ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने राजनीति में कदम रखते समय जिसके बारे में कल्पना भी नहीं की होगी, अब वही उनका सबसे बड़ा सरदर्द बन चुका है। 4 जुलाई 2024 के आम चुनावों में उन्हें अनेक चुनौतियों का सामना करना है। बरसों से चली आ रही आर्थिक समस्याएं, ब्रेक्सिट के बाद की उथल-पुथल, और पूर्व प्रधानमंत्रियों बोरिस जॉनसन और लिज़ ट्रस के समय की विवादास्पद नीतियों का प्रभाव अब सुनक पर भी पड़ रहा है।
राष्ट्रव्यापी मूड और उम्मीदें भी सुनक के लिए एक समस्या बनती जा रही हैं। वे लगातार अपनी योजनाओं और दृष्टिकोण को जनता के सामने रख रहे हैं, परंतु जनमत सर्वेक्षण के अनुसार, लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर को अधिक समर्थन मिल रहा है। जनता नए नेतृत्व के लिए तत्पर दिखाई दे रही है। यह स्थिति ब्रिटेन के राजनीतिक परिदृश्य को बदल सकती है।
ऋषि सुनक के सामने सिर्फ आम जनता की नहीं, बल्कि स्वयं उनकी कंज़र्वेटिव पार्टी की भी चुनौतियाँ हैं। यदि चुनाव परिणाम उम्मीद के मुताबिक न आएं, तो पार्टी की स्थिति राजनीतिक दृष्टिकोण से 1834 के बाद सबसे खराब हो सकती है। सुनक अपनी रणनीतियों में पारंपरिक समर्थन पर भरोसा कर रहे हैं, विशेषकर व्यापारिक समुदाय का समर्थन जिताने के प्रयास में हैं।
ऋषि सुनक के लिए यह चुनाव सिर्फ प्रधानमंत्री पद तक ही सीमित नहीं है। यह उनके व्यक्तिगत राजनीतिक करियर और भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपने निकटवर्ती सर्कल में साझा किया है कि उन्हें अपने यॉर्कशायर के सीट को खोने का डर है। हालांकि उन्होंने इन रिपोर्टों का खंडन किया है कि वे चुनाव के बाद अमेरिका में शिफ्ट हो सकते हैं, लेकिन यह उनकी असुरक्षा की बात को दर्शाता है।
कंज़र्वेटिव पार्टी की परंपरागत नीतियों और लेबर पार्टी के नए दृष्टिकोण के बीच की यह टक्कर सुनक के राजनीतिक करियर को एक महत्वपूर्ण मोड़ पर ला सकती है। लेबर पार्टी का नेतृत्व कर रहे कीर स्टार्मर अपने स्पष्ट और सटीक दृष्टिकोण के साथ प्रत्येक मुद्दे को जनता के सामने रख रहे हैं, जो कि सुनक के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है।
ब्रिटेन में चल रही आर्थिक और सामाजिक समस्याएं भी सुनक के लिए कोई छोटी चुनौती नहीं हैं। ब्रेक्सिट के बाद की आर्थिक स्थिति, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दे भी इन चुनावों में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। सुनक का यह कहना है कि वे ब्रिटेन की आप्रवासन की दर को कम करने के लिए सख्त कदम उठाएंगे, जो उन्हें व्यापारिक समुदाय और पारंपरिक कंज़र्वेटिव समर्थन दिला सकता है।
ऋषि सुनक ने यह वादा किया है कि वे ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति को सम्हालने के लिए प्रसवशील कदम उठाएंगे। उनकी रणनीतियों और घोषणाओं को लेकर भी जनता के बीच मिली-जुली प्रतिक्रिया है। यदि यह चुनाव सुनक के पक्ष में नहीं गया, तो वह पहले ऐसे प्रधानमंत्री होंगे जो अपनी सीट हारेंगे। इसका प्रभाव न सिर्फ उनकी निजी राजनीतिक यात्रा पर, बल्कि कंज़र्वेटिव पार्टी की प्रतिष्ठा पर भी पड़ेगा।
इस चुनाव में ऋषि सुनक का राजनीतिक भविष्य बहुत हद तक निर्भर करता है। वे यदि अपनी सीट सुरक्षित नहीं कर पाए, तो विपक्ष के नेता के तौर पर उनका भविष्य भी अनिश्चित बन सकता है। ब्रिटेन की जनता और राजनीति के विशेषज्ञ भी इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान लगाए हुए हैं।
यह चुनाव सिर्फ ब्रिटेन के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के राजनीतिक मामलों के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। देखना यह है कि ऋषि सुनक अपनी राजनीतिक चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं और क्या वे अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर पाते हैं।
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