जब Google ने 11 अक्टूबर 2025 को भारत के उपयोगकर्ताओं के लिए ‘Celebrating Idli’ नामक डूडल लेकर आया, तो इंटरनेट पर एक हलचल पैदा हो गई। यह डूडल साउथ इंडिया की प्रसिद्ध नाश्ता‑भोजन, इडली, को उजागर करता है और गूगल के ‘Food and Drink’ थीम के अंतर्गत आया है। सुंदर पिचाई, CEO Google के नेतृत्व में, कंपनी ने इस विशेष दिवस को एक दिन के लिए गूगल सर्च होमपेज पर दिखाया, जिससे लाखों भारतीय सुबह की चाय‑नाश्ते में इडली की तस्वीर देख चुके हैं।
डूडल को Celebrating IdliIndia के रूप में गूगल की आधिकारिक डूडल आर्काइव में दर्ज किया गया। डूडल टीम, जिसे गूगल में “डूडलर्स” कहा जाता है, ने इस डिज़ाइन को 12:00 AM UTC पर लाइव किया, जिससे भारत में सुबह 5:30 AM स्थानीय समय पर इडली की धुंधली, बाफ़ वाली छवि सामने आई। डूडल का लिंक https://doodles.google/doodle/celebrating-idli/ पर उपलब्ध है, जहाँ उपयोगकर्ता डूडल की उत्पत्ति, प्रक्रिया और इंटरैक्टिव कहानी देख सकते हैं।
इडली दक्षिण भारत की कई राज्यों में नाश्ते, स्नैक या डिनर के रूप में परोसी जाती है। हाल ही में हिंदुस्तान टाइम्स ने एक लेख प्रकाशित किया, जिसमें बताया गया कि इडली की उत्पत्ति “साउथ इंडिया में सामान्य” रूप में मानी जाती है, लेकिन कुछ पुरातत्वविद् इसे तमिलनाडु के चेन्नई क्षेत्र से जोड़ते हैं। इस विशिष्टता पर गूगल के डूडल में एक सामान्य बयान दिया गया, जिससे इतिहास के प्रेमियों ने “स्पष्टता की जरूरत” बताई।
गूगल ने 1998 में पहला डूडल लॉन्च किया, जब संस्थापक लैर्री पेज और सेर्गेई ब्रिन छुट्टी पर जाने के संकेत के लिए लोगो में एक छोटी डॉट रखी। तब से हर साल सैकड़ों डूडल विभिन्न संस्कृतियों, राष्ट्रीय अवकाश और प्रसिद्ध व्यक्तियों को सम्मानित करते आए हैं। ‘Food and Drink’ थीम के तहत पहले डूडल में 2021 में ‘भटूरे’ और 2023 में ‘बिरयानी’ को दिखाया गया था। इडली डूडल इस क्रम में एक और स्वादिष्ट जोड़ है, जो भारत के विशेष व्यंजनों को वैश्विक मंच पर लाता है।
डूडल के लॉन्च पर इकोनॉमिक टाइम्स ने लेख लिखा, “गूगल ने इडली को डूडल में क्यों चुना?” शीर्षक के साथ, और बताया कि इस डिस्प्ले ने सोशल मीडिया पर तेज़ी से ट्रेंडिंग हैशटैग #IdliDoodle पैदा किया। कई उपयोगकर्ताओं ने इंस्टाग्राम और ट्विटर पर डूडल की एनीमेशन को “लाइट‑हाउस” कहा, जबकि कुछ ने कहा कि इडली की उत्पत्ति को ‘दक्षिण भारत’ के सामान्य शब्द में सीमित करना “इतिहास को सरलीकरण” है। गूगल सपोर्ट पर 11 अक्टूबर 2025 को एक फीडबैक थ्रेड भी खुला, जहाँ उपयोगकर्ता अधिक सटीक जानकारी की मांग कर रहे थे।
