंकि रिवर्सल की सीमा अभी भी अनिश्चित है।

मुख्य बिंदु

  • विदेशी छात्रों के लिए वीज़ा अब केवल प्रवेश की गारंटी नहीं, बल्कि लगातार समीक्षा के दायरे में है।
  • छोटे अपराध भी ‘टेररिज़्म क्लॉज़’ के तहत बड़े दंड का कारण बन सकते हैं।
  • कानूनी चुनौती अभी भी जारी है, और अगले महीनों में नई नीतियों की घोषणा संभव है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

यह नीति भारतीय छात्रों को कैसे प्रभावित करती है?

2025 में जारी आँकड़ों के अनुसार, AILA ने बताया कि 327 समाप्त रिपोर्टों में 50% भारतीय छात्रों के थे। इन छात्रों को वीज़ा रद्दीकरण, SEVIS टर्मिनेशन, नौकरी के ऑफर खोने और डिपोर्टेशन की आशंका का सामना करना पड़ रहा है। कई ने अदालत में TRO के माध्यम से अस्थायी राहत पाई है, पर भविष्य की अनिश्चितता बनी हुई है।

क्या सभी अपराधों के लिए वीज़ा रद्द हो सकता है?

नियम के तहत केवल गंभीर अपराध ही नहीं, बल्कि मामूली ट्रैफ़िक उल्लंघन और पार्किंग टिकट भी वीज़ा रद्दीकरण का कारण बन सकते हैं। विदेश विभाग ने कहा है कि कोई भी अमेरिकी कानून का उल्लंघन, चाहे छोटा हो या बड़ा, छात्र की इमिग्रेशन स्टेटस को खतरे में डाल सकता है।

सेविस टर्मिनेशन के खिलाफ कौन-कौन सी कानूनी उपाय उपलब्ध हैं?

छात्र फेडरल कोर्ट में ‘ड्यू प्रोसेस क्लॉज़’ के तहत अपील कर सकते हैं, या ‘एडमिनिस्ट्रेटिव प्रोसीजर एक्ट’ की ओर इशारा करके टर्मिनेशन को असंवैधानिक बताने की कोशिश कर सकते हैं। अब तक 45 टेम्पररी रिस्ट्रेनिंग ऑर्डर जारी हुए हैं, जिससे कुछ छात्रों को अपने SEVIS रिकॉर्ड पुनः स्थापित करने की अनुमति मिली है।

भविष में इस नीति में सुधार की संभावना है क्या?

वर्तमान में DHS ने कुछ झूठे टर्मिनेशन को रीवर्स करने की योजना बताई है, लेकिन नई नीति के दायरे में अभी भी अस्पष्टता है। कई विश्वविद्यालय और छात्र संगठनों ने पारदर्शिता और प्रक्रिया के अधिकार की माँग की है, जिससे भविष्य में कानूनी सुधार की संभावना बनी रहती है।

सोशल मीडिया को सार्वजनिक रखने से किस प्रकार के जोखिम बढ़ते हैं?

अमेरिकी दूतावास ने कहा है कि वीज़ा के बाद भी छात्रों के ऑनलाइन पोस्ट, लाइक और कमेंट्स का निरन्तर मॉनिटरिंग किया जाता है। यदि कोई पोस्ट अमेरिकी हितों के प्रति अनाकर्षक माना जाता है, तो वह वीज़ा रद्दीकरण या SEVIS टर्मिनेशन का कारण बन सकता है। इसलिए छात्रों को सावधानी से अपने डिजिटल फुटप्रिंट को प्रबंधित करना आवश्यक है।

12 जवाब

pragya bharti
pragya bharti अक्तूबर 6, 2025 AT 01:28

यह नीति भारतीय छात्रों के लिए सच में एक बड़ी धोखा है।

Sung Ho Paik
Sung Ho Paik अक्तूबर 10, 2025 AT 16:35

बिलकुल सही कहा, यह कदम हमारे सपनों को धक्का मार रहा है 😔💔 लेकिन हम हार नहीं मानेंगे, आगे भी लड़ते रहेंगे! ✊

