कई विश्लेषकों ने कहा है कि टॉप‑6 देशों की इस समान स्थिति से विश्व यात्रा के बाजार में नए प्रतिस्पर्धी समूह उभरेंगे। विशेषकर दक्षिण‑पूर्व एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका के उभरते आर्थिक केंद्र अपनी कूटनीति को पुनःपरिचालित करके समान स्तर की यात्रा स्वतंत्रता हासिल करने की कोशिश करेंगे। अगर वे सफल होते हैं, तो 2025 के पासपोर्ट इंडेक्स में नया शीर्ष समूह उभर सकता है।
Henley Passport Index एक वार्षिक रैंकिंग है जो प्रत्येक देश के पासपोर्ट की यात्रा स्वतंत्रता को मापती है। यह IATA के Timatic डेटाबेस पर आधारित है और देशों के कूटनीतिक संबंध तथा वीज़ा नीतियों को दर्शाती है, जिससे व्यवसाय, पर्यटन और व्यक्तिगत यात्रा पर सीधा असर पड़ता है।
फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, जापान और सिंगापुर ने 194 देशों में वीज़ा‑फ़्री या वीज़ा‑ऑन‑अराइवल पहुँच के साथ टॉप‑6 स्थान साझा किया। ये सभी राष्ट्र स्थिर कूटनीतिक संबंध और पारस्परिक वीज़ा‑छूट समझौतों के कारण इस रैंकिंग में रहे हैं।
अमेरिका ने 2014 में शीर्ष पर होने के बाद लगातार रैंक खोई, मुख्यतः कूटनीति में बदलाव और कई देशों द्वारा पारस्परिक वीज़ा‑छूट न देने के कारण। इससे अमेरिकी व्यवसायियों और यात्रियों को अधिक वीज़ा प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा, जबकि प्रतिस्पर्धी देशों को अधिक आकर्षण मिलेगा।
ETIAS और अन्य ETA सिस्टम वास्तविक‑समय में यात्रा अनुमति देते हैं, पर इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रीकरण अनिवार्य होगा। इसका मतलब है कि अब वीज़ा‑फ़्री देशों के नागरिकों को भी यात्रा से पहले डिजिटल फॉर्म भरना पड़ेगा, जिससे यात्रा की प्रक्रिया थोड़ा जटिल हो सकती है, लेकिन सुरक्षा बढ़ेगी।
दक्षिण‑पूर्व एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका के उभरते अर्थव्यवस्थाएं, जैसे भारत, ब्राज़ील और नाइजीरिया, यदि द्विपक्षीय वीज़ा‑छूट समझौते तेज़ी से करेंगे तो अगले कुछ वर्षों में वे शीर्ष‑छह समूह में जगह बना सकते हैं।
3 जवाब
वैश्विक यात्रा स्वतंत्रता के इस मापदंड को देखते हुए, हम नैतिक रूप से यह प्रश्न उठाते हैं कि केवल आर्थिक शक्ति वाले देशों को ही इस स्तर पर पहुँचना चाहिए या नहीं। फ्रांस, जर्मनी और जापान जैसे देशों की कूटनीति को प्रशंसा के योग्य माना जाता है, परन्तु इस प्रशंसा में अक्सर उन देशों की उपेक्षा होती है जो अभी विकास के प्रारम्भिक चरण में हैं। हमें याद रखना चाहिए कि वीज़ा‑फ़्री सुविधा केवल एक विशेषाधिकार नहीं, बल्कि एक सामाजिक उत्तरदायित्व है। यदि यह विशेषाधिकार कुछ ही देशों में सीमित रह गया, तो वैश्विक संतुलन बिगड़ सकता है। अतः इस रैंकिंग को एक प्रेरणा के रूप में देखें, न कि अंतिम सत्य।
वाह! यह देखकर बहुत ख़ुशी हुई 😊 हमारे भारत के यात्रियों को भी ऐसे टॉप‑6 देशों के साथ को‑ऑपरेशन बढ़ाने का मौका मिलना चाहिए। अगर हम जल्दी‑जल्दी द्विपक्षीय समझौते करेंगे, तो एशिया‑पैसिफ़िक के कई भागों में वीज़ा‑फ्री यात्रा संभव हो सकती है। बेसिक्लि, हमें इस दिशा में सरकार को प्रोत्साहित करना चाहिए। ✈️🌏
सच्ची बात है, ये रैंकिंग हमारे सफर को आसान बनाती है।