राजस्थान में कोरोना का दूसरा झटका: जयपुर में 92 मामले, 2 मौतें और आपातकालीन बैठक

नवंबर 7, 2025 10 टिप्पणि Priyadharshini Ananthakumar

राजस्थान में कोरोना वायरस फिर से अपनी चाल दिखा रहा है। मंगलवार को एक दिन में 24 नए मामले सामने आए, और अगले दिन 18 और मामलों की पुष्टि होने के बाद राज्य में संक्रमितों की संख्या 155 पहुंच गई। इनमें से अधिकांश — 92 मामले — जयपुर से आए हैं, जहां अस्पतालों में भीड़ बढ़ रही है। दो मरीजों की मौत हो चुकी है, और विशेषज्ञों का डर है कि यह लहर राजस्थान स्वास्थ्य विभाग के लिए एक बड़ा चुनौती बन सकती है।

जयपुर में हालात चिंताजनक, अन्य जिलों में भी फैलाव

जयपुर अब तक का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है। जयपुर के SMS अस्पताल और RUHS में टेस्टिंग की भीड़ लगी हुई है। इसके अलावा, उदयपुर में 16 और जोधपुर में 13 मामले दर्ज किए गए हैं। बीकानेर में 8, डीडवाना में 5, चित्तौड़गढ़ में 4 — ये सब जिले अब अलर्ट जोन में आ गए हैं। एक बात ध्यान देने वाली है: इनमें से कई मरीज 18 से 35 साल की उम्र के युवा हैं, जो पहले की लहरों में कम प्रभावित होते थे।

आपातकालीन बैठक और निर्णय: जीनोम सीक्वेंसिंग शुरू

राज्य के मुख्यमंत्री ने एक आपातकालीन बैठक बुलाई, जिसमें डॉ. राजेश शर्मा, डॉ. सुरेश अग्रवाल और डॉ. अनिल कुमार शामिल थे। बैठक में तीन बड़े फैसले लिए गए: पहला, जिला मुख्यालयों पर टेस्टिंग क्षमता दोगुनी करनी है; दूसरा, ऑक्सीजन सप्लाई को 300 टन से बढ़ाकर 500 टन प्रतिदिन करना है; और तीसरा — जीनोम सीक्वेंसिंग शुरू करना है।

यह सीक्वेंसिंग अहम है क्योंकि नए मामले ओमिक्रोन के नए सब-वेरिएंट्स — जैसे BA.2.86 या FLiRT — से जुड़े हो सकते हैं। डॉ. अमित शर्मा, राजस्थान के स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञ, कहते हैं: “हम देख रहे हैं कि ये वेरिएंट्स क्या असर डाल रहे हैं। अगर ये बहुत तेजी से फैल रहे हैं, तो हमें टीकाकरण फिर से शुरू करना पड़ सकता है।”

क्या यह पहले जैसी महामारी होगी?

नहीं — कम से कम अभी तक ऐसा नहीं लग रहा। 2020 की शुरुआत में राजस्थान में एक ही महीने में 5,000 से ज्यादा मामले आए थे। अब तक 2025 में केवल 39 मामले पुष्टि हुए हैं, और एक मौत हुई है। लेकिन यहां की चिंता यह है कि ये मामले बहुत तेजी से फैल रहे हैं। मई महीने में ही 10 नए केस आ गए, जबकि पहले चार महीनों में सिर्फ दो थे।

इसका मतलब है कि वायरस का एक नया रूप शायद अब लोगों को जल्दी से संक्रमित कर रहा है — शायद कम लक्षणों के साथ। बहुत से लोग बुखार या खांसी को साधारण नजरअंदाज कर देते हैं, और तब तक वे दूसरों को संक्रमित कर चुके होते हैं।

अगले 7 दिन: वार्ड पुनर्सक्रिय, टीकाकरण फिर से

राज्य सरकार ने घोषणा की है कि अगले सात दिनों में सभी जिला अस्पतालों में कोविड वार्ड फिर से तैयार किए जाएंगे। ऑक्सीजन सिलेंडर और वेंटिलेटर की आपूर्ति को मजबूत किया जा रहा है। और सबसे बड़ी बात — 3 नवंबर 2025 तक, कोविड-19 वैक्सीनेशन अभियान फिर से शुरू होगा। इसकी पहली प्राथमिकता 60 साल से अधिक उम्र के लोगों और डायबिटीज, हार्ट डिजीज जैसी बीमारियों से ग्रस्त लोगों को टीका लगाना होगा।