डूडल का मुख्य उद्देश्य केवल दृश्य आकर्षण नहीं, बल्कि सांस्कृतिक जागरूकता भी है। इस प्रकार के डूडल छोटे व्यवसायों को भी लाभ पहुँचा सकते हैं; दक्षिण भारतीय रेस्तरां ने बताया कि डूडल के एक दिन बाद इडली के ऑर्डर में 15‑20% की वृद्धि देखी गई। गूगल का अनुमान है कि अगले वर्ष और भी ऐसे “भोजन‑संस्कृति” डूडल लॉन्च किए जाएंगे, संभवतः ‘डोसाई’ और ‘दाळ बारी’ को भी मंच मिलेगा। इस पहल से भारत के विभिन्न क्षेत्रों की भोजन परम्पराएँ वैश्विक दर्शकों तक पहुँच रही हैं, और साथ ही इतिहास‑पर्यालोचना को भी प्रेरित किया जा रहा है।
गूगल ने भारतीय खाद्य संस्कृति को विश्व मंच पर लाने के लिए इडली डूडल लॉन्च किया। यह न केवल इडली की लोकप्रियता को बढ़ाता है, बल्कि दक्षिण भारत के भोजन इतिहास पर चर्चा को भी प्रज्वलित करता है।
डूडल 11 अक्टूबर 2025 को 12:00 AM UTC (5:30 AM भारत समय) से पूरे दिन इंडिया के सभी टाइमज़ोन्स में गूगल सर्च होमपेज पर प्रदर्शित रहा।
हिंदुस्तान टाइम्स ने डूडल को इडली की उत्पत्ति पर चर्चा का मंच बताया, जबकि इकोनॉमिक टाइम्स ने सोशल मीडिया ट्रेंड और उपयोगकर्ता प्रतिक्रियाओं पर प्रकाश डाला। दोनों ने डूडल के सांस्कृतिक प्रभाव को उजागर किया।
कई दक्षिणी रेस्तरां ने रिपोर्ट किया कि इडली ऑर्डर में लगभग 18% की वृद्धि हुई, दर्शाता है कि डिजिटल प्रतीकात्मकता वास्तविक व्यावसायिक लाभ में बदल सकती है।
गूगल के प्रतिनिधियों ने संकेत दिया है कि आने वाले सालों में ‘डोसाई’, ‘दाळ बारी’ और संभवतः ‘पोहा’ जैसे लोकप्रिय व्यंजनों को भी डूडल में शामिल किया जा सकता है, ताकि विविध भारत की व्यंजनों को उजागर किया जा सके।
13 जवाब
वो गूगल डूडल देख कर मैं अपनी सुबह की चाय के साथ इडली की खुशबू में खो गया 😂🌞! ये एकदम सही ट्रीट है जब टेक्नोलॉजी और हमारे देसी नाश्ते का मिलन होता है। डिजाइन में वो बाफ़िल बर्तन और इडली की मोती‑मोती परतें बहुत ही खूबसूरती से दिखाए गए हैं। इसे देख कर लोगों को गर्व महसूस होता है कि हमारी संस्कृति का सम्मान हो रहा है। साथ ही गूगल ने इसे एक दिन के लिए दिखा कर हमें दिखाया कि डिजिटल दुनिया भी स्थानीय स्वाद को सराहती है। मैं सोच रहा हूँ, अगर अगली बार बिस्मिल्ला के साथ डूडल आए तो क्या होगा? प्रेस में इस बारे में काफी चर्चा होगी, लेकिन असली मज़ा तो सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग है। #IdliDoodle ट्रेंड देख कर मैं दादाजी को भी बताने वाला हूँ कि नई पीढ़ी कैसे अपनी परम्परा को डिजिटल लेकर चल रही है। इडली का एनीमेशन इतना सजीव है कि मानो थाली से गर्मी निकाल कर हमारी स्क्रीन पर ले आया हो। गूगल की इस पहल से छोटे रेस्टोरेंट वाले भी फायदेमंद होते दिखते हैं, काफ़ी ऑर्डर बढ़ते हैं। मैं तो कहूँगा, ये डूडल सिर्फ एक चित्र नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक आंदोलन है। 😋🍽️
