इज़राइल और गाजा के बीच संघर्ष तेज, अल-अव्दा अस्पताल में पीने के पानी की कमी

मई 20, 2024 5 टिप्पणि Priyadharshini Ananthakumar

गाजा पट्टी में इज़राइल और हमास के बीच लड़ाई और उग्र होती जा रही है। उत्तरी गाजा में भीषण लड़ाई की खबरें आ रही हैं और मानवीय स्थिति भी गंभीर होती जा रही है।

डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (MSF) के अनुसार, जबालिया शरणार्थी शिविर में स्थित अल-अव्दा अस्पताल में पीने का पानी खत्म हो गया है। एक इज़राइली हवाई हमले में घायल 34 लोगों को भर्ती करने के बाद अस्पताल में पानी का संकट उत्पन्न हो गया। अस्पताल को वर्तमान में इज़राइली टैंकों ने घेर रखा है।

इज़राइल के हवाई और जमीनी हमले पूरे गाजा में तेज हो गए हैं। नुसीरात शरणार्थी शिविर में 31 लोगों की मौत के बाद, जॉर्डन के विदेश मंत्री अयमान सफदी ने गाजा पर इज़राइल की इस जंग के दौरान किए गए 'युद्ध अपराधों' की अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की है।

MSF के प्रवक्ता ने कहा कि अल-अव्दा अस्पताल की स्थिति बेहद नाजुक है। इज़राइली टैंकों द्वारा घेरे जाने और पानी की कमी के कारण घायलों के इलाज में मुश्किलें आ रही हैं। अस्पताल में मौजूद मरीजों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए पर्याप्त खाना-पानी उपलब्ध कराना भी एक चुनौती बन गया है।

इस बीच, गाजा में मरने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले एक हफ्ते में गाजा में कम से कम 145 फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें 41 बच्चे भी शामिल हैं। वहीं 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं।

संघर्ष के बढ़ते जाने से गाजा पट्टी में मानवीय संकट बढ़ता जा रहा है। यूएन ने चेतावनी दी है कि गाजा में स्वास्थ्य सेवाएं ध्वस्त होने की कगार पर हैं। बिजली और ईंधन की कमी, पानी और खाद्य पदार्थों की अनुपलब्धता के कारण नागरिकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

गाजा में पिछले एक दशक से अधिक समय से इज़राइल का घेराबंदी और प्रतिबंध लागू हैं। वर्तमान संकट से पहले ही गाजा की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित थी और बेरोजगारी की दर 50% से अधिक थी। इस लड़ाई ने गाजा के नागरिकों की स्थिति और खराब कर दी है।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने दोनों पक्षों से अपील की है कि वे हिंसा रोकें और संघर्ष विराम के लिए बातचीत करें। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस हिंसक संघर्ष पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए सभी पक्षों से संयम बरतने का आग्रह किया है।

अमेरिका, यूरोपीय संघ और अरब देशों ने भी गाजा में शांति बहाली के प्रयासों का समर्थन किया है। लेकिन इज़राइल और हमास की आक्रामक रणनीतियों को देखते हुए शीघ्र ही संघर्ष विराम की संभावना कम ही लग रही है।

गाजा में बिगड़ते हालात से अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का उल्लंघन होता दिख रहा है। नागरिकों और नागरिक ढांचों को निशाना बनाना, आवश्यक सेवाओं को बाधित करना और अत्यधिक बल का प्रयोग युद्ध अपराध की श्रेणी में आते हैं।

गाजा संकट की पृष्ठभूमि

  • गाजा पट्टी में 20 लाख से अधिक फिलिस्तीनी रहते हैं, जिनमें से अधिकांश शरणार्थी हैं।
  • 2007 से गाजा पर हमास का नियंत्रण है, जिसे इज़राइल और पश्चिमी देशों द्वारा एक आतंकवादी समूह माना जाता है।
  • गाजा पर इज़राइल का कड़ा घेराबंदी और प्रतिबंध है, जिससे वहां की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित है।
  • गाजा और इज़राइल के बीच समय-समय पर हिंसक झड़प होती रहती हैं। पिछला बड़ा संघर्ष 2014 में हुआ था।

