आंध्र प्रदेश में 2024 के विधानसभा चुनावों के लिए मतदान प्रक्रिया सुबह 7 बजे शुरू हुई और दोपहर 1 बजे तक राज्य भर में कुल 40.26% मतदान दर्ज किया गया है। यह मतदान प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
चुनाव आयोग के अनुसार, अब तक लगभग 1.70 करोड़ मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। यह संख्या आंध्र प्रदेश की कुल मतदाता संख्या का एक बड़ा हिस्सा है। मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की उत्साहजनक भागीदारी देखी जा रही है।
कडपा जिले में अब तक सबसे अधिक 45.56% मतदान दर्ज किया गया है। इसके बाद कृष्णा, कोनासीमा, चित्तूर, बापतला और नंद्याल जिलों में भी अच्छी मतदान प्रतिशत देखी गई है। इन जिलों में मतदान प्रतिशत क्रमशः 44%, 43%, 42%, 41% और 40% रही है।
आंध्र प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि पूरे राज्य में मतदान प्रक्रिया शांतिपूर्ण और सुचारू रूप से चल रही है। किसी भी हिंसा या अनियमितता की कोई घटना सामने नहीं आई है।
मतदान केंद्रों पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों की पर्याप्त तैनाती की गई है। सुरक्षा बलों की सतर्कता और सक्रियता से मतदाताओं में विश्वास बढ़ा है। मतदाताओं की सुरक्षा और निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए गए हैं।
मतदान केंद्रों पर मतदाताओं के लिए विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। पीने के पानी, शेड, शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं का ध्यान रखा गया है। दिव्यांग मतदाताओं के लिए रैंप और व्हीलचेयर जैसी विशेष व्यवस्था की गई है।
मतदान केंद्रों पर कोविड-19 प्रोटोकॉल का भी सख्ती से पालन किया जा रहा है। मतदाताओं को मास्क पहनना अनिवार्य है और सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए मतदान केंद्रों पर गोले बनाए गए हैं। मतदाताओं को हाथ धोने और सैनिटाइजर का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
राज्य में अब तक सबसे कम मतदान अल्लूरी सीताराम राजू जिले में दर्ज किया गया है। यहां पर मतदान प्रतिशत महज 32.80% रही है। इस जिले में मतदान प्रतिशत कम रहने के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है।
हालांकि, चुनाव आयोग ने कहा है कि वे इस मामले की जांच करेंगे और कम मतदान प्रतिशत के कारणों का पता लगाएंगे। उन्होंने कहा कि मतदाताओं को जागरूक करने और मतदान के लिए प्रोत्साहित करने के प्रयास जारी रहेंगे।
आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव 2024 के लिए मतदान प्रक्रिया अभी जारी है। मतदान शाम 6 बजे तक चलेगा। चुनाव आयोग ने सभी मतदाताओं से अपील की है कि वे अपने मताधिकार का प्रयोग अवश्य करें।
मतदान प्रतिशत में और वृद्धि की उम्मीद है। चुनाव आयोग ने लक्ष्य रखा है कि इस बार 80% से अधिक मतदान हो। इसके लिए विभिन्न जागरूकता अभियान और प्रोत्साहन योजनाएं चलाई जा रही हैं।
मतगणना 11 मई को होगी और उसी दिन परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे। सभी राजनीतिक दल जीत के लिए आश्वस्त नजर आ रहे हैं। हालांकि, अंतिम परिणाम मतदाताओं के हाथों में हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आंध्र प्रदेश की जनता किस पार्टी को जीत का ताज पहनाती है।
9 जवाब
वो कड़ी मेहनत के बावजूद मतदाताओं का उत्साह कम लग रहा है :(
प्रतिलिपि में बताइए गए आँकड़े वास्तव में सराहनीय हैं। चुनाव प्रक्रिया की शांति और सुविधा को देखते हुए, सुरक्षा कर्मियों की तत्परता भी प्रशंसनीय है। जनता को सही जानकारी और सहयोग प्रदान करना हर नागरिक का कर्तव्य है। आशा है कि अगले चरण में मतदान प्रतिशत और बढ़ेगा।
ऐसे आँकड़े देखते ही समझ में आता है कि स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता ही मुख्य कारण है। भले ही रिपोर्ट्स कहें कि सब कुछ ठीक चल रहा है, वास्तविकता में कई जगहें अभी भी अंधेरे में हैं। 🙄
शायद यह सब एक बड़ी चाल का हिस्सा है, जहाँ कुछ गुप्त समूह वोटिंग को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। इन आँकड़ों को देखकर लगता है कि वे अपने इरादों को छुपा रहे हैं।
मुझे बहुत दुख होता है कि अभी तक कुछ जिलों में वोट नहीं आया। लोगों का भरोसा जीतना जरूरी है, नहीं तो मन का बोझ बढ़ता है।
भाईयो और बहनो देखो, वोटिंग में शेड और पानी का इंतजाम है, पर कभि कभि लाइन लम्बी हो जाति है 😂। अगर टाइम पर नहीं पहुंच पाए तो भी चिंता मत करो, दुसरे घंटे में फिर से जा सकते हो। चलो, मिलके प्रोसैस को सूमर बनायें!
