महात्मा गांधी: आज के भारत में उनका प्रभाव

गाँधी का नाम सुनते ही आप क्या सोचते हैं? शायद अहिंसा, स्वदेशी कपड़े या फिर दांडी यात्रा। असल में उनके विचारों ने हर साल कई खबरों को दिशा दी है—चाहे वह जलवायु आंदोलन हो या छोटे‑छोटे गांव की सड़कें बनाना। इस पेज पर हम दिखाएंगे कि कैसे उनका असर आज भी ज़िंदा है और आप इसे अपने जीवन में कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं।

गांधीनुमा सोच को अपनाने के आसान तरीके

पहला कदम है खुद से छोटे‑छोटे बदलाव करना। उदाहरण के तौर पर, प्लास्टिक की बोतलें कम खरीदना और कपड़े में कच्चा सूती चुनना—ये दोनों ही गाँधी के स्वदेशी आंदोलन को याद दिलाते हैं। दूसरा तरीका है स्थानीय समस्याओं को सीधे हल करने की कोशिश। अगर आपके मोहल्ले में गंदगी या पानी का अभाव है, तो पड़ोसियों के साथ मिलकर सफाई अभियान या जलस्रोत बनाना शुरू करें। यह अहिंसा और सहयोग की भावना को आगे बढ़ाता है।

तीसरा तरीका है संवाद। गाँधी ने हमेशा लोगों से बात करके समाधान निकाला। आज भी सोशल मीडिया पर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करके, सही जानकारी साझा कर आप झूठी खबरों का मुकाबला कर सकते हैं। जब कई लोग मिलकर सच को सामने लाते हैं, तो राजनीति और समाज दोनों में बदलाव आता है।

समाचारों में गांधी की छाप

देश के बड़े समाचार अक्सर गाँधी के सिद्धांतों से जुड़े होते हैं—जैसे जलवायु परिवर्तन पर बहस में अहिंसा का प्रयोग, या किसानों की आंदोलन में स्वावलंबन की बात। जब आप कोई खबर पढ़ते हैं तो पूछें: क्या इसमें सामाजिक न्याय, सच्चाई या आत्मनिर्भरता का तत्त्व है? अक्सर उत्तर मिलता है कि हाँ। यही कारण है कि गाँधी के विचार अब भी रिपोर्टर्स और लेखकों के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहते हैं।

एक और उदाहरण देखें—भारत‑पाकिस्तान संबंधों पर चर्चा में शांति की पुकार हमेशा गाँधीय शब्दों से जुड़ी रहती है। राजनयिक वार्तालाप, मीडिया विश्लेषण या जनता की राय, सभी जगह अहिंसा और समझौते के संदेश को दोहराया जाता है। यह दिखाता है कि उनका दर्शन सिर्फ इतिहास नहीं बल्कि चल रही राजनीति का हिस्सा है।

अगर आप रोज़मर्रा की खबरों में गाँधी का असर ढूँढना चाहते हैं तो बस एक सवाल रखें: "क्या इस मुद्दे में सच्ची बात, सहयोग और हिंसा‑रहित समाधान को प्राथमिकता दी गई है?" जवाब मिलने पर समझिए कि गांधी जी अभी भी हमारे साथ चल रहे हैं।

अंत में याद रखें—गाँधी का मूल मंत्र सरल था: "सत्य और अहिंसा से बड़ा कुछ नहीं"। इसको अपनी ज़िंदगी, काम या पढ़े‑लिखे मुद्दों में लागू करें, तो आप न सिर्फ खुद बेहतर बनेंगे बल्कि समाज भी सुधरेगा।

युवा कांग्रेस का पीएम मोदी के बयान पर विरोध, महात्मा गांधी की प्रतिष्ठा पर उठाए सवाल

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भारतीय युवा कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महात्मा गांधी पर टिप्पणी को लेकर विरोध प्रदर्शित किया। कांग्रेस नेताओं ने मोदी के बयान को शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि गांधी की प्रसिद्धि 1982 की फिल्म 'गांधी' के बाद बढ़ी। प्रदर्शनकारियों ने पीएम के सफरिंग हाउस पर माफ़ी की मांग की।

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