इजरायल और ईरान के बीच तनाव पिछले कुछ सालों से तेज़ी से बढ़ता गया है। हर खबर में दावे‑दावेदार, सशस्त्र कार्रवाई या कूटनीतिक वार्ता का जिक्र मिलता है। आप भी सोचते हैं कि इस उलझन को समझना मुश्किल होगा? नहीं, मैं आपको सरल शब्दों में बताता हूँ कि कौन‑सी घटनाएँ असली मुद्दे बन रही हैं और आगे क्या हो सकता है।
पहला कारण है सुरक्षा का सवाल—इजरायल हमेशा ईरान के रॉकेट प्रोजेक्ट को खतरा मानता है, जबकि ईरान इज़राइल को अपने अस्तित्व के लिए बड़ा जोखिम देखता है। इस साल दो बड़े मोर्चे पर हलचल हुई: एक तरफ इज़राइल ने सीरिया में कुछ इरानी-backed मिलिशिया ठिकानों को हिट किया; दूसरी तरफ ईरान ने फतह‑अस्लाम बख़्तरबंद ड्रोन का प्रयोग करके इज़राइली जलयान पर हमला करने की कोशिश की। दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी कार्रवाई को ‘स्वयं रक्षा’ कहा, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मीडिया में इसे बढ़ते तनाव के संकेत के रूप में देख रहा है।
दूसरा कारण है क्षेत्रीय प्रभाव—ईरान मध्य पूर्व में शिया गठबंधन का प्रमुख खिलाड़ी है, जबकि इज़राइल पश्चिमी देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी रखता है। इस साल ईरानी दूतावास ने इज़राइल की कुछ सैन्य तकनीकों को ‘अवैध’ कहा और अंतरराष्ट्रीय मंच पर विरोध किया। जवाब में वाशिंगटन ने इज़राइली रक्षा प्रणाली को समर्थन देने का बयान जारी किया, जिससे दोनों देशों के बीच मौखिक लड़ाई तेज़ हो गई।
अब सवाल है कि यह टकराव किस दिशा में जाएगा। विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर कूटनीति का रास्ता नहीं खुलता तो छोटे‑छोटे स्कैडल बड़े युद्ध में बदल सकते हैं। लेकिन साथ ही, दोनों देशों को आर्थिक दबाव और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध भी झेलना पड़ रहा है, इसलिए पूर्ण‑पैमाने पर युद्ध की संभावना कम है। असली खतरा तब बढ़ता है जब तृतीय पक्ष—जैसे लीबिया या सीरिया—को मध्य में खींच लेता है।
आपके लिए सबसे उपयोगी बात यह है कि इस संघर्ष को समझने के लिए रोज़ाना की खबरों पर नज़र रखें, लेकिन सिर्फ शीर्षक नहीं पढ़ें। हर लेख के पीछे कौन‑सी स्रोत हैं, क्या पक्षपात है, और क्या तथ्यात्मक डेटा प्रस्तुत किया गया है—इन प्रश्नों से खुद को जांचें। हमारे साइट पर आप इस टैग में जुड़े सभी लेख एक ही जगह देख सकते हैं, जिससे अलग‑अलग दृष्टिकोण मिलेंगे और आपका विचार भी संतुलित रहेगा।
संक्षेप में, इज़राइल‑ईरान संघर्ष सिर्फ दो देशों की लड़ाई नहीं है; यह पूरे मध्य पूर्व के रणनीतिक समीकरण को बदल रहा है। अगर आप इस बदलाव को नज़रअंदाज़ करेंगे तो बड़ी खबरें चूक सकते हैं। इसलिए रोज़ाना अपडेट पढ़िए और खुद से सवाल पूछिए—क्यों, कैसे, कब? यही तरीका है सच्ची समझ हासिल करने का।
इस्माइल हनिया, हामास के राजनीतिक नेता, की तेहरान, ईरान में उनके निवास पर हमले में हत्या कर दी गई। हनिया का परिवार इस संघर्ष में व्यक्तिगत रूप से बड़े दुख झेल रहा है। उनकी पत्नी, अमल हनिया, इन कठिनाइयों के बावजूद उनके लिए हमेशा एक मजबूत सहारा बनी रहीं। उनके कुछ बच्चों और पोते-पोतियों की मौत इजरायली हमलों में हो चुकी है।
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