भाईयों और बहनों, खेती सिर्फ धान या गहूँ नहीं, अब वो एक विज्ञान बन गई है। अगर आप अपने खेत में बेहतर पैदावार चाहते हैं तो नई तकनीकों को अपनाना ज़रूरी है। यहाँ हम आपको ऐसे टिप्स देंगे जो तुरंत काम करेंगे—बिना जटिल शब्दों के, बस सरल समझाने वाला तरीका।
पिछले महीने उत्तर भारत में भयानक गरमी और अचानक बारिश की खबरें आई थीं (उत्तरी भारत में बाढ़‑भारी गरमी)। ऐसी स्थितियों में फसलें जलते या पानी से भर जाती हैं, जिससे उपज घटती है। इसलिए मौसम विभाग के रीयल‑टाइम अपडेट को रोज़ देखना चाहिए। यदि तापमान 35 °C से ऊपर जा रहा हो तो सुबह के समय बीजारोपण करें और शाम को पानी दें—इससे पौधे का श्वसन बेहतर होता है।
इसी तरह, अगर पूर्वानुमान में बिखरती हुई बारिश दिखे तो निचली भूमि पर जल जमाव रोकने के लिए हल्की ढलान बनाकर खेत को थोड़ा ऊँचा रखें। इससे जड़ें सुखी नहीं रहेंगी और फसल का विकास स्थिर रहेगा।
1. **स्मार्ट सेंसर** – आजकल छोटे‑छोटे सेंसर मिट्टी की नमी, पीएच स्तर और तापमान बताते हैं। इन्हें मोबाइल ऐप से जोड़कर आप तुरंत पता लगा सकते हैं कि कब जल देना है या कौन सा पोषक तत्व कम है।
2. **ड्रिप इरिगेशन** – पानी को सीधे जड़ तक पहुँचाने वाला सिस्टम बहुत बचत करता है। एक एरिया में 30 % तक पानी की बचत मिलती है और फसल के रोग भी घटते हैं क्योंकि पत्तियों पर पानी नहीं रहता।
3. **बीज चयन** – वही बीज जो पिछले साल ठीक रहा, वो अगले साल भी काम करेगा ही नहीं। स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र से उन किस्मों की जानकारी लें जो गर्मी‑सहनशील और कम बारिश वाले माहौल में बेहतर उगते हैं।
4. **कीट नियंत्रण के लिए जैविक उपाय** – रासायनिक कीटनाशकों की जगह नीम तेल, गैडिया या फिसलिंग बॉटेनिकल एग्ज़ेक्ट्स इस्तेमाल करें। ये पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुँचाते और फसल का स्वाद भी बेहतर बनाते हैं।
5. **फसल चक्र (Crop Rotation)** – हर साल एक ही फसल न लगाएँ। दो‑तीन साल में धान, गहूँ, दालें बदलते रहें; इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और रोग‑कीट कम होते हैं।
इन टिप्स को अपनी जमीन पर आज़माते समय छोटे पैमाने से शुरू करें—जैसे एक एकड़ में ड्रिप इरिगेशन लगाएँ, फिर देखिए परिणाम। अगर फसल बढ़िया रही तो बाकी खेतों में भी फैलाएं। याद रखें, खेती में धैर्य और निरंतर सीखना दो सबसे बड़ी ताकतें हैं।
आखिर में यह कहना चाहूँगा कि कृषि तकनीक सिर्फ बड़े निवेश से नहीं आती, बल्कि सही जानकारी और छोटे‑छोटे बदलावों से भी आप अपनी फसल की उपज को दोगुना कर सकते हैं। नवोत्पल समाचार पर रोज़ अपडेट पढ़ते रहें—ताकि आपका खेत हमेशा आगे रहे।
Microsoft की AI टेक्नोलॉजी ने महाराष्ट्र के छोटे किसानों को मौसम का सही अनुमान, कीट प्रबंधन और संसाधनों के बेहतर उपयोग में मदद दी है। खेती के पुराने तरीकों में सुधार लाकर रसायनों का इस्तेमाल कम हुआ और पानी की बचत भी हुई। किसानों को लागत घटाने और मुनाफा बढ़ाने में बड़ी मदद मिली है।
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