गाजा में बढ़ते तनाव और हिंसा से अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को खतरा पैदा हो रहा है। इससे मध्य-पूर्व की स्थिरता पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है। अत्यंत आवश्यक है कि सभी पक्ष अधिकतम संयम बरतें और राजनीतिक-कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से इस संकट का समाधान निकालें। मानवीय कानूनों और नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

5 जवाब

Rajan Jayswal
Rajan Jayswal मई 20, 2024 AT 21:23

अल-अव्दा अस्पताल के पानी की ज़रूरत सुनके दिल दहला गया।

Simi Joseph
Simi Joseph मई 20, 2024 AT 21:33

इज़राइल का घेराबंद मानवता के मूल अधिकार को टॉर कर रहा है यह बेइज्जती और ज़रूरतमंदों के दर्द को चुप कराता है।

Vaneesha Krishnan
Vaneesha Krishnan मई 20, 2024 AT 21:43

गाज़ा के लोगों की पीड़ा को देख कर आँखों में आँसू आ जाता है 😢 हम सबको मिलकर आवाज़ उठानी चाहिए 🌍 मानवीय राहत के लिए तुरंत कार्रवाई जरूरी है 🙏 एकजुटता ही एकमात्र उपाय है।

Satya Pal
Satya Pal मई 20, 2024 AT 21:53

सच्ची बात तो ये है कि इतिहास बार-बार वही सज़ा दोहराता है जब शक्ति वाले दमन को नज़रअंदाज़ करते हैं तो जनता जड़ता है और शत्रु का भरोसा बढ़ता है इस घातक चक्र को तोड़ने के लिए हमें पहले अपने भीतर की कठोरता को समझना पड़ेगा लेकिन कई बार लोग समझते नहीं शांति सिर्फ़ शब्द नहीं काम है कार्रवाई में जो दिखता है वही असली मुक़ाबला है।

Partho Roy
Partho Roy मई 20, 2024 AT 22:56

लगता है आज फिर से दुनिया वही पुरानी दुविधा में फँसी हुई है
गाज़ा में पानी की कमी सिर्फ़ एक जल समस्या नहीं बल्कि नैतिक दुविधा भी है
जब लोग बुनियादी जरूरतों के बिना जीते हैं तो मानवीय मूल्यों का क्या मतलब रह जाता है
इज़राइल की सैन्य नीति को समझना आसान नहीं लेकिन अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन कभी भी उचित नहीं माना जा सकता
वहीं हमास की रणनीतियों में भी सवाल उठते हैं और दोनों पक्षों पर जाँच होना चाहिए
मानवता के नाम पर कोई भी पक्ष जब भी हिंसा को बढ़ावा देता है तो वह स्वयं को इतिहास के काख में ध्वज नहीं ले सकता
उदाहरण के तौर पर हम 1945 के बाद कई बार देखे हैं कि युद्ध अपराधों को अनदेखा करने से आगे और बड़े संकट उभरते हैं
इसलिए संयुक्त राष्ट्र की भूमिका यहाँ बहुत अहम होनी चाहिए
वो केवल बयान नहीं बल्कि ठोस कदम उठाए जैसे कि मानवतावादी सहायता की राह खोलना
अल-अव्दा अस्पताल में पानी की कमी का मतलब है कि जीवन रक्षक पावर अभी टूट रही है
डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने जो चेतावनी दी है वह आज एक सच्ची घड़ियाल की तरह गूँज रही है
फिर भी कुछ देशों की राजनीति में मात्र शब्दों का खेल चल रहा है
वास्तविक प्रभाव तभी पड़ेगा जब सभी राज्य मिलकर व्यापारिक प्रतिबंधों को हटाएँ
सिर्फ़ तब ही गाज़ा के लोग फिर से आशा की रोशनी देख पाएँगे
और यही आशा ही है जो हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है
चलो हम सब मिलकर इस संदेश को फैलाएँ और उन लोगों की मदद करें जो रोज़ जीवन‑संकट से जूझ रहे हैं

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