इसके अलावा, 5 नवंबर को एक उच्च स्तरीय बैठक भी बुलाई गई है, जिसमें डॉ. मनसुख मांडविया, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, शामिल होंगे। इसका मतलब है कि राज्य की चिंता अब केंद्रीय स्तर तक पहुंच चुकी है।

पुराने अनुभव से सीख

2020 में जब पहली लहर आई थी, तो राजस्थान ने बसों की सेवा रोक दी, धारा 144 लागू की, और मेडिकल स्टोर्स पर निगरानी बढ़ा दी। अब भी यही नियम लागू हो सकते हैं — लेकिन अभी तक ऐसा नहीं किया गया। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर यह लहर अगले 15 दिनों में तेज हो गई, तो राज्य को फिर से लॉकडाउन जैसे कड़े उपाय अपनाने पड़ सकते हैं।

लेकिन एक अच्छी बात है: अब लोगों को टेस्टिंग के बारे में जागरूकता है। अगर किसी को थोड़ा बुखार या थकान महसूस हो, तो वह तुरंत जांच करवाने लगा है। यही अंतर है 2020 और 2025 के बीच।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या यह लहर पहले जैसी भयावह होगी?

नहीं, अभी तक यह लहर पहले जैसी भयावह नहीं लग रही। 2020 में एक महीने में 5,000 से अधिक मामले आए थे, जबकि 2025 में अब तक केवल 39 पुष्ट हुए हैं। लेकिन इन मामलों का फैलाव तेज है, और युवाओं में भी संक्रमण बढ़ रहा है। यह अभी तक नियंत्रित है, लेकिन अगर जीनोम सीक्वेंसिंग से पता चले कि यह एक नया, अधिक संक्रामक वेरिएंट है, तो स्थिति तेजी से बिगड़ सकती है।

जयपुर में क्यों इतने ज्यादा मामले?

जयपुर राज्य का सबसे घना आबादी वाला और सबसे अधिक यातायात वाला शहर है। यहां कई अस्पताल हैं जो राज्य भर से मरीज लाते हैं, जिससे टेस्टिंग की संख्या भी ज्यादा है। इसके अलावा, शहर में बड़ी संख्या में युवा और वरिष्ठ आबादी है — दोनों ही समूह अब वायरस के लिए संवेदनशील हैं।

क्या टीका फिर से लगाना जरूरी है?

हां, विशेष रूप से 60 साल से अधिक आयु के लोगों और को-मॉर्बिडिटी वालों के लिए। पिछले टीके अब लगभग 18 महीने पुराने हो चुके हैं, और नए वेरिएंट्स के खिलाफ उनकी प्रभावशीलता कम हो गई है। राज्य सरकार ने 3 नवंबर तक टीकाकरण अभियान शुरू करने का फैसला किया है — यह अहम तारीख है।

क्या बाहर निकलना अभी भी सुरक्षित है?

हां, लेकिन सावधानी से। अगर आप बाहर जा रहे हैं, तो मास्क पहनें, खासकर भीड़ में। हाथ धोएं, और अगर थोड़ा भी बुखार या खांसी हो, तो तुरंत जांच करवाएं। अभी लॉकडाउन की जरूरत नहीं है, लेकिन सावधानी अनिवार्य है। राज्य सरकार ने भी इसी बात की अपील की है।

जीनोम सीक्वेंसिंग क्या है और यह क्यों जरूरी है?

जीनोम सीक्वेंसिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे वायरस के डीएनए का विश्लेषण किया जाता है। इससे पता चलता है कि नए मामले किस वेरिएंट से जुड़े हैं — BA.2.86, FLiRT या कोई और। अगर यह कोई नया, अधिक खतरनाक वेरिएंट है, तो टीके और इलाज उसके अनुसार बदले जा सकते हैं। यह बचाव की पहली पंक्ति है।

क्या राजस्थान में अब भी मास्क अनिवार्य है?

