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दिल्ली की पानी मंत्री आतिशी का घर भी इस भारी बारिश से अछूता नहीं रहा। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें उनका घर जलमग्न दिखा। यह घटना दर्शाती है कि शहर के महत्वपूर्ण व्यक्तियों के घर भी इस बाढ़ की चपेट में आ गए।
सड़कें भरे पानी में डूबी हुई नजर आईं और एक स्थिति में दिल्ली भाजपा पार्षद रविंदर सिंह नेगी ने तो जलभराव का विरोध करने के लिए एक फूली हुई नाव चलाई। उन्होंने दिल्ली की आप सरकार पर ‘गिरते हुए’ बुनियादी ढांचे का आरोप लगाया।
हवाईअड्डे के टर्मिनल-1 की छत का एक हिस्सा बारिश के कारण गिर गया। इस हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई घायल हो गए। इस घटना ने दिल्ली हवाईअड्डे की बुनियादी सुविधाओं पर सवाल खड़ा कर दिया है।
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने रिपोर्ट दी कि रिंग रोड पर नरायणा से मोती बाग तक और दूलाकुआं फ्लाईओवर के नीचे दोनों तरफ जलभराव के कारण यातायात प्रभावित हुआ। दिल्ली मेट्रो रेल निगम ने भी यशोभूमि द्वारका सेक्टर – 25 मेट्रो स्टेशन के प्रवेश/निकास को बंद कर दिया और दिल्ली एयरोसिटी मेट्रो स्टेशन से टर्मिनल 1-आईजीआई एयरपोर्ट तक की शटल सेवा को निलंबित कर दिया।
समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव को उनके स्टाफ ने उनकी कार तक उठाया क्योंकि उनके घर के बाहर का क्षेत्र पानी में डूबा हुआ था। वे संसद सत्र में भाग लेने के लिए निकले थे, जिससे दिखता है कि यह बारिश सामान्य नागरिकों के साथ ही विशेषाधिकार प्राप्त लोगों पर भी कहर ढहा रही है।
दिल्ली सरकार ने भारी बारिश और जलभराव की स्थिति पर चर्चा करने के लिए शुक्रवार दोपहर 2 बजे सचिवालय में आपात बैठक बुलाई। इस बैठक में दिल्ली सरकार के सभी मंत्रियों और संबंधित विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया।
15 जवाब
बारिश ने दिल्ली को पूरी तरह फ्लड मोड में डाल दिया
भारी बारिश से ट्रैफिक जाम तो बन ही गया, पर लोगों को जल्दी में गाड़ी नहीं चलानी चाहिए। पुलिस के लिए भी ये एक चेतावनी है कि पानी निकासी सिस्टम को अपडेट करना जरूरी है। अगर सब मिलकर प्लान बनाते तो बाढ़ के नुकसान कम हो सकते हैं।
सड़कें जलीं, कारें डुबीं, यही तो साल के मोनसून का असली रंग है।
ऐसे बाढ़ में शहर की बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर दिखती नहीं
दिल्ली वालों को सहारा चाहिए 😢, पानी में डूबते घरों और गुमराह भावनाओं के बीच हम सबको एकजुट होना होगा 🙏
देखो मैं तो कहता हूं की पानी निकास की योजना पहले ही बनानी चाहिए, वरना फिर ये सब बकवास फिर से होगी। सरकार की लापरवाही काबिले-तारीफ़ नहीं है, ये सच है।
दिल्ली की भारी बारिश ने एक बार फिर हमें याद दिला दिया कि हम कितनी कमजोर संरचनाओं पर भरोसा कर रहे हैं। जब इस तरह के बवंडर आते हैं तो हमें शहर की बुनियादी ढांचे की जाँच करनी चाहिए। सबसे पहले जल निकासी के लिए पुराने नालों को साफ़ करना ज़रूरी है। फिर, नई पाइपलाइन और बड़े सस्टेनेबल डाम बनाना चाहिए। इसके साथ ही, हाईवे और फ्लाईओवर के नीचे की निचली जगहों को ऊँचा करना चाहिए। अगर हम हर जिले में एक छोटा जलाशय बनाते हैं तो बाढ़ के दौरान पानी को संभाल सकते हैं। साथ ही, रेतीले जगहों में ड्रम्स लगाकर पानी को फँसा सकते हैं। इस सब के लिए स्थानीय समुदाय की भागीदारी भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। लोगों को अपने पड़ोस के जल निकासी को मॉनिटर करने में मदद करनी चाहिए। सरकार को भी इस पर फंड आवंटित करना चाहिए, क्योंकि बजट से ज्यादा लोगों की जान जोखिम में है। कई बार हम देखते हैं की बड़े राजनेता सिर्फ बयानों से काम चला लेते हैं, लेकिन वास्तविक कार्य नहीं दिखाते। इसलिए हमें न केवल बयानों पर ध्यान देना चाहिए बल्कि ग्राउंड लेवल की क्रियाओं को भी देखना चाहिए। अगर हम सब मिलकर योजना बनाते और उसे लागू करते हैं तो आने वाले वर्षों में ऐसी बाढ़ से काफी हद तक बच सकते हैं। अंत में, मौसम विभाग को समय-समय पर सही पूर्वानुमान देना चाहिए ताकि लोग तैयारी कर सकें। आशा है कि दिल्ली की प्रशासनिक टीम इस बार वास्तविक कदम उठाएगी और फिर कभी ऐसी बड़ी बाढ़ नहीं होगी।
वाकई, आपने तो बाढ़ प्रबंधन की पूरी डायरी लिख दी, अब देखना है कि वास्तविक कार्य में कितना लागू होता है।
हर साल बस यही कह रहे थे 😒, फिर भी कुछ नहीं बदला।
समझता हूँ आपका गुस्सा, लेकिन हमें छोटे‑छोटे कदम लेकर ही बड़ा परिवर्तन लाना होगा।
ऐसे में राजनीति की कौन‑सी औसत बातों से कोई फ़ायदा? 🤔
लगता है इस बाढ़ का पीछे के कुछ गुप्त एजेंडा है, शायद जल निकासी प्रोजेक्ट्स को रोकने के लिए।
समाचार देख कर दिल भारी हो गया, सबकी जिंदगी एक ही पानी में डूबी हुई है।
हाय रे! इते क़ीतर ना बीता, फिर्ते सबको लाचारी के माहोल में फसाना, हाहाह।
दिल्ली की प्रशासनिक नाकामियों को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि योजना बनाना और उसे लागू करना दो अलग‑अलग चीज़ें हैं। बाढ़ के दिन में ट्रैफ़िक को नियंत्रित करने के लिए पूर्व‑निर्धारित मार्गों की कमी स्पष्ट दिखी। साथ ही, एयरपोर्ट की छत गिरने जैसी दुर्घटनाएं यह दर्शाती हैं कि सुरक्षा मानकों की अवहेलना की जा रही है। हमें सिर्फ वायरल वीडियो देख कर संतुष्ट नहीं होना चाहिए, बल्कि ठोस सुधारों की माँग करनी चाहिए। अगर यह सब नहीं बदलेगा, तो अगली बार बाढ़ में और भी बड़ी क्षति होगी।