भारत में राष्टरपति की शपथ हर पाँच साल में होती है और इस मौके को देश‑भर के लोग बड़े दिलचस्पी से देखते हैं। नई शपथ का मतलब नया दिशा‑निर्देश, नए वादे और कभी‑कभी कुछ आश्चर्य भी होते हैं। तो चलिए, इस बार के समारोह की मुख्य बातें समझते हैं।
राष्टरपति बिंदेश वर्मा ने 25 जुलाई को राष्ट्रपति भवन में शपथ ली। उन्होंने अपना संविधान‑अनुबंध किया और तुरंत ही राष्ट्रीय गान बजाया गया। प्रमुख अतिथियों में प्रधान मंत्री, केंद्रीय मंत्री और कई राज्य के राजनेता शामिल थे। समारोह में भारत की स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े कुछ वीरों को भी सम्मानित किया गया।
शपथ लेने के बाद राष्ट्रपति ने पहले अपने कार्यकाल के लक्ष्य बताए – जलवायु परिवर्तन, डिजिटल साक्षरता और ग्रामीण विकास पर ज़ोर देना। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में सरकार को तेज़ी से काम करना चाहिए, नहीं तो जनता की उम्मीदें टूट जाएँगी।
शपथ ग्रहण के बाद विपक्षी दलों ने तुरंत अपने विचार रखे। कुछ नेताओं ने कहा कि नई शपथ में बदलाव का वादा है, पर कार्रवाई नहीं देखी गई तो यह सिर्फ शब्द रह जाएगा। वहीं कुछ विशेषज्ञों ने बताया कि बिंदेश वर्मा की प्राथमिकताएँ पहले से ही सरकारी एजेंडा में हैं, इसलिए उनका समर्थन करने वाले कई लोग भी हैं।
जनता की राय सोशल मीडिया पर मिली‑जुली रही। युवा वर्ग ने डिजिटल पहल को सराहा, जबकि किसान समूह ने कृषि नीतियों में अधिक सुधार की मांग की। आम लोगों का मुख्य सवाल यह है – क्या नया राष्ट्रपति अपने वादे पूरे करेंगे या केवल समारोहिक रूप से ही रहेगा?
इस शपथ के बाद संसद में कई महत्वपूर्ण बिलों पर चर्चा तेज़ होनी शुरू हुई। जल संरक्षण, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के सुधार के लिए नई समिति बनायी गयी है। ये कदम दिखाते हैं कि शपथ सिर्फ औपचारिक नहीं, बल्कि नीति‑निर्धारण का एक चालू भाग भी है।
समारोह की कवरेज में कई चैनल ने लाइव प्रसारण किया और दर्शकों को रियल‑टाइम अपडेट दिया। इससे लोगों को हर छोटे‑बड़े कदम की जानकारी मिलती रही और राष्ट्रीय जुड़ाव बढ़ा। यदि आप इस शपथ के बारे में अधिक पढ़ना चाहते हैं, तो हमारे अन्य लेखों को देखें जहाँ विश्लेषक विस्तार से चर्चा करते हैं कि यह भारत के भविष्य पर कैसे असर डालेगा।
अंत में यही कहा जा सकता है – राष्टरपति की शपथ केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि देश के दिशा‑निर्देश तय करने का मौका है। अब देखना ये रहेगा कि अगले पाँच सालों में कौन‑से बदलाव सच्चे होते हैं और जनता को कितना लाभ मिलता है।
दक्षिण अफ्रीका के मौजूदा राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेंगे। उनकी पार्टी एएनसी को बहुमत नहीं मिला, जिससे उन्हें डेमोक्रेटिक अलायंस और अन्य दलों के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनानी पड़ेगी। राजधानी प्रिटोरिया में होने वाली इस समारोह में कई देशों के प्रमुख शामिल होंगे।
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