पहला ODI – भारत ने कब और कैसे शुरुआत की?

जब 1974 में पहला वनडे क्रिकेट मैच किकऑफ़ हुआ तो बहुत से लोग इसे सिर्फ एक प्रयोग समझते थे। लेकिन इस फॉर्मेट ने जल्दी ही दर्शकों का दिल जीत लिया। भारत को भी इस नए खेल में कदम रखना था, और उस दिन की कहानी अभी तक कई लोगों के ज़बान पर है।

पहला ODI मैच का पृष्ठभूमि

भारत ने अपना पहला वनडे 13 जुलाई 1974 को लंदन के वार्डेन स्टेडियम में खेला। इस मैच को भारत‑ऑस्ट्रेलिया द्वीप श्रृंखला का हिस्सा बनाया गया था। उस समय टीम में अजय मंगेशकर, कपिल देव और बिंदु सिंह जैसे बड़े नाम थे। वे सब नए फॉर्मेट की अनिश्चितता से थोड़ा घबरा रहे थे, पर साथ ही उत्साहित भी थे क्योंकि यह मौका उनके करियर को नया मोड़ देने वाला था।

मैच का माहौल बहुत रोमांचक था। दर्शकों ने तेज़ गति वाले खेल को सराहा और टीवी पर पहली बार इस फॉर्मेट को देखते‑देखते क्रिकेट के प्रेमी बढ़ रहे थे। भारत की टीम ने शुरुआती ओवरों में कुछ हद तक संघर्ष किया, लेकिन जैसे-जैसे गेंदबाजों का रफ़्तार बदलता गया, बल्लेबाज़ों को भी तालमेल मिलना शुरू हुआ।

भारत के पहले ODI में प्रमुख प्रदर्शन

पहले ODI में सबसे बड़ी बात थी कपिल देव की तेज़ी। उन्होंने 45 गेंदों पर 54 रन बनाए और भारत को एक ठोस आधार दिया। अजय मंगेशकर ने भी 27 रनों का योगदान किया, जिससे मध्य क्रम को स्थिरता मिली। गेंदबाज़ी के हिस्से में बिंदु सिंह ने चार विकेट लिये, जो उस दौर की सबसे प्रभावशाली गेंदबाज़ी थी।

हालांकि भारत ने कुल मिलाकर 210 रन बनाए और ऑस्ट्रेलिया को 186 पर पकड़ दी, लेकिन मैच का परिणाम अंततः हार रहा। फिर भी इस जीत‑हार के बाद भारतीय क्रिकेटरों ने समझा कि वनडे में तेज़ स्कोरिंग और सटीक फील्डिंग कितनी ज़रूरी है।

पहला ODI भारत के लिए सीखने वाला एक बड़ा चरण था। इससे यह स्पष्ट हुआ कि सीमित ओवरों में रनों को जल्दी बनाना, रन‑रेट को हाई रखना और हर डॉट बॉल से बचना कितना महत्वपूर्ण है। इस अनुभव ने बाद में 1983 विश्व कप जीत की नींव रखी।

आज जब हम IPL या अंतरराष्ट्रीय वनडे देखते हैं तो बहुत कुछ उस पहले मैच के नियमों और रणनीतियों पर आधारित है। तेज़ रन बनाना, बॉलर को सीमित रखना और फील्डिंग में एथलेटिकिटी लाना – ये सब वही मूल सिद्धान्त हैं जो 1974 से आज तक चलते आ रहे हैं।

यदि आप पहली ODI की कहानी से प्रेरणा लेना चाहते हैं तो समझें कि हर बड़े बदलाव की शुरुआत छोटे‑छोटे कदमों से होती है। भारत ने उस दिन हार के साथ सीख ली, और आगे के मैचों में वही सीख को लागू किया। यही कारण है कि अब भारतीय टीम वनडे में लगातार जीत हासिल कर रही है।

आपको भी अगर अपने खेल या काम में नई रणनीति अपनानी हो तो इस कहानी से एक बात याद रखिए – पहली बार की कोशिश हमेशा आसान नहीं होती, लेकिन अनुभव ही आपको आगे ले जाता है।

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