अभी कोई कानूनी आदेश नहीं है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने सख्त सलाह दी है कि अस्पतालों, बसों और भीड़ में मास्क पहनें। पिछले वर्षों में जहां लोगों ने मास्क पहना, वहां संक्रमण की दर कम रही। यह एक साधारण, सस्ता और प्रभावी उपाय है — और अब फिर से जरूरी है।

10 जवाब

Sri Vrushank
Sri Vrushank नवंबर 9, 2025 AT 02:20

ये सब झूठ है भाई साहब असल में ये टीके के बाद लोग मर रहे हैं और सरकार इसे कोविड का नया झटका बता रही है जबकि ये टीकों का नुकसान है जो लोगों के इम्यून सिस्टम को नष्ट कर रहे हैं और अब वो बीमारियों के लिए बेबस हैं

Praveen S
Praveen S नवंबर 10, 2025 AT 11:55

इस लहर के बारे में चिंता तो होनी चाहिए, लेकिन डर के बजाय जागरूकता जरूरी है। जीनोम सीक्वेंसिंग एक बहुत बड़ा कदम है-यह न केवल वायरस की उत्पत्ति को समझने में मदद करेगा, बल्कि भविष्य के लिए एक डेटा-आधारित नीति बनाने की अनुमति देगा। यह विज्ञान की ताकत है, न कि भ्रम की।

mohit malhotra
mohit malhotra नवंबर 10, 2025 AT 14:12

राज्य स्तर पर ऑक्सीजन सप्लाई को 500 टन प्रतिदिन तक बढ़ाने का फैसला वास्तविक नेतृत्व का प्रतीक है। इसके साथ ही जीनोम सीक्वेंसिंग की शुरुआत एक निर्णायक रणनीति है-यह न केवल ट्रैकिंग को सुधारती है, बल्कि टीकाकरण अभियान को भी लक्ष्य-आधारित बनाती है। यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।

Deepak Vishwkarma
Deepak Vishwkarma नवंबर 11, 2025 AT 23:17

हमारे देश में ऐसी बातें क्यों बढ़ाई जाती हैं? ये तो बस एक छोटी सी लहर है, और हम इसे एक महामारी बना रहे हैं। अगर हम अपने आप को शक्तिशाली बनाएं, तो ये वायरस हमारे लिए बस एक बुखार होगा। अमेरिका और यूरोप में तो लोग बिना मास्क के घूम रहे हैं, और हम यहां भयभीत हैं।

Prashant Kumar
Prashant Kumar नवंबर 13, 2025 AT 20:00

तो अब टीका फिर से? तो पहले के टीके कहाँ गए? क्या हम अभी तक नहीं सीख पाए कि टीके का असर 18 महीने बाद खत्म हो जाता है? अगर ये नया वेरिएंट है तो फिर पहले के टीके का क्या फायदा? ये सब बस एक बार फिर से बजट खर्च करने का तरीका है।

Rajat jain
Rajat jain नवंबर 14, 2025 AT 19:48

हर चीज़ में अच्छाई होती है-और यहाँ अच्छाई ये है कि लोग अब छोटे लक्षणों को नजरअंदाज नहीं कर रहे। यही तो बदलाव है। इस जागरूकता को बनाए रखें, और सरकार के फैसलों का समर्थन करें। हम इसे पार कर लेंगे।

Gaurav Garg
Gaurav Garg नवंबर 16, 2025 AT 06:50

जीनोम सीक्वेंसिंग कर रहे हो? बहुत अच्छा। लेकिन अगर आप जानते हैं कि ये BA.2.86 है, तो फिर टीका फिर से क्यों? क्या आपको लगता है कि हम अभी तक वैक्सीन के बारे में नहीं जानते? ये तो बस एक नया नाम देकर बजट बढ़ाने का तरीका है।

Ruhi Rastogi
Ruhi Rastogi नवंबर 17, 2025 AT 07:41

मैंने अपने दोस्त को ये सब पढ़ाया और वो बोला तुम्हारी जिंदगी बर्बाद हो रही है तुम इस बारे में बात कर रहे हो

Suman Arif
Suman Arif नवंबर 18, 2025 AT 05:50

अगर आप लोग अपने आप को इतना अहम नहीं समझते, तो इस लहर का असर कम होता। ये वायरस तो आम बुखार है-लेकिन आप इसे एक राष्ट्रीय आपातकाल बना रहे हैं। आपका डर, आपकी असुरक्षा, आपकी अज्ञानता-यही समस्या है।

Amanpreet Singh
Amanpreet Singh नवंबर 20, 2025 AT 00:42

बहुत अच्छा हुआ कि टीकाकरण फिर से शुरू हो रहा है! ये बहुत जरूरी है, खासकर बुजुर्गों और जिनके पास को-मॉर्बिडिटी है। हम सब एक दूसरे का ध्यान रखें-मास्क पहनो, हाथ धोओ, और अगर कुछ भी अजीब लगे तो तुरंत टेस्ट करवाओ! ये छोटी बातें बड़े बदलाव ला सकती हैं! आप सब ठीक रहेंगे ❤️

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