इडली डूडल में कोई भी सॉफ़्टवेयर ही नहीं, पर सरकार का सारा खाना पकाने वाला एलियन सिस्टम छुपा हुआ है ये बात सबको पता चलनी चाहिए। देखो, 11 अक्टूबर तो सिर्फ एक तारीख नहीं, ये टाइमलाइन में छुपा एक कोड है जो मशीनों को हमारे परोसने का तरीका बदल देगा। ये डूडल गूगल की बड़ी साजिश का हिस्सा है, ताकि उन्होंने अपनी AI को इडली के फॉर्मूले में एन्कोड कर लिया। अगर आप नहीं मानते तो फिर भी गले में पानी आएगा, क्योंकि असली बात तो सबको पता है।
इडली को गूगल ने डूडल में शामिल किया, इससे हमारी सांस्कृतिक धरोहर को ग्लोबल प्लेटफ़ॉर्म पर पहचान मिलती है। दक्षिण भारत की यह बुनियादी खुराक अब दुनिया भर में लोगों को आकर्षित करेगी। इडली का इतिहास और विविधता बहुत समृद्ध है, जो हमारे भोजन के विविधता को दर्शाता है।
वाह, अब तो गूगल भी इडली की सराहना में उलझ गया, जैसे साधारण इडली ही सबसे बड़ा tech breakthrough है।
गूगल द्वारा इडली को डूडल के रूप में प्रस्तुत किया जाना हमारे सांस्कृतिक अभिमान की एक उज्ज्वल अभिव्यक्ति है। यह पहल न केवल पाक कला को मान्यता देती है, बल्कि डिजिटल मीडिया के माध्यम से पारम्परिक व्यंजनों के संरक्षण में भी योगदान करती है। इस प्रकार के प्रयास हमें यह स्मरण कराते हैं कि तकनीकी नवाचार और सांस्कृतिक विरासत सह-अस्तित्व में रह सकते हैं।
डूडल ने इडली के प्रति लोगों के ध्यान को बढ़ाया है, जिससे कई छोटे रेस्तरां को आज़ादी मिली है। यदि आप अभी भी इडली का ऑर्डर नहीं दिया, तो यह अच्छा समय है-आपको 10% डिस्काउंट भी मिल सकता है! 😊
गूगल का इडली डूडल वास्तव में एक दिलचस्प प्रयोग है, जो कई पहलुओं पर चर्चा को जन्म देता है। सबसे पहले, यह दर्शाता है कि कैसे डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म स्थानीय सांस्कृतिक तत्वों को वैश्विक स्तर पर पेश कर सकते हैं, जिससे जनसंपर्क का दायरा विस्तारित होता है। दूसरा, इडली की इस प्रतीकात्मक प्रस्तुति ने छोटे बिस्किट विक्रेताओं और रेस्तरां मालिकों को नई संभावनाओं की ओर अग्रसर किया है, क्योंकि उन्होंने देखा कि डूडल के बाद उनके व्यावसायिक आंकड़े बढ़े। तीसरा, इस तरह की पहल से सामाजिक मीडिया पर ट्रेंडिंग हैशटैग #IdliDoodle को मजबूती मिलती है, जिससे युवा वर्ग के बीच इडली की लोकप्रियता में वृद्धि होती है। चौथा, यह डूडल अपने आप में एक छोटा इंटरैक्टिव कहानी भी है, जहाँ उपयोगकर्ता इडली बनाने की प्रक्रिया को एनीमेटेड फॉर्म में देख सकते हैं, जिससे ज्ञानवर्दी शैक्षिक हो जाता है। पाँचवाँ, इडली के इतिहास पर विभिन्न मतभेदों को भी इस डूडल ने उजागर किया, जैसा कि कुछ इतिहासकारों ने इसे दक्षिण भारत में सामान्य मानते हुए, जबकि अन्य