ध्यान रखो, मास्क पहनो और सोशल डिस्टेंस भी फॉलो करो।
आंध्र प्रदेश में मतदान की स्थिति को देखना वाकई में एक जटिल प्रक्रिया जैसा लगता है, जहाँ कई आयाम एक साथ टकराते हैं। पहला पहलू यह है कि सुबह के सात बजे से ही मतदान केंद्रों में लोगों की भीड़ लगी हुई थी, जो यह दर्शाता है कि नागरिक अपने मतदान का महत्व समझ रहे हैं। दूसरी ओर, विभिन्न जिलों में मतदान प्रतिशत में असमानता स्पष्ट रूप से देखी जा रही है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सूचना के प्रसार में अभी भी अंतर है। कडपा जिले में 45.56% मतदान प्रतिशत एक सकारात्मक संकेत है, परन्तु अल्लूरी सीताराम राजू जिले में 32.80% जैसे कम आंकड़े एक गहरी चिंता का कारण बनते हैं। यह अंतर विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पहलुओं से जुड़ा हो सकता है, जिसका विश्लेषण करने की आवश्यकता है। चुनाव आयोग ने सुरक्षा उपायों को कड़ा किया है, जिससे मतदान स्थल पर शांति बनी रहे, और यह कदम सराहनीय है। पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती ने मतदाताओं को सुरक्षित महसूस करवाया है, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा। मतदान केंद्रों पर पानी, शेड और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं का प्रबंध भी किया गया है, जो मतदान प्रक्रिया को सुगम बनाता है। दिव्यांग मतदाताओं के लिए रैंप और व्हीलचेयर जैसी विशेष व्यवस्थाएँ भी स्थापित की गई हैं, जिससे समावेशी प्रक्रिया सुनिश्चित हुई है। कोविड-19 नियमों का कड़ाई से पालन किया जा रहा है, जिसमें मास्क पहनना अनिवार्य है और सामाजिक दूरी बनाए रखना शामिल है। इस प्रक्रिया में sanitization भी प्रमुख भूमिका निभा रही है, जिससे स्वास्थ्य जोखिम कम हो रहा है। लेकिन फिर भी, कुछ क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत कम होना यह संकेत दे सकता है कि वहाँ जन जागरूकता की कमी है या मतदान तक पहुंच में बाधाएँ हैं। चुनाव आयोग ने इन मुद्दों को समझते हुए पहल की है और आगे भी विभिन्न जागरूकता अभियानों के माध्यम से जनसंख्या को प्रेरित करने का प्रयास जारी रखेगा। मतदान का लक्ष्य 80% से अधिक तक पहुंचना है, जो कि एक ऊँचा मानदंड है और इसे हासिल करने के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक है। अंत में, मतगणना 11 मई को होने वाली है, और परिणामों की घोषणा उसी दिन की जाएगी, जिससे पूरे राज्य में एक ताजगी भरा माहौल बन जाएगा। इस सारी प्रक्रिया को देखते हुए, यह कहना उचित होगा कि लोकतंत्र की बुनियादी नींव यहाँ मज़बूत है, परन्तु सुधार की हमेशा गुंजाइश रहती है।
मैं तो कहूँगा कि इतनी रिपोर्टें सिर्फ दिखावे के लिए हैं सही नहीं ये आँकड़े कभी भी वास्तविकता नहीं दिखाते
समय के इस साक्षात्कार में, जब मतदाता अपने अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं, तो यह एक महान ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनता है। इस प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में नागरिकों का योगदान अत्यंत मूल्यवान है, और इसकी सराहना हमारे लोकतांत्रिक सिद्धांतों की मजबूती को दर्शाती है। आइए, हम सभी इस उत्सव को सम्मान के साथ मनाएँ और मतदान को पूर्णता की ओर अग्रसर करें 🌟🇮🇳।