सोने की कीमतें डीपावली 2025 में 1.25 लाख तक पहुँचेंगी? विशेषज्ञों की राय

अक्तूबर 7, 2025 1 टिप्पणि Priyadharshini Ananthakumar

जब संजय सिंह, मुख्य अर्थशास्त्री बजाज फाइनसर्व ने 2025 की दीवाली के लिए सोने की कीमतों का अनुमान दिया, तो बाजार के कई पहरेदारों की निगाहें तुरंत जुड़ी। दीपावली 2025भारत के उत्सव‑सीजन में 24K सोना ग्राम में 12,000 रुपये पार कर चुका है, जबकि 10‑ग्राम सोने की कीमतें 1,20,000 रुपये से ऊपर चली गईं। इस ऐतिहासिक उछाल में मूठूट गोल्ड पॉइंट की भूमिका, वैश्विक मुद्रा‑संकट, और महंगाई के दबाव भी अहम हैं।

वर्तमान कीमतों का विश्लेषण

सितंबर 2025 में सोने की कीमतें लगातार सात सप्ताह बढ़ती रहीं। 25 सितंबर को 1,03,721 रुपये, 24 सितंबर को 1,04,464 रुपये, और 23 सितंबर को 1,03,964 रुपये दर्ज किए गए। इस निरंतर गति से यह अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं कि 10‑ग्राम सोना जल्द ही 1,25,000 रुपये की दहलीज पार कर सकता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि इस उछाल के पीछे दो मुख्य कारक हैं: अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सुरक्षित‑बंदोबस्त की मांग और भारतीय रुपए की निरंतर depreciate होती ताकत।

विशेषज्ञों की राय

बजाज फाइनसर्व ने पूर्वानुमान लगाया है कि दीवाली तक सोने की कीमत 82,000‑85,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के बीच रह सकती है। परंतु रवीना मिश्रा, व्यापार विश्लेषक एमआईएसएफ़ इंडस्ट्रीज लिमिटेड का कहना है, “वर्तमान रुझान दिखाता है कि ये अनुमान बहुत रूढ़िवादी हैं; बाजार की गतिशीलता और मौद्रिक नीति दोनों ही तेज़ी से बदल रहे हैं।”

रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) की मौद्रिक नीति भी इस पर असर डाल रही है। RBI ने 2025 के पहले आधे हिस्से में सूड दर को 6.5% पर स्थिर रखा, जिससे ऋण लेने की लागत बढ़ी और निवेशकों ने सोने को एक सुरक्षित विकल्प माना।

दीपावली 2025 की मांग और सांस्कृतिक पहलू

दीपावली के दौरान भारत में सोने की खरीदारी परंपरागत रूप से बढ़ती है। मूठूट गोल्ड पॉइंट के अनुसार, “त्योहारों की रौनक से रीटेलरों को डिस्काउंट कम करने या मेकिंग चार्ज बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ता है, पर सोने की बुनियादी दर अंतरराष्ट्रीय कीमतों से तय होती है।” इस कारण से, दीवाली में भले ही दुकान‑दर‑दुकान पर मूल्य थोड़ा अलग दिखे, लेकिन वैश्विक बेंचमार्क ही प्रमुख चालक है।

सांस्कृतिक दृष्टि से, सोना केवल निवेश नहीं, बल्कि सामाजिक स्थिति और वर‑वधू शुद्धि का प्रतीक है। इसलिए, कीमतें चाहे जितनी भी बढ़ें, लोग फिर भी सोने की खरीदारी को प्राथमिकता देते हैं।

भविष्य की संभावना और जोखिम कारक

भविष्य की संभावना और जोखिम कारक

दीवाली के बाद के महीनों में कीमतें 1,13,800‑1,20,400 रुपये के मध्य में स्थिर रह सकती हैं, जैसा कि कई बैंकों ने बताया। लेकिन अगर यू.एस. फेडरल रिजर्व आगे और ब्याज दरें घटाता है, तो डॉलर कमजोर होगा और सोने की कीमतें और ऊपर जा सकती हैं। उसके उलट, यदि वैश्विक अर्थव्यवस्था पुनः स्थिर हो जाती है या तेल की कीमतें गिरती हैं, तो सुरक्षित‑बंदोबस्त की मांग घट सकती है, जिससे कीमतें थोड़ी गिर सकती हैं।