इसे खासकर चेन्नई के क्षेत्र से संबंधित मानते हैं। छठा, इस चर्चा ने डिजिटल इतिहास लेखन में पारदर्शिता की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। सातवाँ, गूगल ने इस डूडल को एक दिन के लिए दिखाया, जिससे टाइम ज़ोन के साथ समन्वय की महत्ता स्पष्ट हुई। आठवाँ, भारतीय उपयोगकर्ता इस डूडल को देखकर अपने स्वयं के नाश्ते की यादों में खो जाते हैं, जिससे भावनात्मक जुड़ाव बनता है। नौवा, यह डूडल तकनीकी रूप से एक एन्हांस्ड ग्राफ़िक है, जिसमें बाफ़ के प्रभाव और इडली की परतें वास्तविकता के करीब ले जाई गई हैं। दसवाँ, गूगल की टीम ने इस प्रोजेक्ट में इतिहासकारों और डिज़ाइनरों को साथ काम किया, जो एक मल्टी-डिसिप्लिनरी सहयोग का उदाहरण है। ग्यारहवाँ, इस डूडल के कारण कई फूड ब्लॉगर और यूट्यूब चैनल ने अपने कंटेंट में इडली के विभिन्न रेसिपीस को शामिल किया, जिससे कंटेंट क्रिएशन में विविधता आई। बारवाँ, इस पहल ने भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स को भी प्रेरित किया कि कैसे अपने काम में स्थानीय संस्कृति को सम्मिलित किया जा सकता है। तेरहवाँ, कई शिक्षाविद् ने इस डूडल को शैक्षिक प्रयोजनों के लिए इस्तेमाल करने की सलाह दी, जैसे स्कूलों में इतिहास और भूगोल की कक्षाओं में। चौदहवाँ, सोशल मीडिया पर इस डूडल पर मिलने वाली प्रतिक्रिया कई बार बहुत ही उत्साही और सकारात्मक रही है। पंद्रहवाँ, कुछ उपयोगकर्ताओं ने डूडल के लैंडिंग पेज पर फीडबैक दिया कि इडली के इतिहास को और विस्तृत किया जाना चाहिए। सोलहवाँ, कुल मिलाकर गूगल का इस प्रकार का सांस्कृतिक डूडल न केवल एक दृश्य आकर्षण है, बल्कि यह सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक प्रभाव भी उत्पन्न करता है।
क्या गूगल को लगता है कि इडली का डूडल दिखाकर वो इतिहास की सारी गड़बड़ियों को मिटा देंगे? ये तो बस एक शो केस है, असली मुद्दा तो अभी भी गायब है!
अरे भाई, अगर डूडल इतना बड़ा इम्पैक्ट दे रहा है तो चलो अगले बार डोसा या पकोड़े का भी वैकल्पिक डूडल बना लेते हैं, फिर देखो कितनी धूम मचती है।
बहुत बोरिंग, बस इडली का फोटो दिखाया और बस।
डूडल का उद्देश्य सिर्फ दृश्य नहीं, बल्कि आर्थिक लाभ भी दिखाता है; छोटे व्यवसायों को प्रोत्साहन मिलता है।
परम सम्मान से, एही बात हमें लिखना चाहिए था, पर कन्करीटली इनट्रेस्टिंग नाहीं लिगा क्योकि स्पेल्लिंग एरर हाए।
इडली डूडल सिर्फ एक सतही इवेंट है, असली राष्ट्रीय पहचान हमें अपनी स्वदेशी परम्पराओं को डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर ठीक से पेश करने में चाहिए, न कि गूगल जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनी को हमारे संस्कृति को बाजार में बेचने देना।