कर्नाटक के हसन जिले के जनप्रतिनिधि और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के पोते, प्रज्वल रेवन्ना, एक बार फिर सुर्खियों में हैं लेकिन इस बार विवाद का तीखा मोड़ उनके जीवन में आया है। यौन उत्पीड़न के आरोपों से घिरे हुए रेवन्ना वर्तमान में राजनीतिक और कानूनी दोनों ही मोर्चों पर बुरी तरह घिरे हुए हैं।
31 मई को, प्रज्वल रेवन्ना का भारतीय भूमि पर वापस लौटना न केवल उनके परिवार और राजनीति के लिए बल्कि उन अधिकांश महिलाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। रेवन्ना का बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर उतरते ही, कर्नाटक पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) द्वारा गिरफ्तारी करने की योजना है। उनका यात्रा कार्यक्रम लुफ्थांसा के म्यूनिख-बेंगलुरु उड़ान के बिज़नेस क्लास टिकट से तय है। यह विमान लगभग सुबह 1:30 बजे लैंड करेगा।
रेवन्ना पर नजर रखने के लिए विशेष जांच टीम (एसआईटी) तैनात की गई है, और उनके खिलाफ एक लुकआउट नोटिस पहले ही जारी किया जा चुका है। यह मामला न केवल कानूनी बल्कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी सशक्त रूप से उभर कर सामने आया जब विदेश मंत्रालय ने उनका डिप्लोमैटिक पासपोर्ट रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
हसान में, हजारों लोगों ने ‘हासन चलो’ विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। प्रदर्शनकारियों ने न्याय और पारदर्शिता की मांग की है, विशेषकर उन महिलाओं के लिए जो रेवन्ना पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए सामने आई हैं। इन महिलाओं ने दावा किया कि रेवन्ना ने अपनी राजनीतिक शक्ति और उच्च कूटनीतिक स्थिति का दुरुपयोग कर उनके खिलाफ अपराध किया। यह विरोध प्रदर्शन स्पष्ट तौर पर यह दिखाता है कि जनता इस मामले को गंभीरता से ले रही है और कानून एवं न्यायपालिका से सख्त कार्रवाई की मांग कर रही है।
कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने स्पष्ट किया कि विशेष जांच टीम इस मामले को बहुत गम्भीरता से देख रही है और रेवन्ना के खिलाफ सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा। इस बीच, यदि रेवन्ना भारत वापस नहीं लौटते हैं, तो उनका पासपोर्ट रद्द कर दिया जाएगा और इस मामले को इंटरपोल के द्वारा और भी उच्च स्तर पर ले जाया जाएगा।
हाल ही में, रेवन्ना का एक वीडियो बयान हंगरी से जारी किया गया। इस बयान के पश्चात इंटरपोल ने उनके खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी किया। यह नोटिस इस बात का संकेत है कि उनके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कार्रवाई शुरू हो चुकी है। ब्लू कॉर्नर नोटिस किसी व्यक्ति की वर्तमान स्थिति का पता लगाने के लिए जारी किया जाता है, और यदि उनके खिलाफ और भी सबूत मिलते हैं, तो रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया जा सकता है।
रेवन्ना के मामले ने न केवल कर्नाटक की राजनीति को हिला कर रख दिया है, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया है कि देश और न्याय व्यवस्था अब किसी भी व्यक्ति को उनकी ताकत और राजनीतिक प्रभाव के कारण बख्शने वाली नहीं है। इस मामले का यह भी संकेत है कि अब हमारा समाज यौन उत्पीड़न के मामलों को गंभीरता से ले रहा है और किसी भी उच्च पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ भी कार्रवाई करने से नहीं हिचकिचाएगा।
प्रज्वल रेवन्ना का यह मामला हमारे कानून व्यवस्था और न्यायपालिका के स्थायित्व और निष्पक्षता की परीक्षा का एक उत्कृष्ट उदाहरण बन रहा है। यह देखते हुए कि कैसे यह मामला आगे बढ़ेगा और क्या न्याय और सत्य की विजय होगी या नहीं, यह हमारे देश की न्याय प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। हर नागरिक की नजरें इस पर टिकी हुई हैं और वे उम्मीद कर रहे हैं कि कानून अपना काम करेगा और दोषियों को सजा मिलेगी।
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