जब आप भोजपुरी सिनेमा, भोजपुरी भाषा में बनने वाली फिल्मों का समूह, जो बिहार, उत्तर प्रदेश और नेपाल के लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी को दर्शाता है. यह भी जानिए भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री, जो अब सिर्फ़ गाँव के मंचों तक सीमित नहीं, बल्कि डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर करोड़ों व्यूज़ ले रहा है। ये फिल्में सिर्फ़ मस्ती नहीं, बल्कि एक ज़िंदगी की आवाज़ हैं—जहाँ गरीबी, प्यार, अपमान, और जीत की कहानियाँ असली लोगों के बोलचाल के साथ बयां होती हैं।
भोजपुरी सिनेमा का दौर अब सिर्फ़ डीवीडी दुकानों तक नहीं, बल्कि YouTube, MX Player और Amazon Prime पर भी चल रहा है। भोजपुरी अभिनेता, जो बिना बॉलीवुड के बिना अपनी पहचान बना रहे हैं, जैसे कि धर्मेंद्र प्रजापति, कमलेश दुबे और अमित शर्मा अब घर बैठे फिल्म देखने वाले दर्शकों के लिए हीरो बन गए हैं। ये लोग बॉलीवुड के बिना भी अपनी जगह बना रहे हैं। इसके पीछे बिहार सिनेमा, भोजपुरी भाषा के लोगों के लिए एक अपना सिनेमा, जिसमें नाटकीयता नहीं, बल्कि असली ज़िंदगी के लम्हे होते हैं की भूमिका है। ये फिल्में शहरों के नाटकीय अंदाज़ से दूर, गाँव के गलियों, बाज़ारों और गाड़ियों में बसे लोगों की बातें करती हैं।
ये फिल्में बिना बड़े बजट के भी लोगों के दिल जीत लेती हैं। क्योंकि यहाँ नायक वो होता है जो सुबह चार बजे उठकर खेत में जाता है, और रात को अपने बच्चों को गाना सुनाता है। ये फिल्में ड्रामा नहीं, ज़िंदगी हैं। उत्तर प्रदेश सिनेमा, भोजपुरी फिल्मों का एक बड़ा हिस्सा, जो लखनऊ, गोरखपुर और मुजफ्फरपुर से शुरू होकर पूरे देश में फैल गया है ने इस इंडस्ट्री को नए आयाम दिए हैं। आज भोजपुरी फिल्में अमेरिका, यूके और मॉरीशस के भारतीय लोगों के घरों में भी चलती हैं।
यहाँ आपको मिलेंगी वो फिल्में जिन्होंने एक बार अपनी आवाज़ उठाई और दुनिया ने सुन ली। जिनमें डायलॉग इतने सीधे होते हैं कि आप खुद को उस गाँव में महसूस कर लेते हैं। जिनमें गाने इतने दिल को छू जाते हैं कि आप उन्हें दोबारा सुनने के लिए बार-बार वापस आ जाते हैं। ये फिल्में बिना बड़े बजट के, बिना बॉलीवुड के, बिना किसी बड़े स्टूडियो के, अपनी ज़मीन से उगी हैं। और अब वो दुनिया को दिखा रही हैं कि असली कहानियाँ कहाँ से आती हैं।
काजल राघवानी और अरविंद अकेला कल्लू ने छठ पर्व पर अपनी मां और मंदिर की तस्वीरें शेयर कर भावनाओं को छू दिया। उनके गीत और फिल्म 'प्रेम विवाह' का प्रमोशन भी वायरल हुआ।
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