लंबी अवधि में, विभिन्न वित्तीय संस्थानों ने 2026‑2028 तक की भविष्यवाणियों में 87,000‑100,000 रुपये प्रति 10 ग्राम की सीमा बताई है, लेकिन कुछ रिपोर्टें 2026 में ही 1,25,000 रुपये की हद तक पहुँचने की संभावना को भी उजागर करती हैं। “उच्च महंगाई, धीमी आर्थिक वृद्धि, और डॉलर में निरंतर गिरावट, इन सबका सम्मिलन सोने को एक बेजोड़ हेज बनाता है,” रवीना मिश्रा ने कहा।

निवेशकों को चाहिए कि वे अपनी व्यक्तिगत वित्तीय स्थिति, निवेश horizon, और जोखिम सहनशीलता को ध्यान में रख कर निर्णय लें। छोटे‑समय की कीमतों पर अधिक फोकस करने के बजाय दीर्घकालिक सुरक्षा को देखना समझदारी रहेगी।

निष्कर्ष: क्या सोने की कीमतें 1.25 लाख तक पहुँचेंगी?

सभी संकेत मिलाकर कहा जा सकता है कि 1.25 लाख रुपये की दहलीज़ दीवाली 2025 से पहले या उसके आसपास ही पार हो सकती है। यद्यपि यह अनुमान कुछ हद तक अनिश्चित है, लेकिन विश्व‑वित्तीय माहौल, भारतीय मौद्रिक नीति, और दृश्य‑सांस्कृतिक मांग मिलकर इस लक्ष्य को वास्तविकता के करीब ले जा रहे हैं। निवेशकों को चाहिए कि वे सूक्ष्मता से बाजार की खबरें पढ़ें और अपने पोर्टफोलियो को संतुलित रखें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

दीपावली 2025 में सोने की कीमतें इतनी बढ़ने का मुख्य कारण क्या है?

वैश्विक बाजार में सुरक्षित‑बंदोबस्त की बढ़ती मांग, बढ़ती महंगाई और भारतीय रुपये की कमजोरी ने मिलकर कीमतों को ऊपर धकेला है। साथ ही, दीपावली जैसे त्यौहारों में पारंपरिक खरीदारी की भावना भी कीमतों को समर्थन देती है।

बजाज फाइनसर्व और मूठूट गोल्ड पॉइंट के अनुमान में अंतर क्यों है?

बजाज फाइनसर्व अधिक रूढ़िवादी मॉडल पर भरोसा करता है, जबकि मूठूट गोल्ड पॉइंट बाजार‑सेंटरिक डेटा और रीटेलर प्रतिक्रिया को प्रमुख मानता है। इस कारण दोनों के आंकड़े थोड़ा अलग दिखते हैं।

यदि कीमतें 1.25 लाख तक पहुँच जाएँ तो निवेशकों को क्या करना चाहिए?

दीर्घकालिक सुरक्षा को देखते हुए सोने को पोर्टफोलियो का स्थिर भाग बनाना फायदेमंद रहेगा। यदि अल्पकालिक लाभ की चाह है, तो मूल्य‑सही समय पर हिस्सेदारी घटाना सावधानीपूर्ण हो सकता है।

RBI की मौद्रिक नीति का सोने पर क्या असर पड़ेगा?

यदि RBI ब्याज दरें घटाती है तो ऋण लागत घटेगी, परन्तु वह आम तौर पर रुपये को मजबूत करेगी, जिससे सोने की कीमतें थोड़ी घट सकती हैं। उलट, यदि दरें बढ़ती हैं तो सोना सुरक्षित‑बंदोबस्त के रूप में अधिक आकर्षक बना रहेगा।

भविष्य में सोने की कीमतें 2028 तक कहाँ तक पहुँच सकती हैं?

विभिन्न वित्तीय संस्थानों की भविष्यवाणी के अनुसार 2028 तक कीमतें 97,000‑100,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के बीच रह सकती हैं, जबकि कुछ उत्साही विश्लेषक 2026 में ही 1,25,000 रुपये की दहलीज़ बताते हैं।

1 जवाब

Gurjeet Chhabra
Gurjeet Chhabra अक्तूबर 7, 2025 AT 05:17

सोने की कीमतें इतनी तेज़ी से बढ़ रही हैं कि कई लोग डर के मारे बेच रहे हैं। मैं समझ सकता हूँ कि इस बढ़ोतरी से छोटे निवेशक परेशान होते हैं। पर साथ ही बात है कि सुरक्षित संपत्ति की मांग भी बढ़ी है। इसलिए शायद यह दिखा रहा है कि बाजार में अभी भी भरोसा है।

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