Shreyas Badiye
Shreyas Badiye अक्तूबर 15, 2025 AT 07:42

अमेरिकी इमिग्रेशन का यह नया अल्गोरिद्म बिल्कुल भी न्यायसंगत नहीं लगता। यह छोटे रॉड, ट्रैफ़िक टिकेट जैसे मामूली चीज़ों को भी बड़े अपराध में बदल देता है। हर छात्र को अब एक अनजाने जज के सामने खड़ा होना पड़ता है। इस प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं है, सब कुछ काली बॉक्स जैसी है। छात्रों की शैक्षणिक दिशा बिगड़ रही है और उनका मानसिक स्वास्थ्य ध्वस्त हो रहा है। कई परिवारों ने पहले ही इस खबर सुनते ही कर्ज़े में धँस गए हैं। विश्वविद्यालयों ने भी अब यह बताया है कि वे भविष्य में ऐसे केसों से बचने के लिए अपना रिकॉर्ड रखने की कोशिश करेंगे। लेकिन फिर भी, इस दमनकारी कदम से बचना लगभग असम्भव हो गया है। सरकार ने कहा कि सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है, पर वास्तविकता में यह डर पैदा करता है। कई बार पॉलिसी बनाने वाले लोग खुद भी इस सिस्टम के जटिल भाग नहीं समझ पाते। इसलिए, हमें इस अल्गोरिद्म को चुनौती देना चाहिए और न्याय के लिए आवाज़ उठानी चाहिए। इसके अलावा, इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर भी खुलकर बात करनी चाहिए, क्योंकि साइलेंस केवल दुष्ट को और बढ़ावा देता है। अगर हम मिलकर एकजुट हों तो इस अनियंत्रित नीति को बदलने की संभावना बढ़ेगी। अब समय है कि हम अपने अनुभवों को साझा करें और एक-दूसरे का समर्थन करें। अंत में, यह याद रखिए कि हमें अपने अधिकारों के लिए लड़ना है और कोई भी शक्ति हमें इससे रोक नहीं सकती।

Vishnu Das
Vishnu Das अक्तूबर 18, 2025 AT 19:02

सच कहा; यह मामला बहुत ही जटिल है, लेकिन हमें शांत रहना चाहिए, संवाद बनाए रखना चाहिए, और सरकार को जवाबदेह ठहराना चाहिए; कोई भी प्रणाली तभी टिक सकती है जब लोग मिलकर उसे सुधारें।

sandeep sharma
sandeep sharma अक्तूबर 22, 2025 AT 06:22

देखो भाई, हमें इस पर हताश नहीं होना चाहिए, बल्कि इस संकट को अवसर में बदलना चाहिए; अपने दोस्तों को मदद करो, वैकल्पिक प्लान बनाओ और आगे की राह खोलो।

Ajay Kumar
Ajay Kumar अक्तूबर 24, 2025 AT 13:55

यार, ये सब सुनके तो मन में बहेता ही है… वाक़ई में सरकार ने बकवास कर दी है, नसीब नहीं बदलेगा तो क्या करे, बस ये क़दम उलटा नही हो पायेगा।

somiya Banerjee
somiya Banerjee अक्तूबर 26, 2025 AT 21:28

हमारे छात्रों को ऐसे बेईमान सिस्टम से डरा हुआ नहीं देखना चाहिए, हमें एकजुट होकर इस असानी से नहीं चलने वाले कानून को रोकना है।

Rahul Verma
Rahul Verma अक्तूबर 28, 2025 AT 15:08

सच्चाई छिपी है और ये सब एक बड़े दिमागी योजना का हिस्सा है

aishwarya singh
aishwarya singh अक्तूबर 30, 2025 AT 08:48

मैं देख रहा हूँ कि कई छात्र इस निर्णय से घबरा रहे हैं, लेकिन कुछ लोग शांति से विकल्प खोज रहे हैं।

ARPITA DAS
ARPITA DAS अक्तूबर 31, 2025 AT 18:08

वास्तव में, इस नीतिगत विफलता को समझने के लिए हमें गहरी ऐतिहासिक और सामाजिक विश्लेषण करनी चाहिए, क्योंकि यह केवल एक प्रशासनिक त्रुटि नहीं, बल्कि व्यापक संरचनात्मक मुद्दा प्रतीत होता है।

Sampada Pimpalgaonkar
Sampada Pimpalgaonkar नवंबर 2, 2025 AT 03:28

बच्चो, इस मुश्किल में एक-दूसरे का हाथ थामें, अपनी आवाज़ उठाएँ और कानूनी सहायता के लिए तुरंत संपर्क करें, हम सब साथ हैं।

Sagar Singh
Sagar Singh नवंबर 3, 2025 AT 07:15

समझ गया चलो एक साथ करते हैं

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